1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जापान में फिर भूकंप, विकिरण पर काबू नहीं

२८ मार्च २०११

सोमवार सुबह जापान में भूकंप के बड़े झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता 6.5 आंकी गई. परमाणु संकट से जूझ रहे जापान में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

https://p.dw.com/p/10ing
तस्वीर: AP

अमेरिकी भूगर्भ सर्वे के मुताबिक सोमवार सुबह पूर्वी जापान में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसके बाद सूनामी की चेतावनी भी जारी की गई. हालांकि किसी तरह के नुकसान की फिलहाल कोई खबर नहीं है लेकिन जापान की मौसम एजेंसी ने 1.6 फुट ऊंची सूनामी लहरों के मियागी में टकराने की चेतावनी जारी की है.

Japan Radioaktivität
तस्वीर: AP

सोमवार को आया भूकंप दो हफ्ते पहले आए अब तक के सबसे बड़े भूकंप के बाद आ रहे झटकों के सिलसिले में शामिल है. उस भूकंप की वजह से अब तक 27 हजार लोग या तो लापता हैं या अपनी जान गंवा चुके हैं. उस भूकंप के बाद आई सूनामी की वजह से जापान 25 साल के सबसे बड़े परमाणु संकट से जूझ रहा है.

विकिरण का इलाज नहीं

विकिरण स्तर बढ़ने की वजह से फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र में काम करना मुश्किल होता जा रहा है. इंजीनियर वहां लगे छह रिएक्टरों को काबू करने की कोशिश कर रहे हैं. विकिरण समुद्र के पानी तक पहुंच चुके हैं. रविवार को भी फुकुशिमा के दूसरे रिएक्टर में विकिरण का स्तर इतना ज्यादा हो गया कि काम रोकना पड़ा और इंजीनियरों को बाहर निकालना पड़ा.

परमाणु संयंत्र चलाने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर ने कहा कि विकिरण का स्तर बहुत ज्यादा है. जापान के परमाणु सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हिदेहिको निशियामा ने भी इसे खतरनाक बताया. उन्होंने कहा, "यह स्तर बहुत ज्यादा है. संभव है कि रिएक्टर से संक्रमित पानी का रिसाव हुआ हो."

यह स्तर एक हजार मिलिसिवेर्ट्स का है. इसका थोड़ा सा संपर्क भी आदमी को बीमार कर सकता है. टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर ने कहा है कि समुद्र के पानी में विकिरण का स्तर सामान्य से एक लाख गुना ज्यादा है. पहले कहा गया था कि यह एक करोड़ गुना ज्यादा है, लेकिन यह गणना गलत पाई गई.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः उभ

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें