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गुटेनबर्ग के इस्तीफे पर मैर्केल को अफसोस

१ मार्च २०११

डॉक्टरेट की थीसिस में नकल के आरोपों के बाद जर्मन रक्षा मंत्री गुटेनबर्ग के इस्तीफे पर सारे जर्मनी में व्यापक प्रतिक्रिया हुई है. चांसलर मैर्केल ने उनके इस्तीफे पर अपना अफसोस व्यक्त किया है.

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तस्वीर: dapd

चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि उन्होंने बड़े दुख के साथ इस इस्तीफे को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा, "मुझे उनके इस्तीफे पर गहरा अफसोस है, लेकिन मैं उनके इस व्यक्तिगत निर्णय को समझती हूं."

साथ ही उन्होंने इशारा किया कि गुटेनबर्ग के राजनीतिक रूप से सक्रिय रहने की संभावना खत्म नहीं हुई है. इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि मंगलवार को उनसे हुई बातचीत आखिरी बातचीत नहीं थी. उन्हें पूरा विश्वास है कि भविष्य में भी गुटेनबर्ग के साथ किसी न किसी रूप में सहयोग जारी रहेगा.

इसी प्रकार गुटेनबर्ग की पार्टी सीएसयू के अध्यक्ष व बवेरिया के मुख्यमंत्री होर्स्ट जेहोफर ने कहा है कि पार्टी की तरह उन्हें भी गहरा धक्का पहुंचा है. उनकी राय में यह सीएसयू के लिए एक दर्द भरा कदम है. जेहोफर ने कहा कि वे इसके लिए कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे कि गुटेनबर्ग जर्मन राजनीति में बने रहें.

Bundeswehr Haushalt Guttenberg Flash-Galerie
तस्वीर: AP

विपक्षी एसपीडी के संसदीय दल के नेता फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर का कहना है कि इस्तीफा देने में गुटेनबर्ग ने काफी देर कर दी है. इसे टालना संभव नहीं था. उन्होंने कहा कि चांसलर मैर्केल ने ऐसे उनका समर्थन किया, मानो यह कोई छोटी मोटी बात हो. उन्होंने कहा, "दरअसल यह जर्मनी के समूचे विज्ञान जगत का अपमान था." श्टाइनमायर की राय में सत्ता के इस खेल में चांसलर मैर्केल ने अपनी विश्वसनीयता को बलि दे दी है.

सत्तारूढ़ मोर्चे के सहयोगी दल एफडीपी के प्रमुख नेता वोल्फगांग कुबिकी का भी मानना है कि हालांकि इस्तीफा एक सुदृढ़ कदम है, लेकिन यह बहुत देर से उठाया गया. एक हफ्ता पहले ऐसे कदम के लिए उनका सम्मान किया जा सकता था, लेकिन अब उन्होंने मजबूरी में यह कदम उठाया है.

और वामपंथी पार्टी के संसदीय दल के नेता ग्रेगोर गीजि का कहना है कि नकल प्रकरण में कानून के सामने बराबरी के सिद्धांत का भारी उल्लंघन हुआ है. यहां कहने की कोशिश की गई है कि मशहूर लोगों के लिए दूसरे कानून होते हैं. उनकी पार्टी के अध्यक्ष क्लाउस ऐर्न्स्ट का कहना है कि गुटेनबर्ग के इस्तीफे के साथ चांसलर मैर्केल का अस्त शुरू हो गया है.

और बायरॉयथ विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि इस बात की जांच जारी रहेगी कि कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबर्ग ने जान बूझकर धोखा दिया था या नहीं. उनके इस्तीफे का इस जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एस गौड़

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