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राजनीतिन्यूजीलैंड

क्या पीएम आर्डर्न के इस्तीफे की वजह "नफरत और निजी हमले" हैं

स्वाति मिश्रा
१९ जनवरी २०२३

जेसिंडा आर्डर्न को कई लोग प्रगतिशील राजनीति के चेहरे के तौर पर देखते हैं. सहिष्णुता, विविधता, सबको साथ लेकर चलने की राजनीति के अलावा कामकाजी महिलाओं से जुड़े एक बड़े संघर्ष में भी उनका योगदान रहा है.

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आर्डर्न का इस्तीफे का ऐलान बेहद औचक आया है. ना केवल न्यूजीलैंड के लोगों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी. करीब पांच साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साख बनाई है.
आर्डर्न का इस्तीफे का ऐलान बेहद औचक आया है. ना केवल न्यूजीलैंड के लोगों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी. करीब पांच साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साख बनाई है. तस्वीर: Hagen Hopkins/Getty Images

"अपनी बच्ची नेवे से मैं कहूंगी कि इस साल जब तुम स्कूल जाने की शुरुआत करोगी, तब मां तुम्हारे साथ होंगी. और क्लार्क, चलो अब शादी कर ही लेते हैं." न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए ये पंक्तियां कहीं. नेवे उनकी पांच साल की बेटी है. प्रधानमंत्री रहते हुए ही उन्होंने अपने पार्टनर क्लार्क गेफोर्ड के साथ बेटी को जन्म दिया था. 18 जनवरी को आर्डर्न ने यह कहते हुए कि अब वह अपने परिवार के साथ ज्यादा समय गुजारना चाहती हैं, 7 फरवरी तक पद छोड़ने की घोषणा कर दी.

इस्तीफे की और क्या वजह बताई

आर्डर्न 42 साल की हैं. 2017 में पहली बार प्रधानमंत्री बनते समय वह 37 साल की थीं. करीब 150 सालों के इतिहास में वह देश की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनीं. न्यूजीलैंड में 1893 में महिलाओं को संसदीय चुनावों में वोट डालने का अधिकार मिला था. महिलाओं को मतदान का अधिकार देने वाला यह पहला देश था. आर्डर्न से पहले भी वहां दो महिला (जेनी शिपले और हेलेन क्लार्क)  प्रधानमंत्री रह चुकी हैं.

परिवार के साथ वक्त बिताने के अलावा आर्डर्न ने इस्तीफे के कुछ और भी कारण बताए हैं. मसलन, उन्होंने बताया कि निजी तौर पर वह खुद को एक और कार्यकाल के लिए तैयार नहीं मानती हैं. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि एक देश का नेतृत्व करना सबसे सम्मानजनक काम है, लेकिन साथ ही यह सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण भी है. ये साढ़े पांच साल मेरी जिंदगी के सबसे समृद्ध दिन थे. मैं पद छोड़ रही हूं क्योंकि इतने सम्मानित काम के साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी आती हैं."

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अगले तीन दिनों में नए नेता का चुनाव

जेसिंडा आर्डर्न की लेबर पार्टी अगले तीन दिन के भीतर नए नेता का चुनाव करेगी. न्यूजीलैंड का अगला आम चुनाव 14 अक्टूबर को होगा. आर्डर्न अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने बताया, "इससे चुनाव क्षेत्र छोड़ने से पहले मुझे भी थोड़ा समय मिलेगा और साथ ही, वहां के लोगों और देश को उप-चुनाव भी नहीं करवाना पड़ेगा." अपने राजनैतिक भविष्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल उनकी कोई योजना नहीं है. वह बस इतना जानती हैं कि वह जो भी करेंगी, उसमें न्यूजीलैंड के लिए कुछ करने के मौके तलाशेंगी.

एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि आर्डर्न इस तरह एकाएक पद छोड़ने वाली न्यूजीलैंड की पहली प्रधानमंत्री नहीं हैं. पूर्व पीएम जॉन की ने भी दिसंबर 2016 में औचक ही पद छोड़ने का ऐलान कर दिया था. आर्डर्न की तरह उन्होंने भी कहा था कि वह एक और कार्यकाल पूरा करने की ऊर्जा नहीं महसूस कर रहे हैं.

क्या दबाव में थीं आर्डर्न?

यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या आर्डर्न के ऊपर दबाव था. न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री (महिला) हेलेन क्लार्क ने भी ऐसा बयान जारी किया है. इसमें हेलेन ने आर्डर्न की राजनैतिक विरासत की सराहना करते हुए उनके इस्तीफे पर निराशा जताई और कहा, "प्रधानमंत्रियों पर हमेशा से काफी दबाव रहा है, लेकिन सोशल मीडिया, क्लिकबेट और 24 घंटे के मीडिया साइकल में जेसिंडा ने जिस स्तर पर नफरत और अपशब्दों का सामना किया, मेरे अनुभव में वह हमारे देश के हिसाब से अभूतपूर्व है."

