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मैर्केल को ओबामा का न्योता

९ जनवरी २०१४

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को फोन कर अमेरिका आने का न्योता दिया है. यह एनएसए जासूसी के कारण दोनों देशों के बीच खराब हुए संबंधों को सुधारने की कोशिश है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बुधवार को ओबामा के फोन का मतलब पहले बस यही समझा जा रहा था कि वह मैर्केल की तबियत के बारे में पूछना चाह रहे हैं. अंगेला मैर्केल पिछले दिनों स्की करते समय घायल हो गयीं और अब भी बैसाखियों के सहारे अपने दफ्तर जा रही हैं. उन्हें कम से कम तीन हफ्ते बेड रेस्ट करने की सलाह दी गई है.

फोन पर हुई बातचीत के दौरान ओबामा ने मैर्केल को "आने वाले महीनों में किसी अच्छे समय" वॉशिंगटन आने का न्योता दिया. मैर्केल के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने ओबामा का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है लेकिन अभी कोई तारीख निर्धारित नहीं की गयी है.

व्हाइट हाउस द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है, "राष्ट्रपति ने आज चांसलर मैर्केल से बात की, उनकी अच्छी सेहत की कामना की और नए मंत्रिमंडल के बन जाने पर बधाई दी." दोनों नेताओं ने 2014 के पूरे एजेंडा पर भी चर्चा की. इसमें नाटो शिखर वार्ता भी शामिल है.

ओबामा देंगे सफाई

यह आमंत्रण ऐसे वक्त पर दिया गया है जब व्हाइट हाउस स्नोडेन मामले को खत्म करने की कोशिश कर रहा है. उम्मीद की जा रही है कि ओबामा इसी महीने अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए के काम में बदलाव लाने की घोषणा करेंगे. अंगेला मैर्केल सहित दूसरे विश्व नेताओं का टेलिफोन सुनने की खबर आने के बाद अमेरिका की भारी किरकिरी हुई है. ओबामा पर इस बात का भी दबाव है कि नागरिकों को बताया जाए कि एनएसए किस तरह के फोन टैप करता है और उसके पास कौन सा डाटा जमा है.

एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों के बाद से अमेरिका और जर्मनी के रिश्तों में खटास आ गयी है. पिछले साल अक्टूबर में जब यह खबर आई कि एनएसए ने मैर्केल के निजी मोबाइल की भी बातें सुनी हैं तो मैर्केल ने काफी गुस्सा दिखाते हुए कहा था कि "यह दोनों देशों के बीच विश्वासघात" वाली बात है. वॉशिंगटन ने कभी यह बात नहीं मानी कि मैर्केल की बातें सुनी गयीं. उस समय मीडिया को दिए गए बयान में कहा गया कि अमेरिका फिलहाल मैर्केल की जासूसी नहीं कर रहा है और आने वाले समय में भी नहीं करेगा, लेकिन अतीत में हुई जासूसी पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया गया.

इराक से भी बुरे हालात

अमेरिका में जर्मन मार्शल फंड के स्टीफन सॉबो का कहना है कि दोनों नेताओं की मुलाकात इस बात का संकेत देगी कि दोनों ही देश यह नहीं चाहते कि एनएसए के कारण अमेरिका और यूरोप का बेहतरीन रिश्ता खराब हो जाए, "एनएसए मामले को सुलझाने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा."

सॉबो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और पूर्व जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर का उदाहरण देते हैं जिनके बीच इराक को ले कर बड़े मतभेद रहे और कहते हैं कि इस बार स्थिति पहले से बिलकुल विपरीत है, "इस बार दोनों सरकारें रिश्तों को सुधारना चाहती हैं, जबकि अब तो हालात इराक मामले से भी बुरे हो गए हैं."

हालांकि व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी कि क्या दोनों के बीच एनएसए पर कोई चर्चा हुई. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने इस बात पर भी चुटकी ली कि ओबामा ने मैर्केल से मोबाइल फोन पर या फिर लैंड लाइन पर बात की और क्या इन बातों को भी एनएसए ने सुना.

ओबामा पिछले ही साल बर्लिन आए थे और उस से पहले 2011 में मैर्केल वॉशिंगटन गयीं थीं. जर्मनी के लिए एनएसए का मामला यहां के अतीत के कारण भी संजीदा है. पूर्वी जर्मनी में खुफिया पुलिस श्टासी भी कुछ इसी तरह लोगों की जासूसी किया करती थी.

आईबी/एमजे (एएफपी/रॉयटर्स)

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