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क्या हमास ने इस्राएल-अरब का एजेंडा बदल दिया है

जेनिफर होलाइज
१० अक्टूबर २०२३

इस्लामी संगठन हमास के इस्राएल पर आतंकवादी हमले ने जो तरंगे पैदा की हैं वह इस्राएल और गजा की सीमाओं से बाहर तक असर डाल रही हैं. इसने इलाके में कई और उम्मीदों पर विराम लगा दिया है.

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 हमास के हमले की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है
गजा की सीमा पर इस्राएली इलाके में एक बख्तरबंद गाड़ी को निर्देश देता सैनिकतस्वीर: Amir Cohen/REUTERS

इस्राएल पर रॉकेट हमलेसे महज दो हफ्ते पहले ही सऊदी अरब के नेता मोहम्मद बिन सलमान और इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने इस बात की पुष्टि की थी कि उनके देश "हर दिन करीब" करीब आ रहे हैं और वो "एक करार पर पहुंचने वाले हैं जो इलाके के लिए एक बड़ी छलांग" होगी. हालांकि अब लगता है कि यह बात बहुत पुरानी हो गई.

इसी तरह से बिन सलमान की फलस्तीनी द्विराष्ट्र समाधान में दिलचस्पी में कमी भी बहुत दूर की कौड़ी बन गई है. यह समाधान फलस्तीनियों को स्वतंत्र राष्ट्र और पूर्वी येरुशलेम को उनकी राजधानी के रूप में दर्जा दिला सकता है.

सितंबर के आखिर में अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में बिन सलमान ने दो राष्ट्र के समाधान का नाम तक नहीं लिया. बिन सलमान ने सिर्फ यही कहा कि इस्राएल के साथ नया करार "फलस्तीनियों की जरूरतें पूरी करेगा और उनके लिए अच्छी जिंदगी सुनिश्चित करेगा."

द्विराष्ट्र समाधान के लिए समर्थन

शनिवार को हमले के बाद सऊदी अरब सार्वजनिक रूप से द्विराष्ट्र समाधान की मांग के समर्थन में सार्वजनिक रूप से लौट आया और उसने खुद को फलस्तीनी लोगों के प्रबल समर्थक के रूप में पेश किया. इस बीच दुनिया के ज्यादातर दूसरे देश इस्राएल और उसके आत्मरक्षा के अधिकार की वकालत करते नजर आए. 

 हमास के हमले के बाद इस्राएल ने जवाबी कार्रवाई की है
इस्राएल के हवाई हमले में ध्वस्त गाजा की मस्जिदतस्वीर: Mahmud Hams/AFP/Getty Images

यह कहना कोई गलत नहीं है कि फलस्तीन के सवाल जिंदा हो जाना ईरान समर्थित हमास गुट की बड़ी जीत है. वह एक आतंकवादी संगठन है जिसे ये दर्जा यूरोपीय संघ, अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों ने दिया है. अमेरिका की अटलांटिक काउंसिल के नॉनरेजिडेंट सीनियर फेलो रिचर्ड लेबेरॉन ने थिंक टैंक की वेबसाइट पर लिखा है, "हमास की कार्रवाई ने सऊदी को एक साफ ताकीद कर दी है कि रिश्तों को सुधारने की बातचीत में फलस्तीन के मुद्दे को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए."

उनका यह भी कहना है, "ये हमले कहानी को सऊदी अरब और इस्राएल के बीच रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया से दूर ले जाएंगे."

इस्राएली-सऊदी रिश्ते पर जोखिम

अटलांटिक काउंसिल के स्कोक्रॉफ्ट मिडल ईस्ट सिक्योरिटी एनिशिएटिव के निदेशक जोनाथन पैनिकॉफ ने डीडब्ल्यू से कहा, "इस बात की उम्मीद कम ही है कि सऊदी इस्राएली रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में प्रगति निकट भविष्य में होगी."

उनकी नजर में, "अगर इस्राएल का अभियान गजा में ज्यादा मौत और नुकसान के रूप में सामने आता है तो फिर जरूरी राजनीति और कारोबार नहीं हो पाएगा."

सोमवार की दोपहर इस्राएल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने गजा की पूरी नाकेबंदी करने का आदेश दिया. उनकी तरफ से जारी बयान में कहा गया, "गजा को बिजली, खाना या ईंधन बिल्कुल नहीं मिलेगा."

यूरोपीयन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेसंश के रिसर्च फेलो ह्यू लोवाट ने डीडब्ल्यू से कहा, "अरब लोगों के विचार मोटे तौर पर इस्राएल के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं और इस्राएली कार्रवाई से यह भावना और मजबूत होगी."

 सऊदी अरब ने हमास के हमले की अब तक निंदा नहीं की है
सऊदी अरब के नेता मोहम्मद बिन सलमानतस्वीर: Leon Neal/empics/picture alliance

लोवाट इस भावना को "इस्राएल और सऊदी अरब के बीच संभावित करार" के मार्ग की बाधा के रूप में देखते हैं. उनके मुताबिक मोरक्को और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अब्राहम अकॉर्ड के सदस्य अरब देशों के लिए इस्राएलके प्रति और ज्यादा आलोचनात्मक रुख रखने के लिए काफी दबाव होगा ताकि जनता के दबाव को कम किया जा सके.

संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने इस्राएल के साथ 2020 में रिश्तों को सामान्य बनाने के एक समझौते पर दस्तखत किया था. ब्लूमबर्ग फाइनेंशियल न्यूज सर्विस की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक यूएई ने, "इस्राएली नागरिकों के लिए दुख जताया है और तनाव घटाने की मांग की है लेकिन हमास की सीधे तौर पर निंदा नहीं की है."

अमेरिका और ईरान में संतुलन

इस्राएल के साथ रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में आगे बढ़ने के खिलाफ सऊदी अरब पर सिर्फ अरब जगत का ही दबाव नहीं होगा. इस मामले में अमेरिका और ईरान भी बड़ी भूमिका निभाएंगे.

सऊदी अरब और ईरान के बीच इस साल सुलह होने के बावजूद जब सहयोगियों की बारी आती है तो दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते हैं. ईरान हमास को समर्थन देता है. हमास का गजा पर शासन है और उसने इस्राएल पर हमला किया है.

हालांकि सऊदी अरब को उम्मीद है कि इस्राएल के साथ रिश्ते सामान्य करके अमेरिका के साथ उसके रिश्ते वापस वहां पहुंच जाएंगे जहां वह सऊदी आलोचक जमाल खशोगी की 2018 में हत्या के पहले थे.

इस त्रिपक्षीय करार से सऊदी अरब को अमेरिका के साथ एक मजबूत सैन्य गठजोड़ बनाने में मदद मिलेगी और साथ ही अमेरिकी की निगरानी में यूरेनियम का संवर्धन करने की अनुमति. 

पैनिकॉफ ने डीडब्ल्यू से कहा, "रियाद में रणनीति के जानकारों के दिमाग में यह सवाल जरूर घूम रहा होगा कि अगर इस्राएल जैसी सुरक्षा उसके पास दूर दूर तक नहीं होने की वजह से इस तरह के संघर्ष में उसका कितना नुकसान हो सकता है."

उन्होंने यह भी कहा, "लंबे दौर में सऊदी अरब सुरक्षा गारंटी के लिए अमेरिका के साथ बातचीत की मेज पर लौटने के बारे में सोच सकता है जो उनके बीच कथित बातचीत का अभिन्न अंग रहा है."