1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विवादइस्राएल

इस्राएल और हमास की ताकत में कितना अंतर

१७ अक्टूबर २०२३

इस्राएल के पास दुनिया की सबसे बेहतरीन संसाधन वाली सेना है, जिसे अमेरिका का भरपूर सहयोग और समर्थन हासिल है. दूसरी तरफ हमास है जिसके पास उच्च प्रशिक्षित हथियारबंद गुट और इलाके के शक्तिशाली देशों के मदद की ताकत है.

https://p.dw.com/p/4Xdx6
Israel | Israeilisches Militär mit gepanzerten Fahrzeugen
तस्वीर: YURI CORTEZ/AFP

इस्राएल पर हमास के 7 अक्टूबर के हमलेके बाद दोनों के बीच संघर्ष के कई मोर्चे खुल गए हैं. एक बार जरा दोनों की ताकत पर नजर डालते हैं.

इस्राएल डिफेंस फोर्सेस

इस्राएल डिफेंस फोर्सेस यानी आईडीएफ के पास 169,500 सैनिक और अधिकारी हैं. ब्रिटेन की इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज (आईआईएसएस) के मुताबिक इनमें केवल थल सेना के पास ही करीब 126,000 सैन्यकर्मी हैं.

इनके अतिरिक्त इस्राएल के पास 400,000 रिजर्व सैनिक हैं. हमास के हमले के बाद इनमें से 360,000 सैनिकों को काम पर बुला लिया गया है.

तकनीकी रूप से बेहद उन्नत हथियार

इस्राएल के पास तकनीकी रूप से दुनिया का सबसे उन्नत सुरक्षा तंत्र मौजूद है इनमें 'आयरन डोम' एंटी मिसाइल सिस्टम भी शामिल है. आईआईएसएस का कहना है कि इस्राएल के पास 1300 टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां, 345 लड़ाकू विमान और बड़ी संख्या में तोप, ड्रोन और उन्नत पनडुब्बियां हैं.

 ईरान के पास बेहद उन्नत हथियारों का तंत्र है
आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टमतस्वीर: EVELYN HOCKSTEIN/REUTERS

इस्राएल को परमाणु हथियार वाला देश घोषित नहीं किया गया है लेकिन उसके पास परमाणु हथियारों की मौजूदगी के कयास भी लगते रहे हैं. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने इन परमाणु हथियारों की संख्या 90 के करीब आंकी है.

अमेरिका की मदद

अमेरिका फिलहाल इस्राएल को हर साल 3.8 अरब डॉलर का सैन्य सहयोग देता है. 10 साल के लिए हुआ यह करार 2028 तक चलेगा. अमेरिका ने इस्राएल को गोला बारूद की आपूर्ति बढ़ा दी है. इसके अलावा किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए अपने दो विमानवाहक युद्धपोतों का बेड़ा उनके सहयोगी जहाजों के साथ पूर्वी भूमध्यसागर में तैनात कर दिया है. यूएसएस आइजेनहावर और यूएसएस जेराल्ड फोर्ड दुनिया के सबसे बड़े जंगी जहाज हैं, इन्हें ना सिर्फ हमास बल्कि उसके सहयोगी ईरान और हिज्बुल्ला को ध्यान में रखते हुए यहां तैनात किया गया है.

ब्रिटिश डिफेंस एनालिसिस फर्म जेन्स का कहना है कि अमेरिकी विमानवाहक पोत कई छोटे छोटे जहाजों के साथ यात्रा करते हैं जिनमें, विध्वंसक, क्रूजर, पनडुब्बी और सपोर्ट वेसल शामिल हैं. इनकी सैन्य क्षमताएं काफी ज्यादा हैं. इनसे बैलिस्टिक मिसाइल प्रोटेक्शन, कमांड एंड कंट्रोल, मानवीय सहायता, सुरक्षित बाहर निकालने और आपदा राहत जैसी सेवाएं मिलती हैं. 

