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जापान पर आए संकट से 235 अरब यूरो को नुकसान

२१ मार्च २०११

जापान में भयंकर भूकंप और सूनामी से अर्थव्यवस्था को लगी चोट की कीमत वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 235 अरब यूरो तक जा सकती है. जापान को पूरी तरह से इस नुकसान से उबरने में पांच साल लगेंगे.

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तस्वीर: dapd

एक सप्ताह की दहशत के बाद परमाणु खतरे से जूझ रहे जापान के इंजीनियरों को थोड़ी कामयाबी मिलने की खबर है. परमाणु सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक सोमवार को इन इंजीनियरों ने रिएक्टर नंबर दो के कंट्रोल रूप में कुछ गतिविधियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है. हालांकि इसी बीच 3 नंबर रिएक्टर में दबाव बढ़ रहा है. दबाव को कम करने के लिए इसे किसी रास्ते से बाहर निकालने पर विचार हो रहा है जिससे वातावरण में फिर विकिरण होगा.

एक साथ भूकंप, सूनामी और परमाणु खतरे की त्रासदी से जूझ रहे जापान को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक इस संकट से उबरने में पांच साल लगेंगे. इन आपदाओं ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को 235 अरब यूरो यानी उसकी जीडीपी के 4 फीसदी का नुकसान पहुंचाया है. वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के मुताबिक किसी भी हाल में 122 अरब यूरो का नुकसान तो होगा ही.

Flash-Galerie Japan nach dem Erdbeben und Tsunami
तस्वीर: AP

जापान पर इस वक्त तीन तरफ से मार पड़ी है. भूकंप और सूनामी के अलावा परमाणु खतरे ने भी मुश्किल में डाला है. हालांकि वर्ल्ड बैंक ने अपने आकलन में परमाणु हादसे की वजह से होने वाले नुकसान को शामिल नहीं किया है. जापान का वित्त बाजार सोमवार को बंद रहा. शुक्रवार को जापान और उसके सहयोगी जी 7 के अमीर देशों ने मुद्रा बाजार में दखल दे कर जापान की मुद्रा येन को और चढ़ने से रोका ताकि अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसके तुरंत बाद डॉलर मजबूत हुआ और अमेरिकी बाजारों में 80.59 येन की कीमत पर बिक रहा डॉलर सोमवार को एशियाई बाजारों में 80.90 तक जा पहुंचा.

जापान की जीडीपी में विकास की दर 2010 में 3.9 फीसदी थी इसी दौर में चीन ने इससे दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की जगह छीन ली और खुद उस पर जा बैठा.

कारोबार पर असर

वर्ल्ड बैंक के मुख्य क्षेत्रीय अर्थशास्त्री विक्रम नेहरू ने कहा कि जापान का संकट एशिया के दूसरे देशों पर भी असर डालेगा. लेकिन ये असर कितना होगा इसके बारे में कोई अनुमान लगाना फिलहाल जल्दबाजी होगी. वर्ल्ड बैंक ने 1995 में कोबे में आए भूकंप का हवाला देते हुए कहा है कि तब जापान का कारोबार केवल कुछ महीनों के लिए धीमा पड़ा और इसके बाद साल भर के भीतर आयात अपने पुराने दौर में लौट आया. इसी दौर में अर्थव्यवस्था भूकंप के पहले के स्तर पर 85 फीसदी तक वापस पहुंच गई. हालांकि वर्ल्ड बैंक ने ये भी कहा है, "इस बार आपदाओं ने उत्पादन के नेटवर्क पर खासतौर से ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग पर ज्यादा बुरा असर डाला है जिसके एक साल से ज्यादा समय तक कायम रहने की आशंका है."

Japan Erdbeben Tsunami Nuklear Krise NO FLASH
तस्वीर: AP

वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक इस आपदा के कारण पूर्वी एशिया में निर्यात 0.75 फीसदी से 1.50 फीसदी तक घट सकता है. इसी तरह जापान की जीडीपी में भी 0.25 से 0.50 फीसदी तक की कमी आने के आसार हैं. ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग जापान पर आने वाली आपदाओं की कीमत 1923 से ही लगातार चुकाते आ रहे हैं. इस बार भी टोयोटा और सोनी जैसी कंपनियों के प्लांट में काम बंद करना पड़ा है. जापान में बनी चीजों को खरीदने वाले कार निर्माता ओं के पास अप्रैल तक के लिए तो स्टॉक मौजूद है पर इसके बाद उन्हें मोटर पार्ट्स की कमी से जूझना पड़ेगा. जनरल मोटर कोरिया इसकी वजह से उत्पादन में कमी करने की योजना बना रहा है. मेमोरी चिप्स की कीमतें भी कुछ बाजारों में 20 फीसदी तक चढ़ गई हैं. दुनिया भर में बेची जाने वाली मेमोरी चिप्स का 36 फीसदी हिस्सा जापान में बनता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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