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क्रिकेट के बुखार से कांप रहा है बॉलीवुड

१८ अप्रैल २०११

भारत में जिंदगी दीवानगी से भरी है. कभी त्योहारों की दीवानगी, कभी चुनावों की दीवानगी. फिल्मों का मेला तो बारह महीने चलता है. लेकिन क्रिकेट ने सबकी वाट लगा रखी है.

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तस्वीर: AP

आधा फरवरी और मार्च का पूरा महीना लोग वर्ल्ड कप क्रिकेट के सुरूर में डूबे रहे. क्रिकेट के इस मेले का सबसे ज्यादा असर फिल्मों पर हुआ. सिनेमा हॉल खाली पड़े रहे. बड़े बड़े फिल्मकारों ने अपनी रिलीज टाल कर रखी. और इस वजह से मल्टीप्लेक्स सिनेमाओं में 2011 का अब तक के बिजनस का हाल खस्ता ही रहा है.

Preity Zinta
तस्वीर: UNI

लेकिन फिल्मवालों का दुख अभी कम नहीं हुआ है. वर्ल्ड कप के खत्म होते ही आईपीएल शुरू हो गया. नतीजा, अब भी लोग बाहर जाने के बजाय टीवी से चिपककर शाम बिता रहे हैं. यानी मई महीने के आखिर तक सिनेमा वालों को कोई राहत नहीं है.

फिल्मों का बजा बैंड

बिजनस अखबार मिंट ने अनुमान लगाया है कि मार्च में खत्म हुई साल की पहली तिमाही में मल्टीप्लेक्सों का घाटा लगभग 50 करोड़ रुपये रहा. मुंबई की एंजेल ब्रोकिंग कंपनी में मीडिया विश्लेषक चित्रांगदा कपूर कहती हैं, "यह तिमाही कमजोर रही. सिनेमा घरों में सीटों के भरने का औसत 10 से 12 फीसदी पर आ गया."

Kapitän des indischen Cricket-Teams Rajasthan Royals
तस्वीर: UNI

इसकी वजह यह भी रही कि क्रिकेट के डर से फिल्में रिलीज ही नहीं हुईं. कुछ मल्टीप्लेक्सों ने तो बड़े पर्दे पर मैच भी दिखाए. आईनॉक्स लेजर लिमिटेड के आलोक टंडन कहते हैं कि उनके पास कोई और चारा ही नहीं था. टंडन के मुताबिक, "फरवरी मार्च आमतौर पर इम्तेहानों के महीने होते हैं. इसलिए परिवार यूं भी फिल्में देखने कम ही जाते हैं. और क्रिकेट तो हमारे देश में धर्म है. लिहाजा बड़ी फिल्में रिलीज ही नहीं हुईं. तो हमने सेमीफाइनल और फाइनल मैच सिनेमा में दिखाए और शो लगभग हाउस फुल रहे."

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री अभी भी मंदी से उबरने की कोशिश कर रही है. केपीएमजी रिसर्च के मुताबिक 2008 में बॉलीवुड का कुल व्यापार 2.3 अरब रुपये का था और 2010 में यह गिरकर 1.85 अरब रह गया. ऐसे में क्रिकेट को यह दोहरा झटका उसे काफी मंहगा पड़ा है.

Shilpy Shetty
तस्वीर: UNI

'खान' से निकलेगा पैसा

भारतीय फिल्मों के कुल व्यापार का 75 फीसदी हिस्सी घरेलू बाजार से आता है. यूं भी फिल्में दर्शकों को बहुत ज्यादा खींच नहीं पा रही हैं. भारत में सिनेपोलीस के मुख्य रणनीतिकार देवांग संपत कहते हैं, "इंडस्ट्री को ट्रेंड बदलने के लिए एक मजबूत कहानी की जरूरत है." संपत आमिर खान की 2009 में आई फिल्म 3 ईडियट्स का जिक्र करते हैं जिसने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता दर्ज की थी. लेकिन 2011 की फिल्में तो इसके मुकाबले कुछ नहीं कर पाई हैं.

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को अब भी खान तिकड़ी से ही जादू की उम्मीद है. शाहरुख खान फिल्म रा.वन बना रहे हैं. सलमान खान की कॉमेडी फिल्म रेडी जून में रिलीज हो रही है. आमिर खान की डेल्ही बेली साल के आखिर तक आएगी. और इंडस्ट्री को उम्मीद है कि बड़े सितारों की ये फिल्में सारा घाटा पूरा कर जाएंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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