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ख़ुशबू और राज़ के 300 साल

ईशा भाटिया/ए जमाल१७ जुलाई २००९

कोलोन की ख़ुशबू जितनी ख़ूबसूरत है, उतना ही गहरा है इसका राज़. कैसे बना यह परफ़्यूम. क्या है इसका फ़ॉर्मूला. 300 साल तो बीत गए, ख़ुशबू कम नहीं हुई लेकिन राज़ भी पता नहीं चला. पर इसने कोलोन को ख़ुशबू का शहर ज़रूर बना दिया.

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ओ-डी-कोलोन की ख़ुशबू का राज़ अभी भी साफ नहीं है.तस्वीर: AP

जर्मनी में राइन नदी के किनारे इटली के फ़रीना भाइयों ने कोई 300 साल पहले जुलाई 1709 में शुरू की एक इत्र. नीम्बू जैसे फलों के रस से बना यह परफ़्यूम रातों रात ओ-डी-कोलोन नाम से मशहूर हो गया. कई देशों में इसे पसंद किया जाने लगा लेकिन इसे बनाने का राज़ कभी भी फ़रीना परिवार के बाहर नहीं आया.

जिस साल ओ-डी कोलोन की शुरुआत हुई, उसी साल जिओवानी मारिया फ़रीना ने अपने भाई को ख़त लिखा, "मैंने एक ख़ुशबू तैयार की है, जो मुझे इटली के वसंत की सुबह की याद दिलाती है. जब बारिश के बाद फूल खिलते हैं तो यही ख़ुशबू होती है. मुझे यह खुश्बू तरो-ताज़ा कर देती है."

300 Jahre Farina Original Eau de Cologne
सिर्फ़ परिवार में रहा राज़तस्वीर: DW

फ़रीना काफ़ी समय से जर्मनी के कोलोन शहर में रह रहे थे. इसलिए उन्होंने अपनी इस ख़ास ख़ुशबू को इस शहर का ही नाम दे दिया. और तभी से यह परफ़्यूम ओ-डी कोलोन के नाम से जाना जाता है. इसे बनाते 300 साल बीत गए. सैकड़ों देशों में इसका कारोबार चलता है लेकिन इसे तैयार करने का तरीक़ा अब तक सिर्फ़ 30 लोगों के पास से ही होकर गुज़रा. इनमें से एक हैं योहान मारिया फ़रीना, जो फिलहाल इस कंपनी के मुखिया हैं.

ओ-डी कोलोन बनाने के फ़ॉर्मूले के बारे में फ़रीना का कहना है, "यह ज़रूरी है की ओ-डी कोलोन की सुगंध हमेशा एक जैसी रहे. यह वैसे ही है जैसे शैम्पेन बनाने के लिए अलग अलग तरह की वाइन को मिलाया जाता है, ताकि एक ख़ास सुगंध और स्वाद बनाया जा सके. बिलकुल ऐसा ही है ओ-डी कोलोन के साथ. जब इत्र बनाने वाले हमारे एक पौधे की ख़ुशबू दूसरे से अलग होती है तो हम उन्हें कुछ इस तरह से मिलाते हैं कि उनकी ख़ुशबू आपस में घुल मिल जाए."

फ़रीना के ओ-डी कोलोन की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में हुई पर आज से 300 साल पहले भी चुनिन्दा रईस ही इसकी ख़ुशबू नसीब करने के बारे में सोच सकते थे. ओ-डी कोलोन की एक छोटी सी हरे रंग की बोतल की क़ीमत आज के हिसाब से 1000 यूरो यानी लगभग 65,000 रुपये हुआ करती थी. इसके बावज़ूद इसके ख़रीदार इसे खरीदने से कभी पीछे नहीं हटे. कोलोन चर्च के प्रधान क्लेमेन्स आउगुस्त हमेशा ओ-डी कोलोन लगाते हैं. केवल वह ही नहीं, नेपोलियन बोनापार्ट भी इस सुगंध के जादू से नहीं बच पाए. उन पर तो इसका जादू कुछ ऐसा चढ़ा कि वह हर रोज़ इसकी एक बोतल ख़त्म कर दिया करते थे.

4711 Kölnisch Wasser
4711 भी बनाता है कोलोन को ख़ुशबू का शहरतस्वीर: picture-alliance/ dpa

300 सालों के इस सफ़र में ओ-डी कोलोन परफ़्यूम ने कई उतार चढ़ाव भी देखे. आर्थिक संकट तो इन तक नहीं पहुंचा पर मुक़ाबला करने वाले ज़रूर पहुंच गए. स्वाभाविक है कि जब कोई चीज़ मशहूर होती है तो उसकी नक़ल भी ख़ूब होती है. फ़रीना की इस खोज के कोई 100 साल बाद कोलोन के एक व्यापारी विल्हेल्म मिउह्लेंस ने भी एक ऐसी ही ख़ुशबू तैयार करने का दावा किया. उन्होंने इसका नाम रखा 4711, जो उनके घर का नंबर था. यह भी बहुत मशहूर हुई. आज कई लोग तो यह जानते भी नहीं हैं कि 4711 असली ओ-डी कोलोन नहीं है. लेकिन योहान मारिया फ़रीना को इससे कोई दिक्कत नहीं है. उनका कहना है कि दोनों परिवारों में कभी कोई रंजिश नहीं रही.

"हम पर कई बार संकट भी आए. आप फ्रांसीसी क्रांति के बारे में सोचिए, पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के बारे में सोचिए. हमारे लिए यह सबसे बड़ी संकट की घड़ियां थीं. इसलिए नहीं कि हमारे ग्राहकों को हम पर भरोसा नहीं था. बल्कि इसलिए कि हम तक माल नहीं पहुंच पा रहा था और इस कारण हम उत्पादन भी नहीं कर पा रहे थे. आज कल लोग आर्थिक संकट की बात कर रहे हैं. पर हमारे यहां आर्थिक संकट नहीं है." -योहान मारिया फ़रीना

फ़रीना का मुख्यालय 300 साल से कोलोन शहर में ही है. और अब तो यह एक म्यूज़ियम भी बन गया है. यहां आ कर लोग इस अद्भुत ख़ुशबू के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. ख़ास तौर से सैलानियों के लिए तो यह बेहद दिलचस्प जगह है.