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ट्यूनीशिया में जीते इस्लामपंथी, झड़पें भी हुईं

२८ अक्टूबर २०११

ट्यूनीशिया के चुनावों में इस्लामी इनाहदा पार्टी को विजेता घोषित किया गया लेकिन वह बहुमत से दूर है. 217 में उसे 90 सीटें मिली हैं. उसकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी पार्टी 30 सीटों पर जीती है. कुछ जगह चुनावों के बाद हिंसा हुई.

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तस्वीर: cc-by-sa-cbj22

यह तय है कि अब तक अरब दुनिया में सबसे धर्मनिरपेक्ष समझे जाने वाले ट्यूनीशिया में अगली सरकार का नेतृत्व इस्लामी पार्टी करेगी. हालांकि इनाहदा ने यह भरोसा देने की कोशिश की है कि वह महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगी और समाज पर इस्लामी नैतिक संहिता को लागू नहीं करेगी.

इस साल जनवरी में राष्ट्रपति बेन अली के सत्ता छोड़ सऊदी अरब भाग जाने के बाद ट्यूनीशिया के इन चुनावों में इस्लामपंथियों को जीत मिली है. एक सब्जी विक्रेता मोहम्मद बौअजीजी के आत्मदाह के बाद ट्यूनीशिया में 20 साल से सत्ता में जमे बेन अली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए और इनके नतीजे में देश ने एक अब एक नए दौर में प्रवेश किया है. ट्यूनीशिया से ही प्रेरणा पाकर मिस्र और लीबिया के लोगों ने भी दशकों पुरानी सत्ताओं को चलता कर दिया.

Tunesien Demonstration in Tunis gegen Wahlergebnis Plakat
तस्वीर: dapd

नए ट्यूनीशिया का सपना

इनाहदा पार्टी के नेता राशिद घनौची कहते हैं, "हम सिदी बौजिद और उसके बेटों को सलाम करते हैं जिन्होंने चिंगारी की शुरुआत की और दुआ करते हैं कि खुदा मोहम्मद बौअजीजी को शहीद बनाए." बेहद मीठे बोलने वाले और इस्लामी विद्वान घनौची ने ब्रिटेन में 22 साल निर्वासित जीवन बिताया है.

अपने समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए घनौची ने कहा, "हम बराबर कोशिश करते रहेंगे कि यह क्रांति ऐसे ट्यूनिशिया के लक्ष्य को हासिल कर सके जो स्वतंत्र हो, आजाद हो और विकासशील व समृद्ध हो. जहां खुदा, पैगंबर, महिलाओं, पुरूषों, धर्मिक और गैर धार्मिक लोगों के अधिकार सुरक्षित हों."

चुनाव आयोग की तरफ से जारी नतीजों के मुताबिक इनाहदा ने 217 सीटों वाली संसद में 90 सीटें जीती हैं. यह संसद देश का नया संविधान बनाएगी, एक अंतरिम सरकार गठित करेगी और देश में नए चुनावों का कार्यक्रम बनाएगी जो शायद 2013 में कराए जाएंगे.

इनाहदा पार्टी के निकटतम प्रतिद्वंद्वी धर्मनिरपेक्ष पार्टी कांग्रेस फॉर द रिपब्लिक ने 30 सीटों पर जीत हासिल की है. ट्यूनीशिया में रविवार को वोट डाले गए जिनमें 90 प्रतिशत मतदान हुआ.

बिकिनी पर बैन नहीं

जनवरी में हुई क्रांति से पहले इनाहदा पार्टी पर प्रतिबंध था. अब सरकार बनाने के लिए उसे धर्मनिरपेक्ष पार्टियों से गठजोड़ करना होगा. लेकिन अहम पदों पर इस्लामिक पार्टी के लोग ही बैठेंगे. इस बात का एलान पहले ही हो चुका है कि इनाहदा पार्टी के महासचिव हमादी जबेली को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा.

Wahlen Anhänger der Ennahda-Partei in Tunesien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

उधर धर्मनिरपेक्ष धड़े का कहना है कि कट्टर इस्लामी लोग समाज पर इस्लामी नैतिक संहिता थोपने की कोशिश करेंगे. हालांकि घनौची इससे इनकार कर चुके हैं. उनके अधिकारियों ने कहा है कि देश में आने वाले विदेशी पर्यटकों पर कोई पाबंदियां नहीं होंगी. वे समंदर के किनारों पर शराब भी पी सकते हैं और बिकिनी भी पहन सकते हैं. विदेशी सैलानी ट्यूनीशिया की आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं. इनाहदा पार्टी ने निवेशकों की चिंताओं को दूर करने की भी कोशिश की है.. उसने बैंकों पर इस्लामी नियम लागू न करने की बात कही है. नई सरकार बनने के बाद वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर को उनके पदों पर रखा जाएगा.

सात साल पहले फलीस्तीनी इलाके में हमास की जीत के बाद इनाहदा जीत दर्ज करने वाली पहली इस्लामिक पार्टी है. इसी तरह के नतीजों की उम्मीद मिस्र में भी की जा रही है. वहां नवंबर में संसदीय चुनाव होने जा रहे हैं जिनमें मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी के जीतने की भविष्यवाणियां की जा रही हैं.

'क्रांतिस्थल' पर हिंसा

ट्यूनीशिया की क्रांति सिदी बौजिद नाम की जिस जगह से शुरू हुई, वहां गुरुवार को चुनाव नतीजे आने के बाद हिंसा देखने को मिली. प्रदर्शनकारी इस बात से नाराज थे कि चुनाव अधिकारियों ने पॉपुलर लिस्ट पार्टी की जीती हुई सीटों को रद्द कर दिया. इस पार्टी का नेतृत्व बिजनसमैन हाशमी हामदी कर रहे हैं और चुनाव प्रचार में वित्तीय धांधली के आरोपों के चलते उनकी पार्टी की जीती हुई सीटें रद्द कर दी गईं. यह पार्टी सिदी बौजिद में बहुत लोकप्रिय है.

एक स्थानीय व्यक्ति मेहदी होरचेनी ने बताया, "उन्होंने मेयर के दफ्तर के एक बड़े हिस्से में आग लगा दी और पुलिस कहीं भी नहीं दिख रही है." होरचेनी ने बताया कि शहर के दूसरे इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने इनाहदा पार्टी के चुनावी दफ्तरों को आग लगा दी. पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली.

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी हाफेद अब्दुल्ली ने बताया कि भीड़ सड़कों पर टायर जला रही थी. वह कहते हैं, "लोग पॉपुलर लिस्ट पार्टी की जीती सीटों को खारिज किए जाने पर विरोध कर रहे हैं." शुरुआती नतीजों के मुताबिक पॉपुलर लिस्ट चुनावों में चौथे नंबर पर चल रही थी कि तभी उसकी सीटें खारिज कर दी गईं. यह पार्टी बेन अली का समर्थन करती थी और इसका चुनाव प्रचार भी बेन अली के ब्रिटेन स्थित टीवी चैनल पर खूब किया गया.

रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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