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ईरान में बार्बी पर चला पुलिस का डंडा

२१ जनवरी २०१२

बार्बी नाम की गुड़िया 1959 में पहली बार अमेरिका में पेश की गई थी. आज तक दुनिया भर में अरबों बार्बी बिक चुकी है. लेकिन ईरान में बार्बी डॉल को बेचना मना है और इसलिए कई दुकानों पर राजधानी तेहरान में छापे मारे गए.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पुलिस ने शुक्रवार को तेहरान में ऐसे दर्जनों दुकानों को बंद कर दिया, जहां बार्बी डॉल बिक रही थी. अधिकारियों का कहना है कि बार्बी पश्चिमी संस्कृति का प्रतीक है और इसलिए उसको ईरान में बेचना 1990 के दशक से मना है.

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तस्वीर: AP

ईरानी समाचार एजेंसी महर ने बताया की उसे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि "जो दुकानदार अपनी दुकानों में बार्बी डॉल बेचते हैं वह जुर्म कर रहे हैं और पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी. हमने दर्जनों दुकानों को छापा मारने के बाद बंद कर दिया है और हम आने वाले दिनों में भी इस काम को आगे बढाएंगे."  दुनियाभर में मशहूर अमेरिकी कंपनी मैटल की बनाई बार्बी डॉल तेहरान में खिलौने बेचने वाली दुकानों और रोजमर्रा की चीजें बेचने वाली दुकानों में भी गैरकानूनी तरीके से खरीदी जा सकती हैं. बार्बी डॉल आमतौर पर मिनी स्कर्ट या स्विमसूट पहिने हुए मिलती हैं, इसलिए 1996 में बच्चों के लिए काम करने वाली एक सरकारी संस्था ने कहा कि बार्बी के जरिए पश्चिमी संस्कृति, मेक अप और छोटे कपड़ों को ईरान के समाज में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/Ton Koene

दस साल से बार्बी के खिलाफ कार्रवाई

2002 में अधिकारियों ने एक अभियान शुरू किया था जिसमें वह दुकानों पर छापा मारकर सभी बार्बी डॉल को जब्त कर लेते हैं. उनका कहना है कि बार्बी के स्वाभाव में कई चीजें धर्म यानी इस्लाम के खिलाफ हैं. 2002 में ही ईरान ने ईरानी गुड़ियों की जोड़ी जारा और दारा को पेश किया. विशेषज्ञों का मानना है कि उनके साथ रुढ़िवादी मूल्यों को युवाओं में लोकप्रिय बनाने की कोशिस की गई थी. लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद लोगों को बार्बी डॉल ही चाहिए थी इस वजह से जारा और दारा नहीं बिके.

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तस्वीर: AP

  2008 में ईरान की न्यायपालिका ने चेतावनी दी थी की बार्बी का प्रभाव ईरानी संस्कृति और समाज को नष्ट कर सकती है,  और ये भी कि बार्बी डॉल और दूसरे पश्चिमी खिलौनों को आयात करने में बड़ा खतरा है. फिर भी ईरानी दुकानों में बहुत से ऐसे खिलौने मिलते हैं. 7.5 करोड़ की आबादी वाले ईरान में एक तिहाई आबादी की उम्र 15 साल से कम है. धार्मिक नेता कहते रहे हैं कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद पश्चिमी मूल्यों के ईरान पर अतिक्रमण में जोर आया. इसलिए कई पश्चिमी किताबें, फिल्मों, सेटेलाइट टीवी चैनल, म्यूजिक, हेयरकट और फैशन पर पाबंदी है.

रिपोर्टः एएफपी, एपी/ पीए

संपादनः एन रंजन

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