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आवाज की मदद से अपराधियों की धरपकड़

१९ सितम्बर २०११

फिंगर प्रिंट्स और खून के धब्बे से अपराधियों को पकड़ने की बात पुरानी हो गई है. जर्मनी की स्वर वैज्ञानिक प्रोफेसर अंगेलिका ब्राउन आवाजों की जांच कर अपराधियों को पकड़वाने में मदद कर रही हैं.

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तस्वीर: Fotolia/apfelweile

अंगेलिका ब्राउन एक अलग तरह की फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं. उंगलियों या खून के निशान के परंपरागत तकनीकों की जांच के बजाए वह बैंक डकैत, अपहरणकर्ता और आतंकवादियों की वॉयस रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करती हैं. इसके जरिए वह अपराधियों के बारे में सुराग और उनसे जुड़ी जानकारी या फिर उनकी पहचान स्थापित करने की कोशिश करती हैं.

पश्चिमी जर्मनी की ट्रिया यूनिवर्सिटी में स्वर विज्ञान की 55 वर्षीय प्रोफेसर कहती हैं, "हर विवरण महत्वपूर्ण हैं. ब्रैंकग्राउंड में होने वाला शोर भी." गंभीर आपराधिक मामलों में प्रोफेसर ब्राउन की मदद जर्मनी और विदेशों में ली जाती है. ब्राउन एक विशेषज्ञ की तरह काम करती हैं. ब्राउन कहती हैं, "कभी- कभी ऐसे मामलों में जल्द से जल्द काम करना होता है." अपहरण के मामले भी ऐसे ही हैं. ब्राउन कहती हैं, "ऐसे मामलों में इंसान की जिंदगी जांच के छोटे से छोटे पहलू पर निर्भर करती है."

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तस्वीर: Fotolia/Wilm Ihlenfeld

1986 से लेकर 2000 तक ब्राउन ने पश्चिमी जर्मनी में आपराधिक जांच विभागों के लिए आवाजों की पहचान की है. ब्राउन का सबसे मशहूर केस 1996 में एक करोड़पति यान फिलिप रीम्त्समा का अपहरणकांड है. ब्राउन कहती हैं,  "हम स्वर वैज्ञानिकों के कान बहुत अच्छे होते हैं."  2003 से ब्राउन प्रोफेसर के पद पर काम कर रही हैं.

जर्मनी के मुएंशनग्लाडबाख शहर के पुलिस विभाग के प्रवक्ता विली थेवेसन कहते हैं, "पुलिस के कामों के लिए फॉरेंसिक वैज्ञानिकों की जरूरत तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है." उनके मुताबिक डीएनए के अलावा आवाज और पृष्ठभूमि में होने वाला शोर भी महत्वपूर्ण हैं. पिछले साल पश्चिमी जर्मनी में दस साल के एक बच्चे के अपहरण केस में भी ब्राउन की मदद ली गई थी.  ब्राउन ने चीख की रिपोर्ट की जांच की. हालांकि उनकी रिपोर्ट से कोई सुराग नहीं मिले फिर भी उनकी रिपोर्ट उपयोगी साबित हुई.  थेवेसन कहते हैं कि कोई आपराधिक घटना होने के बाद पुलिस सबसे पहले ब्राउन को ही फोन करती है.

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तस्वीर: fotolia

प्रोफेसर ब्राउन बताती हैं कि वह अपनी भाषा प्रयोगशाला में ध्वनि और शोर की जांच करती हैं. अपराधी की मूल नागरिकता भी पता लगाई जा सकती है. ब्राउन कहती हैं कि इसके लिए स्कूल में बिताए साल निर्णायक होते हैं. अगर किसी विषय में विदेशी उच्चारण होता है तो राष्ट्रीयता कुछ ध्वनि और त्रुटियों की मदद निश्चित की जा सकती है.

ब्राउन विशेष कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से आवाज की तुलना भी करती हैं. ब्राउन का कहना है, "ऐसा कोई कंप्यूटर नहीं है जो मुझे यह बता सके कि कोई अपराधी कहां का रहने वाला है और उसकी उम्र कितनी है. " ब्राउन कहती हैं कि इसके लिए वह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के अलावा अपने कौशल का इस्तेमाल करती हैं.

आतंकवादी हमले जैसे मामलों में ब्राउन यह भी जांचती है कि कहीं हमले से जुड़े वीडियो और फोन कॉल में आवाज एक ही इंसान की तो नहीं. हाल ही में एक ऐसे ही मामले में ब्राउन ने साबित किया कि विवादास्पद उपदेशक की आवाज वीडियो और धमकी भरे फोन में एक है. एक और मामले में ब्राउन ने यह साबित किया कि नदी पर हुई दो जहाजों की टक्कर में टैंकर के कैप्टन की गलती थी.

इस टैंकर के कैप्टन का शराब के दुरुपयोग का इतिहास रहा है. ब्राउन ने आवाज की जांच करके इस बात को साबित किया कि टैंकर का कैप्टन हादसे के वक्त शराब के नशे में था. ब्राउन ने कैप्टन और पुलिस के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग की जांच की और टैंकर के कैप्टन की गलती साबित की. ब्राउन अब यूनिवर्सिटी में 60 छात्रों को अपनी तरह बनाने की ट्रेनिंग दे रही हैं.

रिपोर्ट: डीपीए / आमिर अंसारी

संपादन: महेश झा

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