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राजनीतिफिलीपींस

फिलीपींस का राष्ट्रपति बनेगा एक तानाशाह का बेटा

१० मई २०२२

फिलीपींस में फर्डिनांड मार्कोस जूनियर राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. लेकिन उनके परिवार का इतिहास उनके बारे में लोगों के अंदर आशंकाएं पैदा कर रहा है.

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फर्डिनांड मार्कोस जूनियर
फर्डिनांड मार्कोस जूनियरतस्वीर: REUTERS

फिलीपींस के तानाशाह रहे फर्डिनांड मार्कोस के बेटे फर्डिनांड मार्कोस जूनियर भारी-भरकम जीत के साथ देश के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. सोमवार को हुए चुनाव में उन्हें बड़े अंतर से विजय मिलने का अनुमान है, जिसके साथ देश के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार की एक बार फिर सत्ता में वापसी हो रही है.

फर्डिनांड मार्कोस जूनियर को अपने प्रतिद्वन्द्वी लेनी रोब्रेडो से दोगुने से भी ज्यादा मत मिले हैं. रोब्रेडो मौजूदा राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे की सरकार में उपराष्ट्रपति थे. 96 प्रतिशत से ज्यादा मतों की गिनती के बाद उन्हें 1.45 करोड़ मत मिले जबकि तीसरे नंबर पर मशहूर मुक्केबाज मैनी पैकियो रहे जिन्हें अब तक 35 लाख मत मिले. मार्कोस को 3.05 करोड़ मत मिले.

कौन हैं मार्कोस जूनियर?

64 वर्षीय मार्कोस जूनियर एक प्रांत के पूर्व गवर्नर, सांसद और सेनटेर रह चुके हैं. 1986 में उनके पिता फर्डिनांड मार्कोस देश के तानाशाह शासक थे जिन्हें एक शांतिपूर्ण क्रांति के बाद पद से हटाया गया था. उन पर अपने परिवार के साथ मिलकर सत्ता में रहते हुए 5 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति जुटाने के आरोप लगे थे. 1989 में उनकी हवाई में निर्वासन में ही मौत हो गई थी.

हवाई की एक अदालत ने उन्हें मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार माना और उनकी दो अरब डॉलर की संपत्ति बेचकर 9,000 से ज्यादा फिलीपीनी नागरिकों को मुआवजा देने का आदेश दिया. 1991 में उनकी विधवा और बच्चों को देश लौटने की इजाजत मिली. लौटने के बाद परिवार ने राजनीति में सक्रिय होते हुए कई तरह के अभियान चलाए.

मार्कोस जूनियर ने अपने पति की विरासत को सही ठहराया है और उनके किसी भी कृत्य के लिए माफी मांगने से इनकार किया है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े अभियान चलाकर वोट मांगे और परिवार की छवि सुधारने की कोशिश की.

मार्कोस को लेकर चिंताएं

सिंगापुर स्थित यूरेशिया ग्रुप के अभ्यास प्रमुख पीटीर मम्फर्ड कहते हैं कि मार्कोस की भारी जीत इस बात की गारंटी नहीं है कि वह एक लोकप्रिय या प्रभावशाली नेता साबित होंगे. मम्फर्ड ने कहा, "यह बस उनके कार्यकाल की मजबूत शुरुआत है. खासकर, कांग्रेस के सदस्यों में शुरुआत में उनका समर्थन बढ़ेगा और कई अर्थशास्त्री और तकनीकी विशेषज्ञ उनकी सरकार में काम करना चाहेंगे.”

कैपिटल इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्री ऐलेक्स होम्स का मानना है कि मार्कोस को लेकर कई तरह की चिंताएं भी हैं. वह कहते हैं, "इस जीत ने मार्कोस को बेहद मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है. लेकिन उनके पारिवारिक इतिहास और अब तक के राजनीतिक करियर को देखते हुए, निवेशकों में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और खराब प्रशासन को लेकर चिंताएं हैं.”

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मम्फर्ड भी कुछ ऐसी ही आशंकाएं जाहिर करते हैं. वह कहते हैं, "उनकी सरकार में देखने वाली जो एक मुख्य बात होगी, वो यह होगी कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर क्या स्थिति रहती है क्योंकि इसका खतरा तो फिलीपींस में पहले से है, कहीं यह और खराब तो नहीं हो जाएगी. यह देखना भी दिलचस्प होगा कि मार्कोस इन चिंताओं को मानते हैं और इन पर कोई कदम उठाते हैं या नहीं, ताकि विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाया जा सके. या फिर वह भी अपने जानने वालों को ही मुख्य पदों पर नियुक्त करेंगे, जो निवेशकों की चिंता है.”

अमेरिका या चीन?

अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक एंड इंटरनेशनल स्ट्डीज के दक्षिण पूर्व एशिया डायरेक्टर ग्रेग पोलिंग कहते हैं कि यह 1972 नहीं है बल्कि 2022 है. उन्होंने कहा, "जल्दी ही वह देश के चुने हुए राष्ट्रपति होंगे. लेकिन यह 2022 है, 1972 नहीं. यह फिलीपींस के लोकतंत्र का अंत नहीं है लेकिन उसका क्षरण तेज हो सकता है.”

पोलिंग के मुताबिक अमेरिका को मार्कोस के साथ संवाद से ही लाभ पहुंचेगा. वह कहते हैं, "अमेरिका को आलोचना के बजाय संवाद से लाभ होगा. मार्कोस अपनी नीतियों को लेकर रहस्यमयी हैं. उन्होंने इंटरव्यू नहीं दिए, राष्ट्रपति पद के लिए बहसों से बचते रहे और ज्यादातर मुद्दों पर चुप रहे. लेकिन वह एक बात को लेकर स्पष्ट थे कि चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए वह एक बार फिर कोशिश करना चाहेंगे.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)