हेलेन ने आगे लिखा है कि न्यूजीलैंड के समाज को अब सोचना चाहिए कि क्या वो हद से ज्यादा हो रहे ध्रुवीकरण को बर्दाश्त करता रहेगा, जो कि राजनीति से प्रति तेजी से अरुचि पैदा कर रहा है. 

ऐसा नहीं कि आर्डर्न के प्रगतिशील कदमों की हर किसी ने तारीफ की हो. उन्हें कई बार निशाना भी बनाया गया. 2018 में एंटी-1080 प्रदर्शनकारियों की ओर से उन्हें जान से मारने की भी धमकी मिली.
ऐसा नहीं कि आर्डर्न के प्रगतिशील कदमों की हर किसी ने तारीफ की हो. उन्हें कई बार निशाना भी बनाया गया. 2018 में एंटी-1080 प्रदर्शनकारियों की ओर से उन्हें जान से मारने की भी धमकी मिली. तस्वीर: Mark Mitchell/NZ Herald/AP/picture alliance

लेबर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर असर

आर्डर्न का इस्तीफे का ऐलान बेहद औचक आया है. ना केवल न्यूजीलैंड के लोगों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी. करीब पांच साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साख बनाई है. 2017 के आम चुनाव से करीब सात हफ्ते पहले ही उन्होंने लेबर पार्टी का नेतृत्व संभाला था. उस वक्त पार्टी की चुनावी संभावनाएं बहुत मजबूत नहीं थीं. मगर आर्डर्न की लीडरशिप में चुनावी नतीजे अच्छे रहे. करीब 37 प्रतिशत मत हासिल कर उन्होंने न्यूजीलैंड फर्स्ट के साथ गठबंधन सरकार बनाई.

2020 के आम चुनाव मेंकोविड महामारी के बीच आर्डर्न की लोकप्रियता और बढ़ी. चुनाव में लेबर पार्टी ने बहुमत हासिल किया. आर्डर्न सरकार की कोविड पॉलिसी को इस जीत की बड़ी वजह माना गया. हालांकि बाद के दिनों में अर्थव्यवस्था के स्तर पर बढ़ती चुनौतियों के कारण लेबर पार्टी के लिए स्थितियां उतनी आसान नहीं रह गई हैं.

दक्षिणपंथी विपक्षी पार्टी की ओर से दबाव

चुनावी रुझानों में लेबर पार्टी, न्यूजीलैंड नेशनल पार्टी से पीछे चल रही है. नेशनल पार्टी, न्यूजीलैंड के मुख्य राजनैतिक दलों में है. इसकी राजनैतिक विचारधारा सेंटर-राइट की ओर है. इसके नेता हैं, क्रिस्टोफर लक्सन. वह देश की प्रमुख एयरलाइन "एयर न्यूजीलैंड" के पूर्व सीईओ हैं. पार्टी ने नवंबर 2021 में जब उन्हें प्रमुख बनाया था, उस समय संसदीय राजनीति में उनका अनुभव लंबा नहीं था. उन्होंने संसद में बस एक ही साल बिताया था.

राजनीति में भले कम अनुभव हो, लेकिन उनके पास देश की सबसे जानी-मानी कंपनी के नेतृत्व का अनुभव था. ऐसे में हालिया बरसों में अंदरूनी प्रतिद्वंद्विताओं की शिकार रही नेशनल पार्टी को एक लॉन्चपैड मिलने की उम्मीद थी. लक्सन ने खुद भी इसपर जोर देते हुए कहा कि उन्होंने अपने करियर में कमतर प्रदर्शन करने वाली कंपनियों की तकदीर बदली है और वह अपना वही अनुभव राजनीति में भी लाएंगे. बीते करीब एक साल में लक्सन के नेतृत्व में नेशनल पार्टी काफी स्थिर रही है. चुनावी रेटिंग भी काफी बढ़ी है. अप्रूवल रेटिंग के मामले में भी लक्सन, आर्डर्न को टक्कर दे रहे थे.

दिसंबर 2022 के आंकड़ों में लेबर पार्टी के लिए समर्थन करीब 33 फीसदी और नेशनल पार्टी के लिए 38 फीसदी पाया गया था. हालांकि लोकप्रियता के मामले में आर्डर्न निजी तौर पर अब भी काफी मजबूत स्थिति में थीं. वह लेबर पार्टी का सबसे भरोसेमंद दांव मानी जाती हैं. ऐसे में अब उनके राजनीति छोड़ने के ऐलान से लेबर पार्टी का चुनावी प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है. 

