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किस का मतलब और फायदे

४ मार्च २०११

एक पार्टी में बहुत से युवा धीमी रोशनी में एक गोल घेरे में बैठे हैं. बीच में घूमती हुई बोलती का मुंह जिसकी भी तरफ आता है, उसे किसी को किस करना है. कहने को तो यह मजेदार गेम है, पर युवाओं को बहुत कुछ सिखाता भी है.

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तस्वीर: AP Photo/Jason DeCrow

सबसे पहली बात जो युवाओं को इस तरह समझ आती है, वह यह कि किस का मतलब किसी बुजुर्ग के सिर्फ माथा चूमने से कहीं ज्यादा है. उन्हें यह भी पता चलता है कि किस करना कोई बच्चों का खेल नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे आपको पता चलता है कि किसी को चूमना भी एक कला है और इस काम में हर किसी को महारथ हासिल नहीं हो सकती.

किस का मतलब

किस का मतलब सिर्फ चूमना नहीं है, तो फिर क्या है. जैसा कि उन्नीसवीं सदी के एक डॉक्टर हेनरी गिब्सन ने लिखा था, "शारीरिक संदर्भ में बात करें तो यह अवरोधिनी मांसपेशियों का निकट संपर्क है." लेकिन सिर्फ यह वैज्ञानिक परिभाषा किस को समझने के लिए काफी नहीं है. एक किस का क्या क्या मतलब हो सकता है, इस बताने के लिए लाना सित्रोन ने एक पूरी किताब लिख डाली, जिसका नाम है किस का असली मतलब. इस किताब में वह लिखती हैं कि वैज्ञानिक परिभाषाओं से परे कैसे विभिन्न समाजों, फिल्मों, कला और साहित्य में किस के मायने बदलते रहे हैं. यह किताब बताती है कि चुंबन सिर्फ दो प्यार करने वालों की बपौती नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल विभिन्न मकसदों को हासिल करना भी रहा है.

Libanesische Flüchtlinge
तस्वीर: AP

किस का इतिहास

प्राचीन रोमन लोग एक चुंबन के साथ किसी भी समझौते पर आधिकारिक रूप से मुहर लगाते थे. पांचवी सदी में ईसाई अपनी एकजुटता दिखाने के लिए किस किया करते थे. आलोचकों ने इस नैतिक मूल्यों के लिए खतरा समझते हुए किसी व्यक्ति के मुंह पर किस करने की बजाय किसी लकड़ी के टुकड़े को किस करने की परंपरा डाली. यह परंपरा हजारों साल बाद आज भी जारी है. आज भी लोग धार्मिक साहित्य, क्रूस, पैर, हाथ, अंगूठी, जमीन, भाग्यशाली समझे जाने वाली चीज, ट्रॉफी और यहां तक कि मेंढ़कों को भी चूमते हैं.

पशुओं में भी एक दूसरे को चूमने की प्रवृत्ति पाई जाती है. जैविक रूप से इंसानों के सबसे नजदीकी रिश्तेदार बंदर भी एक दूसरे को खूब चूमते हैं. चिंपाजी तो कई बार फ्रेंच किस भी करते देखे गए हैं. वैसे चूमना हर संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा है. दक्षिणी अफ्रीका में संगान लोगों को किस से नफरत है और जब भी वे ऐसा होते देखते हैं तो अपनी नाराजी को जाहिर करने से हिचकते भी नहीं हैं. स्वीडन के लापलैंड इलाके की संस्कृति में भी किस को अच्छी बात नहीं समझा जाता.

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किस के फायदे

वैसे किस करने के काफी फायदे भी हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग अकसर किस करते हैं, उन्हें पेट और मूत्राशय से जुड़ी तकलीफें कम होती हैं. उन्हें संक्रमण भी कम ही होता है. किस करना दिल के भी अच्छा होता है. इससे ब्लड प्रेशर कम होता है, मस्तिष्क सक्रिय रहता है, प्रसन्नता के हार्मोन्स पैदा होते हैं और इससे खुद को लेकर जागरुकता भी बढ़ती है. हालांकि प्यार करने वालों को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. शायद उन्हें पता भी न हो कि जब कोई किसी को किस करता है तो उसके लिए चेहरे की 30 मांसपेशियां काम आती हैं. एक किस के लिए दो से छह कैलोरी की जरूरत पड़ती है.

अध्ययन बताते हैं कि कोई किसी को बेवजह किस नहीं करता. इसके पीछे कोई न कोई वजह होती है. सिर्फ मजे के लिए ही किस नहीं किया जाता. खास कर महिलाएं यह बात परखने के लिए किस करती है कि संभावित पार्टनर कितनी दूर तक साथ देगा, वहीं पुरुष महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने की संभावनाएं बढ़ाने के लिए किस का इस्तेमाल करते हैं.

रिपोर्टः डीपीए/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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