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चेकपॉइंट चार्ली: दास्तां एक चौकी की

११ अगस्त २०११

बर्लिन को बांटने वाली बर्लिन दीवार की चौकी चेकपॉइंट चार्ली 30 साल तक न सिर्फ विभाजित जर्मनी, बल्कि इस दौरान दुनिया भर में चली राजनीतिक उठापटक का भी प्रतीक रही.

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चेकपॉइंट चार्लीतस्वीर: DW / Meyer

1961 में बर्लिन दीवार खड़ी होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने अमेरिकी सैनिकों को आदेश दिया कि तीन ऐसी चौकियां बनाई जाएं जिनके जरिए गठबंधन के राजनयिक और सेनाएं पश्चिम बर्लिन में आ जा सके. दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद बर्लिन को चार हिस्सों में बांटा गया. सबसे बड़ा और पूर्वी हिस्सा रूस को मिला जबकि पश्चिमी हिस्से का नियंत्रण अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन को मिला.

इन तीन चौकियों में चेकपॉइंट चार्ली चौकी बहुत मशहूर हुई. दरअसल 13 अगस्त 1961 को दीवार का निर्माण शुरू होने के दस दिन बाद से विदेशी पर्यटकों, राजनयिकों और सैन्य अधिकारियों को बर्लिन के बीचोंबीच फ्रीडरिषस्ट्रासे पर बने चेकपॉइंट चार्ली से ही पूर्वी जर्मनी में जाने की अनुमति थी. इस चेकपॉइंट पर बहुत सी फिल्में भी बनीं. उस दौर में लिखे गए जासूसी उपन्यासों में अकसर इसका जिक्र होता.

Mauergeschichten Berlin - die geteilte Stadt Karte mit den Grenzübergängen Bornholmer Straße und Checkpoint Charlie
जब बर्लिन के लोगों को पता चला कि उनके शहर में दीवार खड़ी की जा रही है तो उन्होंने खूब गुस्सा जताया

कैसे मिला नाम चार्ली

केनेडी के आदेश पर बने दो अन्य चेकपॉइंट्स में एक पश्चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी की सीमा पर हेल्मस्टेड्ट में और दूसरा पश्चिमी बर्लिन और पूर्वी जर्मनी की सीमा पर द्राइलिंडेन में था. नाटो की उच्चारण संबंधी वर्णमाला के मुताबिक हेल्मस्टेड्ट के चेकपॉइंट को अल्फा, द्राइलिंडेन के चेकपॉइंट को ब्रावो और फ्रीडरिषस्ट्रासे के चेकपॉइंट को चार्ली नाम दिया गया. चार्ली चेकपॉइंट पर मुख्य काम पश्चिमी सेनाओं के अधिकारियों के पूर्वी बर्लिन में प्रवेश से पहले उनके नाम दर्ज करना और उन्हें जानकारी देना होता था. पर्यटकों को भी जानकारी दी जाती थी लेकिन पश्चिमी हिस्से में उनकी तलाशी नहीं होती थी.

बर्लिन दीवार गिरने के बाद जर्मन एकीकरण से पहले ही चेकपॉइंट चार्ली को 22 जून 1990 को हटा दिया गया. लेकिन पर्यटकों के लिए उस जगह पर चेकपॉइंट चार्ली बूथ की एक प्रतिकृति और साइन बोर्ड लगाया गया. असली बूथ को एलाइड संग्रहालय में रखा गया है. निगरानी टावर भी चेकपॉइंट का हिस्सा था जिसे 2000 में हटा दिया गया ताकि वहां शॉपिंग स्टोर और दफ्तर बनाए जा सकें.

सैलानियों के लिए चेकपॉइंट की असल जगह से कुछ ही दूरी पर चेकपॉइंट चार्ली म्यूजियम भी बनाया गया है. यहां रखे दस्तावेजों में पूर्व से पश्चिम में भागने की कई कोशिशें दर्ज हैं.

Flash-Galerie Checkpoint Charlie
अब दुनिया भर के पर्यटक चेकपॉइंट चार्ली देखने आते हैंतस्वीर: DW

चेकपॉइंट चार्ली पर तनाव

चेकपॉइंट चार्ली बनने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी और सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुशचेव ने इसका दौरा किया. शुरुआती सालों में एक बार इस चौकी पर दोनों पक्षों के टैंक आमने सामने आ खड़े हुए. दरअससल विवाद 22 अक्टूबर 1961 को इस बात को लेकर पैदा हुआ कि क्या पूर्वी जर्मन गार्डों को अमेरिकी राजनयिक एलन राइटनर के दस्तावेजों की जांच करने का अधिकार है जो एक ऑपेरा देखने पूर्वी जर्मनी में जाना चाहते थे.

नियम के मुताबिक पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन में किसी भी जर्मन अधिकारी को गठबंधन सेनाओं के सदस्यों की जांच की अनुमति नहीं थी. 27 अक्टूबर तक 10 सोवियत टैंक और इतने ही अमेरिकी टैंक चेकपॉइंट चार्ली पर एक दूसरे से 100 मीटर के फासले पर थे. 28 अक्टूबर को इस तनाव को बातचीत से दूर कर लिया गया.

एक सपने की कीमत

इसके अलावा पूर्व से पश्चिम में जाने की कोशिश में कई लोगों को सीमा पर सुरक्षा बलों की गोली का शिकार होना पड़ा. खास कर पेटर फेशटर उन लोगों में शामिल हैं जिसे बेहतर जिंदगी के सपने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. 17 अगस्त 1962 को पूर्वी जर्मनी के सैनिकों ने 18 साल के फेशटर को उस वक्त गोली मार दी जब वह पश्चिम बर्लिन में जाने की कोशिश कर रहा था. वह घंटों तक कंटीली तारों के बीच पड़ा रहा जहां अत्यधिक खून बहने से उसकी मौत हो गई.

Montage Buchcover Die Mauer - Fakten, Bilder, Schicksale und historische Aufnahme vom Mauerbau
भाग कर पश्चिम बर्लिन आते पूर्वी जर्मनी के इस पुलिसकर्मी की यह तस्वीर विभाजन की विडंबना का प्रतीक बन गई

दुनिया भर के मीडिया में उसकी तस्वीर छपी. अमेरिकी सैनिक उसे नहीं बचा पाए. वह था तो कुछ ही मीटर की दूरी पर लेकिन वह पूर्वी जर्मनी की सीमा थी. पूर्वी जर्मनी के सैनिक इसलिए आगे नहीं बढ़े कि कहीं उन्हें सीमा के पास आता देख पश्चिम हिस्से के सैनिक भड़क न जाएं. कुछ दिन पहले ही एक पश्चिमी सैनिक ने पूर्वी जर्मनी के एक सीमा गार्ड पर गोलियां चली दी थीं.

एक घंटे बाद पूर्वी जर्मन गार्ड्स ने फेश्टर की लाश को वहां से हटाया. पश्चिम बर्लिन में इस मौत पर जोरदार प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शनकारी पूर्वी हिस्से के सैनिकों की गोलीबारी और उस युवक को बचाने में पश्चिमी हिस्से के सैनिकों की नाकामी पर नाराज थे.

रिपोर्टः अशोक कुमार

संपादनः महेश झा

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