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दृष्टिहीनता के सामने है स्पर्शबोध

२६ अक्टूबर २००९

कहा जाता है कि जब प्रकृति किसी मनुष्य से कुछ छीन लेतीं है तब इसके बदले में कुछ वापस भी देतीं हैं. यही बात नेत्रहीनों पर भी शायद लागू होती है. जर्मनी में कई नेत्रहीन महिलाएं स्पर्श मात्र से स्तन कैंसर को पकड़ लेती हैं.

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प्रशिक्षण के बाद स्पर्श से पहचान लेती हैं स्तन कैंसरतस्वीर: AP

कई अध्ययनों से पता चला है कि नेत्रहीन व्यक्तियों में स्पर्शबोध यानी छूने-टटोलने की शक्ति ज़बरदस्त होती है, मानो उनके हाथों में देखन की क्षमता छिपी हुई है. जर्मनी के डुइसबुर्ग शहर के एक स्त्रीरोग डॉक्टर को इसलिए विचार आया कि नेत्रहीन महिलाओं को अन्य महिलाओं के स्तन में गांठ टटोलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. मारी लुईज़े फोल 52 साल की उम्र में एक बीमारी की वजह से देखने की क्षमता खो बैठीं. लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर फ्रांक होफ़मान की क्लिनिक में मारी लुईज़े फोल अब महिलाओं के स्तन की एहतियाती जांच में मदद करतीं हैं. वो कहती है, ''जांच से पहले मैं महिलाओं से बहुत सारा सवाल पूछतीं हूँ. इससे मुझे पता चलता है कि क्या परिवार में पहले भी कभी छाती के कैंसर के मामले हुए हैं. इससे महिलाओं का डर भी समझ में आता है. लेकिन मेरी यह भी कोशिश रहतीं हैं कि मेरे कमरे में शांतिपूर्ण और अच्छा वातावरण हो. मै महिलाओं के प्रति अपनापन और निकटता दिखाकर उनका डर दूर करना चाहतीं हूं.''

मारी लुईज़े फोल का कहना है कि वह इसका भी ध्यान रखती हैं कि उनके हाथ नरम हों और जिस कमरे में स्तन की जांच की जाती है, वहां अच्छी रोशनी हो. मारी लुईज़े फोल को नौ महीने तक छाती में गांठ टटोलना का प्रशिक्षण मिला है. वो कहती हैं, ''सबसे पहले हमने बहुत सारी थ्योरी सीखी, यानी स्तन की संरचना, इलाज और स्तन की बीमारियों की पहचान. साथ ही की मरीज़ों के साथ संवाद कैसे किया जा सकता है. उसके बाद हमने प्रशिक्षण नमूनों पर टटोलना और अपने आप पर टटोलना सीखा और अपनी टीचरों के साथ भी ऐसा किया.''

Blinde Kunsliebhaberinnen Iva Srot und Dajana Biondic.
नेत्रहीन महिलाओं में लौट रहा है आत्मविश्वासतस्वीर: DW

नेत्रहीन महिलाओं के टटोलने के समय स्तन को चार ज़ोनों में बांट दिया जाता है. उसे स्ट्राईप्स यानी पट्टियां लगा कर एक दूसरे से अलग किया जाता है. टटोलने वाली महिला को स्तन टटोलटे हुए जब भी कुछ सामान्य नहीं लगता, तो वह डॉक्टर को बहुत ही सटीक तरीके से वह सही जगह बता सकतीं है, जहां उसने ऐसा महसूस किया. डॉक्टर के पास जांच कराने के लिए कभी कभार केवल कुछ ही पल का समय होता हैं, जबकि नेत्रहीन महिलाओं के पास तीस मिनट तक का समय होता है. यह भी देखा गया है कि महिलाएं इस बात से ज़्यादा खुश होती हैं कि एक महिला उनकी छाती को छू रही है और उसकी जांच कर रही है.

डॉक्टर फ्रांक होफमान ने कुछ साल पहले यह प्रोजेक्ट शुरू किया था. उनका कहना है कि इस बीच उनकी अपनी क्लीनिक में ही नहीं बल्कि दूसरे डॉक्टरों के क्लीनिकों में भी नेत्रहीन महिलाएं कैंसर की पहचान के लिए स्तन टटोलने का काम कर रही है. डॉक्टर फ्रांक होफमान कहते हैं, ''अपने अध्ययनों में हमने पाया कि नेत्रहीन महिलाएं उतना ही अच्छा टटोल सकती थीं, जितना एक विशेषज्ञ डाक्टर. लेकिन वह ऐसा तब भी कर सकतीं थीं, जब उन्होने अपना काम शुरू ही किया था. उन्होने बहुत सारी ऐसी असमान्य चीज़ों का पता लगाया, जो दूसरे डॉक्टर सामान्य समझते थे.''

स्पर्शबोध करने वाली महिलाएं मिलिमीटर छोटी गांठ तक का पता लगाने की योग्यता रखती हैं. डॉक्टर होफमान का कहना है कि खासकर युवा महिलाओं के लिए जांच का यह तरीका बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. जर्मनी में बीमा कंपनियां 50 साल की उम्र के बाद ही हर दो साल पर महिलाओं की मैम्मोग्रैफी, यानी स्तन की स्क्रीनिंग का ख़र्च उठातीं हैं. लेकिन आजकल ग़लत खाने-पीने, तनाव या बहुत कम शारीरिक मेहनत की वजह से भी युवा महिलाओं में छाती के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. फिलहाल जर्मनी में करीब एक दर्जन अंधी महिलाएं कैंसर की पहचान के लिए स्तन टटोलने का काम करती हैं. लेकिन कई दूसरी अभी प्रशिक्षण पा रही हैं.

डॉक्टर होफमान का यह भी कहना है कि विकासशील देशों में भी छाती का कैंसर पहचानने में नेत्रहीन महिलाओं के स्पर्श ज्ञान का उपयोग हो सकता है. इस तरह ये महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकती है अपनी काबिलियत पर गर्व करने के साथ साथ उनके अंदर आत्मविश्वास भी जगाया जा सकता है. सामाज में उनकी एक अलग जगह भी बन सकती है.

रिपोर्ट: प्रिया एसेलबॉर्न

संपादन: ओ सिंह