अमेरिका ने दो विमानवाहक युद्धपोत इस्राएल की मदद के लिए तैनात किए हैं
अमेरिका का विमानवाहक युद्धपोत यूएसएस जेराल्ड आर फोर्डतस्वीर: Jackson Adkins/ABACA/picture alliance

अल कासिम ब्रिगेड

हमास ने बीते कई सालों की मेहनत से अपने हथियारों को अलग अलग आयाम में विकसित किया है. इसकी हथियारबंद सेना का नाम अल कासिम ब्रिगेड है जिसमें आईआईएसएस के मुताबिक 15000 लोग हैं. हालांकि अरब मीडिया ने यह संख्या 40,000 बताई है. इनके पास भारी हथियार हैं जिनका स्रोत मध्यपूर्व के देश हैं. इनमें प्रमुख रूप से ईरान, सीरिया और लीबिया शामिल हैं.हमासके पास चीन और दूसरे कुछ देशों के हैंड गन और असॉल्ट राइफल भी मौजूद हैं.

इनके अतिरिक्त हमास के पास स्थानीय स्तर पर बनने वाले इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव, पर्याप्त संख्या में ड्रोन, माइंस, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, ग्रेनेड लॉन्चर और मोर्टार शेल हैं जिन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है. हालांकि इनकी संख्या के बारे में पक्के तौर पर जानकारी नहीं है. हमास के ज्यादातर रॉकेट स्थानीय तौर पर बनाए गए हैं और उनकी

तकनीक बहुत उन्नत नहीं है.

लेबनान के साथ लगती सीमा पर पहले ही नोकझोंक शुरू हो चुकी है
लेबनान की सीमा के पास गश्त लगाते इस्राएल के सैनिकतस्वीर: ARIS MESSINIS/AFP

हिज्बुल्लाह की ताकत

इस्राएल और लेबनान की सीमा पर पहले ही नोकझोंक शुरू हो चुकी है. लेबनान में ईरान समर्थित हथियारबंद गुट हिज्बुल्लाह का शासन है. 2021 में इस गुट ने एक लाख लड़ाके अपने साथ होने का दावा किया था. इस्राएली थिंक टैंक द इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज आईएनएसएस का कहना है कि वास्तव में यह संख्या इसकी आधी है. मध्यपूर्व के विशेषज्ञ एफा कुलोरिओतिस का आकलन है कि हिज्बुल्ला के पास 20,000 उच्च प्रशिक्षित लड़ाके हैं और करीब 50,000 रिजर्व. इनमें से रिजर्व लड़ाकों को लेबनान और ईरान में 3-3 महीने का प्रशिक्षण मिला है.

आईएनएसएस का कहना है कि इस गुट के शस्त्रागार में 150,000 से 200,000 रॉकेट और मिसाइल मौजूद हैं. इनमें सैकड़ों की तादाद में सटीक मार करने वाले रॉकेट भी शामिल हैं.

हिज्बुल्ला ने इस्राएल में सीमा पार हमले का एक अभ्यास मई में किया था जिसमें ईरान, सीरिया, रूस और चीन के हथियार तंत्र का इस्तेमाल किया गया.

इस्राएल हमास संघर्ष में कौन किसके साथ

ईरान की मदद

1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान ने फलीस्तीन की मदद को अपनी नीतियों के स्तंभ के रूप में स्थापित किया है. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दोल्लाहियान ने हाल के दिनों में चेतावनी दी है, अगर इस्राएल सैनिकों को गाजा में भेजता है तो "कोई भी स्थिति पर नियंत्रण और संघर्ष का विस्तार होने की गारंटी नहीं दे सकता."

1979 की क्रांति केबाद से ही ईरान हमास को समर्थन ईरान की नीति का हिस्सा है
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह अल खमेनेईतस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/AP/picture alliance

आईएनएसएस से जुड़े राज सिम्त का कहना है कि ईरान फिलहाल हिज्बुल्लाह को युद्ध में शामिल करने में दिलचस्पी नहीं रखता." उससे उसके रणनीतिक संसाधन को खतरा हो सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस्राएल के जमीनी हमले के बाद खासतौर से इस्राएली सेना की सफलता से ईरान मजबूर हो सकता है, क्योंकि यह सफलता गाजा पट्टी पर हमास का नियंत्रण बनाए रखने की काबिलियत खत्म कर देगी.

एनआर/एमजे (एएफपी)