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जर्मन स्कूलों में बौद्ध धर्म की शिक्षा

३ अगस्त २०११

कोलोन के एक स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जा रही है. पहले सिर्फ बर्लिन के एक स्कूल में ऐसी शिक्षा दी जाती थी. लेकिन अब जर्मनी में बौद्ध शिक्षा आम बात हो गई है.

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तस्वीर: AP

बौद्ध धर्म 2003 से ही जर्मनी में धार्मिक शिक्षा का हिस्सा रहा है लेकिन सिर्फ बर्लिन के पब्लिक स्कूलों में ही. जर्मनी के दूसरे और राज्यों के निजी स्कूल भी अब बौद्ध धर्म को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर रहे हैं. पॉली, मंडाना, फ्रांसिस्का और आड्रियान सभी 7 और 9 साल की उम्र के बीच के हैं. स्कूल प्रांगण में एक दूसरे को पकड़ने का खेल खेलकर इन्हें अपनी चटाई पर लेटने को कहा गया है. लेकिन वह शरारत कर रहे हैं. इन बच्चों के टीचर वैर्नर हाइडेनराइष जो कि बौद्ध धर्म के शिक्षक हैं, इनकी हरकतों से गुस्से में हैं. हैंडरनिष कोलोन के अंतरराष्ट्रीय शांति स्कूल में शिक्षक जहां पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में बौद्ध धर्म भी शामिल है. यहीं नहीं वह कोलोन में बौद्ध केंद्र भी चलाते हैं.

Ausstellungstipss Museum Guimet Buddhismus
तस्वीर: picture-alliance / maxppp

बौद्ध धर्म सिखाने का सबका अपना तरीका

हाइडेनराइष फिलहाल पॉली, मंडाना, फ्रांसिस्का और आड्रियान को आंख बंद कर शांति से अपनी सांस को सुनने को कह रहे हैं. पेट का ऊपर नीचे होना महसूस करने को कह रहे हैं. हाथों की गर्मी को महसूस करना बच्चों को सिखा रहे हैं. दूसरी भाषा में कहा जाए तो बच्चों को ध्यान लगाना सिखा रहे हैं. ध्यान लगाना मुश्किल काम है या आसान इस पर बच्चे विभाजित हैं. फ्रांसिस्का कहती है, "आपको सिर्फ ध्यान लगाना है. आपको लेटना है या बैठना. बस आप इसे शांति और स्थिरता के साथ करें. आपको सोचना नहीं है. बस अपना दिमाग खोल लीजिए."

ध्यान एक कला है

Botanischer Garten Bonn: Lotusblume
तस्वीर: Botanische Gärten Bonn

आड्रियान को लगता है कि ध्यान लगाना सीखना होगा. "आपको सीखना होगा कि कैसे ध्यान लगाते हैं. आप बैठकर ध्यान लगा सकते हैं. आप तभी एक अच्छे ध्यान लगाने वाले बन सकते हैं जब तक आप उस स्थान पर न पहुंच जाएं जब आप कुछ नहीं सोच रहे हों." बौद्ध धर्म पर आधारित क्लास में हर वर्ग के बच्चे शामिल हो सकते हैं. जर्मनी के नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया राज्य में यह एक ऐसा अनोखा स्कूल हैं जहां इस्लाम, यहूदी, हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती है. कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट धर्म की भी शिक्षा यहां दी जाती है. हर विषय पर एक हफ्ते में दो बार क्लास लगती है.

लेकिन बिना किसी पाठ्य पुस्तक और निर्धारित पाठ्यक्रम के बौद्ध धर्म की शिक्षा बच्चों को भला कैसे दी जा सकती है. हाइडेनराइष पिछले तीन सालों से इसी तरह से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उनके लिए यह एक निरंतर प्रयोग हैं. हाइडेनराइष कहते हैं, "सबसे पहले, आपको तय करना होगा कि सीखने का लक्ष्य क्या होना चाहिए. हम क्या पाना चाहते हैं. बच्चा क्या सीखे, उसे कैसे विकसित होना चाहिए. इमानदारी से कहूं तो मैं अभी भी इन सवालों के जवाब ढूंढ रहा हूं."

रिपोर्ट: ऑलिवर चेच/आमिर अंसारी

संपादन: महेश झा

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