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इस महीने धरती से टकराएगा जर्मन उपग्रह

१६ अक्टूबर २०११

अंतरिक्ष में 21 साल बिताने के बाद कार जितना बड़ा सैटेलाइट कक्षा से बाहर गिरेगा. जानकारों का कहना है कि यह सैटेलाइट धरती पर 20 और 25 अक्टूबर के बीच पहुंचेगा लेकिन यह कहां गिरेगा उन्हें नहीं पता.

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तस्वीर: AP

पुराने जर्मन सैटेलाइट के करीब 30 टुकड़े जिनका कुल वजन करीब 1.7 टन है, धरती की तरफ बढ़ रहा है. आशंका है कि हमारे वातावरण में यह सैटेलाइट 20 से 25 अक्टूबर के बीच प्रवेश करेगा. लेकिन जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) का कहना है कि सैटेलाइट धरती पर कहां गिरेगा एकदम कहना मुश्किल है. डीएलआर के प्रवक्ता आंद्रियास श्यूट्ज ने डॉयचे वेले को बताया, "धरती पर आने वाले सैटेलाइट्स को हमने कभी नहीं पाया. हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते हैं कि वह वापस आएगा तो क्या होगा."

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तस्वीर: AP

फ्री फॉल

रोसाट-एक्स रे एक वेधशाला उपग्रह है जिसे 1990 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. 9 साल पहले इसने अपना मिशन पूरा कर लिया है. इसके पास कोई इंजन नहीं है. 1999 से यह लगभग नियंत्रण में नहीं है. वैज्ञानिक इसके रास्ते पर नजर रख रहे हैं, ताकि उसके धरती पर लौटने के वक्त का आकलन किया जा सके. लेकिन डीएलआर का कहना है कि सौर गतिविधि में उतार चढ़ाव के कारण अनिश्चितता बढ़ी है. श्यूट्ज कहते हैं, "20 फीसदी संभावना है कि हम डेटा को लेकर गलत होंगे. लेकिन हम यह कह सकते हालांकि यह 27,500 किलमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराएगा, यह 10 मिनट के भीतर 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धीमा हो सकता है. ऐसे में इसका तापमान 2000 डिग्री तक पहुंच सकता है."

क्या है खतरा

उपग्रह के 30 ऐसे टुकड़े हैं जो धरती पर गिरने वाले हैं. लेकिन सबसे बड़ा टुकड़ा रोसाट टेलिस्कोप का आईना है जो गर्मी को झेल पाने में सक्षम हैं. सबसे भारी टुकड़ा 1.6 टन वजनी हो सकता है लगभग एक औसत कार के वजन के बराबर. हालांकि डीएलआर के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादा अनुमान है कि टुकड़ा समंदर में गिरे.

श्यूट्ज कहते हैं, "साधारण सी बात है कि धरती के ज्यादातर हिस्से पर पानी है. रोसाट की भी पानी में उतरने की संभावना है. लेकिन हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते. हम सोचते हैं कि हर साल 60 से 90 टन उपग्रहों का मलबा धरती पर गिरता है. लेकिन हम नहीं जानते क्योंकि हमने कभी उसे देखा नहीं." सितंबर में एक अमेरिकी सैटेलाइट जो बस जितना बड़ा था अचानक धरती पर लौट आया. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक यह उपग्रह प्रशांत महासागर में गिरा था.

रिपोर्ट: जुल्फिकार अब्बानी/आमिर अंसारी

संपादन: वी कुमार

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