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अमेरिका में 1984 दंगों की सुनवाई

१९ फ़रवरी २०१२

भारत की कांग्रेस पार्टी के खिलाफ 15 मार्च को अमेरिका की अदालत में सुनवाई होगी. मामला 1984 के सिख विरोधी दंगों का है और मुकदमा अमेरिका में ही रहने वाले सिखों ने की है. भारतीय पार्टी का कोई रुख नहीं पता चला है.

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तस्वीर: AP

न्यू यॉर्क के सिख समुदाय ने इस मुकदमे को दायर किया है, जिसमें दक्षिणी जिले के अमेरिकी फेडरल कोर्ट के जज रॉबर्ट डब्ल्यू स्वीट से अपील की गई है कि उन्हें जस्टिस जीटी नानावती को भी पेश होने के लिए कहना चाहिए.

सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के वकील गुरपतवंत सिंह पन्नून ने अपने एक बयान में कहा कि कानूनी सहारा लेते हुए नानावती को बुलाने के लिए लेटर रोगेटरी लिखी जानी चाहिए. भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मारे जाने के बाद 1984 के नवंबर में राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों में सिख विरोधी दंगा हुआ था. लेटर रोगेटरी वह प्रक्रिया है, जिसमें अमेरिकी अदालत दूसरे देशों की अदालत को न्याय के लिए साथ देने के संबंध में चिट्ठी लिखती है.

Erinnerung an Sikh-Progrom in Indien 1984
तस्वीर: AP

एसएफजे अमेरिकी कोर्ट में इस बात का भी आवेदन करने वाला है कि इस मामले में वकील एसएच फूल्का, नवकिरण सिंह और करनैल सिंह पीरमोहम्मद को अमेरिकी अदालत के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया जाए. पन्नून ने कहा कि न्यू यॉर्क की अदालत में 15 मार्च को सुनवाई होगी, जिसमें भारतीय कांग्रेस पार्टी पर लगे आरोपों की सुनवाई होगी. कांग्रेस पर आरोप है कि उसने 1984 के सिख विरोधी दंगे आयोजित किए और उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया.

इस मामले में अमेरिकी अदालत ने पिछले साल ही कार्रवाई शुरू की थी और भारत की कांग्रेस पार्टी को नोटिस भी भेजा गया था. इस पर कांग्रेस ने शुरू में तो जवाब दिया लेकिन बाद में खामोश हो गई. सिख विरोधी दंगों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2700 लोग मारे गए, जबकि समाजसेवी संस्थाओं का कहना है कि यह संख्या इससे बहुत बड़ी है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एमजी

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