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रक्षा मंत्री गुटेनबैर्ग की "भयानक गलती"

२२ फ़रवरी २०११

जर्मन रक्षा मंत्री गुटेनबैर्ग ने अब कहा है कि डॉक्टरेट की अपनी थीसिस लिखने के सिलसिले में उनसे भारी गलतियां हुई हैं, चुनांचे वे डाक्टर की उपाधि वापस लौटा रहे हैं. लेकिन इतनी आसानी से उन्हें छुटकारा नहीं मिलने वाला है.

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भयानक गलती हो गई.तस्वीर: AP

रक्षा मंत्री कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबैर्ग पर आरोप है कि उन्होंने अपनी थीसिस में नकल की है और यह मामला अब बायरॉयथ विश्वविद्यालय के सामने है. रक्षा मंत्री ने डॉक्टरेट उपाधि के त्याग की घोषणा करते हुए विश्वविद्यालय से अनुरोध किया है कि वे इसे वापस ले लें. उन्होंने कहा कि अपनी थीसिस देखने के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उनसे भयानक गलतियां हुई हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा है कि वे मंत्री के रूप में अपना कर्तव्य निभाते रहेंगे.

मंगलवार को बायरॉयथ विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने इस सिलसिले में कहा है कि डॉक्टरेट की उपाधि वापस लेने के सिलसिले में विश्वविद्यालय खुद निर्णय लेगा. कहा गया है कि इसकी खातिर बनाया गया आयोग अपना काम पूरा करेगा. लेकिन रक्षा मंत्री की घोषणा से आयोग का काम सरल हुआ है.

रक्षा मंत्री गुटेनबैर्ग को भावी चांसलर के रूप में देखा जा रहा था. रक्षा मंत्रालय में कई प्रकरणों के बावजूद जनता के बीच उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई थी. ऐसी महत्वाकांक्षा पर अब पानी फिर गया है. लेकिन इस प्रकरण पर बहस अब कई स्तरों पर जारी है. पहली बात यह है कि सवाल अब यह नहीं रह गया है कि वे डॉक्टर हैं या नहीं, बल्कि जिस तरीके से वे डॉक्टर बने थे, उसके औचित्य, व साथ ही, उसकी वैधानिकता पर विचार किया जा रहा है. नकल के आरोप प्रमाणित होने पर किसी भी छात्र को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया जाता है, उसका शैक्षणिक जीवन समाप्त हो जाता है. क्या ऐसे एक व्यक्ति को मंत्री पद पर बनाए रखा जा सकता है? चांसलर मैर्केल फिलहाल कह रही हैं कि उनके लिए सिर्फ यही महत्वपूर्ण है कि मंत्री के रूप में गुटेनबैर्ग कैसा काम कर रहे हैं और उनके काम से वह संतुष्ट हैं.

समाज में रक्षा मंत्री की नैतिक प्रतिष्ठा एक विषय बना हुआ है, लेकिन उसे भी बहुत महत्वपूर्ण नहीं माना जा रहा है. प्रतिष्ठा तो ऐसे मामलों में घट जाती है, कम से कम सामयिक रूप से. सवाल यहां जर्मनी के शैक्षणिक जगत की प्रतिष्ठा, विश्वविद्यालय की डिग्री के मानक का हो गया है. और ऐसे मामलों में शैक्षणिक जगत आम तौर पर निर्मम रूप से फैसला लिया करता है. क्या राजनीतिक समीकरण के आधार पर उन्हें टाला जाएगा, टाला जा सकता है?

सोमवार को गुटेनबैर्ग ने हेस्से प्रदेश के केल्कहाइम में यूनियन दलों के अपने समर्थकों की एक सभा में डॉक्टरेट की उपाधि के त्याग की घोषणा करते हुए कहा था कि इस उपाधि को त्यागने के फैसले से उन्हें तकलीफ हो रही है. उनकी तकलीफें अभी खत्म नहीं हुई हैं.

लेखक: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ए कुमार

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