आर्डर्न की विरासत

साढ़े पांच साल लंबे कार्यकाल में कई मौके आए, जब आर्डर्न के नेतृत्व को सराहा गया. इसमें सबसे प्रमुख है, 2019 में क्राइस्टचर्च में हुआ आतंकी हमला. एक हमलावर ने दो मस्जिदों में गोलीबारी कर 51 लोगों की जान ले ली. मुस्लिम-विरोधी और इमिग्रेंट विरोधी मानसिकता से किए गए इस हत्याकांड में आर्डर्न का रवैया काफी दृढ़ था. नफरत और नस्लीय भेदभाव की राजनीति का विरोध करते हुए उन्होंने सहिष्णुता का पक्ष आगे रखा और कहा, "हम विविधता, करुणा और संवेदना का प्रतिनिधित्व करते हैं."

उन्होंने नस्ली भेदभाव और इस्लामोफोबिया की निंदा करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई. देश के मुसलमानों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए उन्होंने ना केवल गन कंट्रोल जैसी सख्त कार्रवाई की, बल्कि सांकेतिक प्रयास भी किए. मसलन, हमले के अगले दिन सिर पर काला स्कार्फ डालकर मुस्लिमों से मिलने जाना. या फिर हमले के बाद पहली बार संसद को संबोधित करते हुए "अस्सलाम अलैकुम" का अभिवादन करना.

इतना ही नहीं, जब क्राइस्टचर्च हमले के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फोन करके संवेदना जताई और पूछा कि अमेरिका कैसे मदद कर सकता है, तो आर्डर्न का जवाब था, पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए संवेदना और प्यार. ग्लोबल नेतृत्व के मामले में एक ओर जहां अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप दक्षिणपंथी राजनीति का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ऐसे में आर्डर्न की उदारवादी राजनीति को एक बड़े धड़े ने प्रगतिशील वैकल्पिक राजनीति के तौर पर हाथोहाथ लिया.  

उन्होंने नस्ली भेदभाव और इस्लामोफोबिया की निंदा करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई. देश के मुसलमानों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए उन्होंने ना केवल गन कंट्रोल जैसी सख्त कार्रवाई की, बल्कि सांकेतिक प्रयास भी किए.
उन्होंने नस्ली भेदभाव और इस्लामोफोबिया की निंदा करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई. देश के मुसलमानों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए उन्होंने ना केवल गन कंट्रोल जैसी सख्त कार्रवाई की, बल्कि सांकेतिक प्रयास भी किए.तस्वीर: ACT Party/dpa/picture alliance

कामकाजी महिलाओं के लिए समर्थन

आर्डर्न के मातृत्व से जुड़ा पक्ष भी सुर्खियों में रहा. 21 जून, 2018 को उन्होंने जब अपनी बेटी को जन्म दिया, तब उन्हें पद संभाले हुए एक साल भी नहीं हुआ था. उन्होंने छह हफ्ते की मैटरनिटी लीव ली. और फिर जब कामकाज वापस संभाला, तब भी ब्रेस्टफीडिंग जैसी अहम जिम्मेदारियां साथ निभाती रहीं. उनके पार्टनर क्लार्क गेफोर्ड भी बच्चे की परवरिश में उनका हाथ बंटा रहे थे.

उनकी बेटी नेवे तीन महीने की थी, जब आर्डर्न उसे साथ लेकर संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने पहुंची. बेटी के ही साथ वह द्विपक्षीय वार्ताओं में भी शामिल हुईं. इसे कामकाजी महिलाओं के अधिकार की दिशा में एक बड़े अहम संकेत के तौर पर देखा गया.

दुनिया में अब भी काम की जगहों पर महिलाओं के साथ भेदभाव होता है. उनका मातृत्व और मां बनने पर महिलाओं को नर्सिंग के लिए मिलने वाली पेड छुट्टी को कई संस्थान आर्थिक बोझ के तौर पर देखते हैं. कई लोग मातृत्व के आधार पर महिलाओं की अपने काम के प्रति निष्ठा पर भी संदेह करते हैं. कई महिलाएं शिकायत करती हैं कि मां बनने से उनका करियर प्रभावित हुआ, काबिलियत के बावजूद उनसे मौके छीने गए. ऐसे में एक देश की प्रधानमंत्री का अपनी बच्ची को साथ लेकर सारी जिम्मेदारियां निभाना, साथ-साथ बच्ची को दूध पिलाने जैसे टैबू विषयों को सहजता देना, काफी अहम था.

ऐसा नहीं कि आर्डर्न के प्रगतिशील कदमों की हर किसी ने तारीफ की हो. उन्हें कई बार निशाना भी बनाया गया. पद पर रहते हुए मां बनने और बेटी की परवरिश करने पर कई लोगों ने उनकी आलोचना की. कहा कि उन्हें घर में रहना चाहिए, रसोई में काम करना चाहिए. 2018 में एंटी-1080 प्रदर्शनकारियों की ओर से उन्हें जान से मारने की भी धमकी मिली. 1080 एक कीटनाशक है, जिसे चूहे और खरगोश जैसे जीवों की आबादी को काबू करने में इस्तेमाल किया जाता है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्डर्न को निशाना बनाने वाले कई लोग उनके चेहरे की भी खिल्ली उड़ाते थे.