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ज्यादा अखबार पढ़ रहे हैं भारतीय

१ जनवरी २०१२

पश्चिमी देशों में प्रिंट मीडिया लगातार सिकुड़ता जा रहा है लेकिन भारत में अखबारों की बिक्री लगतार बढ़ रही है. स्थानीय और क्षेत्रीय भाषा के अखबारों का फैलाव बढ़ता जा रहा है. भारत में बुरा हाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है.

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तस्वीर: AP

2010-2011 में भारत में अखबारों की बिक्री 8.23 फीसदी बढ़ी. रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर फॉर इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक अखबार छापने के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नबंर पर रहा. यूपी से 3,671 अखबार छपे. दिल्ली से निकलने वाले अखबारों की संख्या 1,933 रही. तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश हैं जहां फिलहाल 1,243 अलग अलग अखबार छप रहे हैं.

बिक्री के मामले में भी यूपी शीर्ष पर है. उत्तर प्रदेश में अखबारों की 6.97 करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिकती हैं. दिल्ली में 5.27 करोड़ प्रतियां बिकती हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल स्थानीय और क्षेत्रीय भाषा के अखबारों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ. भारत में फिलहाल हिंदी के 7,910 अखबार छपते हैं. अंग्रेजी के 1,406, उर्दू के 938, गुजराती के 761, तेलुगु के 603, मराठी के 521 और बंगाली के 472 अखबार छपते हैं.

एक मात्र संस्करण में सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार अखबार तेलुगु का 'इनाडु' है. इनाडु की 16,74,305 प्रतियां बिकती हैं.

वहीं भारत में न्यूज चैनलों का हाल बुरा है. न्यूज चैनलों की संख्या बढ़ी है लेकिन उनकी विश्वसनीयता को गहरा आघात लगा है. कई न्यूज चैनल तो बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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