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केरल मछुआरों के मामले में ईयू का दखल

Priya Esselborn८ मार्च २०१२

केरल के पास हिंद महासागर में दो भारतीय मछुआरों की जान जाने के बाद य़ूरोपीय संघ मामले में दखल दे रहा है. इटली का कहना है कि इस सिलसिले में भारत की कोई पूछ नहीं है क्योंकि घटना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हुई.

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तस्वीर: Fotolia/Karsten Thiele

इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से टेलीफोन पर कहा कि अब तक यह साफ नहीं है कि मछुआरों की मौत कैसे हुई और इस मामले में भारत कुछ नहीं कह सकता क्योंकि यह लोग अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में थे. इस बीच यूरोपीय संघ ईयू की विदेश आयुक्त कैथरीन ऐश्टन ने कहा, "इटली के कहने पर हमने कुछ लोगों से संपर्क किया है ताकि इस मामले का हल निकाला जा सके." 15 फरवरी को इतालवी जहाज एनरीका लेक्सी में सवार सशस्त्र गार्डों ने गोली चला दी, जिससे नाव में सवार दो भारतीय मछुआरों की मौत हो गई. इटली की सफाई है कि उन्होंने नाव पर सवार लोगों को समुद्री डाकू समझा. हालांकि मछुआरे भारतीय जलक्षेत्र में थे. इसके बाद भारत सरकार ने मासिमिलियानो लातोरे और सालवातोरे जिरोने को हिरासत में ले लिया. वे केरल की जेल में बंद हैं.

इस हफ्ते इटली में मीडिया ने विदेश मंत्रालय को निशाना बनाते हुए कहा कि इटली इस मामले में कुछ ज्यादा ही सावधानी बरत रहा है. सोमवार को केरल के कोल्लम शहर में एक जज ने दोनों गार्डों को जांच पूरी होने तक तक हिरासत में रखने का आदेश दिया है. इसके बाद इटली के विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूत देवव्रत साहा को बुलवाकर उनसे इतालवी नागरिकों की गिरफ्तारी को लेकर विरोध जताया. इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी के दफ्तर से प्रकाशित बयान में कहा गया है, "अगर इस मामले को लेकर भारत की राय अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुकूल नहीं है तो समुद्री डाकुओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मिशनों के लिए यह एक खतरनाक संकेत है."

Pakistan Indien Fischer
तस्वीर: DW

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने मोंटी को आश्वासन दिया है कि वह मामले पर पूरा ध्यान देंगे. उन्होंने कहा कि इतालवी जहाजियों को जेल से बाहर निकालकर एक बेहतर जगह पर रखा जाएगा. जहाजियों ने फरवरी में समर्पण कर दिया था. हालांकि इटली के राजदूत स्टाफान दे मिस्तुरा भी वहां पहुंचे और जहाजियों को जेल में ही एक खास कमरे में रखा गया जहां उन्हें इतालवी खाना, जैसे पिज्जा और पास्ता खाने को मिलता है.

रिपोर्टः डीपीए, एपी/एमजी

संपादनः ए जमाल