1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कयानी ने संभाली सेना की कमान

अशोक कुमार२८ नवम्बर २००७

परवेज़ मुशर्रफ़ ने 46 साल बाद फ़ौज की वर्दी उतार दी है और अब जनरल अशफ़ाक़ कियानी पाकिस्तानी सेना के नए प्रमुख बनाए गए हैं।

https://p.dw.com/p/DVXY
आख़िरी सलाम लेते हुए भावुक हो उठे मुशर्रफ़
आख़िरी सलाम लेते हुए भावुक हो उठे मुशर्रफ़तस्वीर: AP

जितने सुर्खियों में जनरल परवेज मुशर्रफ और उनका पाकिस्तान रहता है, उतनी ही चर्चाओं में रहती है पाकिस्तानी फौज। और बुधवार को इसी फौज की कमान मुशर्रफ ने जनरल अश्फाक परवेज कियानी को सौंप दी।

कई सीनियर कमांडरों के होते हुए भी मुशर्रफ ने जनरल कियानी को अपना उत्तराधिकारी चुना है। दरअसल कियानी मुशर्रफ की नजरों में तब चढ़े जब 2002 में भारतीय संसद पर हमले के बाद दोनों देशों की फौजें सरहदों पर आ डटी थीं। जनरल कियानी उस वक्त मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल थे और दोनों देशों के बीच युद्ध को टालने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। इसके बाद उन्हें रावलपिंडी के एलिट 10 कॉर्प्स का कमांडर बनाया गया। साल 2004 में मुशर्रफ़ ने कियानी को खुफिया एजेंसी आईएसआई की जिम्मेदारी सौंपी। यही नहीं, जब बात जनरल मुशर्रफ पर हुए जानलेवा हमलों की जांच की आई, उन्हें कियानी से बेहतर कोई कमांडर नहीं मिला। गोल्फ और सिगरेट के शौकीन बताए जाने वाले जनरल कियानी मुशर्रफ के मुताबिक बेहतरीन फौजी हैं। खास बात यह है कि जनरल कियानी को सेना प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपते वक्त मुशर्रफ यह बताना नहीं भूले कि पाकिस्तानी सेना के बिना पाकिस्तान का कोई वजूद नहीं हो सकता।

पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल तलद मसूद उम्मीद जताते हैं कि कियानी का सेना प्रमुख बनना फौज और पाकिस्तान दोनों के लिए ही सकारात्मक बदलाव होगा। ग़ौरतलब है कि बेनजीर भुट्टों जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी थी, तो कियानी उनके सहायक सैन्य सलहाकार थे। पाकिस्तान में वैसे तो यह थोड़ा मुश्किल दिखाई देता है, लेकिन जानकार कहते हैं कि वह फौज को राजनीति से दूर रखने की कोशिश करेंगे। अगर भारत के नजरिए से देखा जाए, तो कियानी के आईएसआई चीफ रहते जम्मू कश्मीर में आतंकवादी नेटवर्क खासा फला फूला है।