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नीदरलैंड में शरणार्थियों के लिए रियलिटी शो

१० सितम्बर २०११

नीदरलैंड में एक रियलिटी शो शरणार्थियों के लिए पैसा जीतने का मौका लेकर आया है. टीवी शो के जरिए यहां शरणार्थी पैसा तो जीत सकते है लेकिन यह उनके वापस घर जाने के ही काम आएगा. वे इससे यहां रहने का जुगाड़ नहीं कर पाएंगे.

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तस्वीर: AP

एक घंटे के इस खास शो में हॉलैंड के शरणार्थी मुकाबले में उतरते हैं और डच जीवनशैली से जुड़े सवालों का जवाब देते हैं. जीतने वालों के लिए 4 हजार यूरो यानी करीब ढाई लाख रुपये का इनाम रखा गया है. दुखद यह है कि यह पैसा शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने के काम आता है. डच भाषा में वैग फॉन नीदरलैंड नाम के इस शो का हिंदी में दो तरह से मतलब निकाला जा सकता है. पहला नीदरलैंड से दूर और दूसरा नीदरलैंड का स्नेह.

ब्लेजिंग न्ज्हॉब 4000 यूरो का इनाम जीतने की कोशिश में जुटे पांच प्रतिभागियों में से एक हैं. ये पांचों पढ़े लिखे प्रशिक्षित लोग हैं. 24 साल की ब्लेजिंग ने 9 साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में कैमरून से यहां आईं. एविएशन की इस छात्रा को मुकाबले में मौजूद दूसरे लोगों की तरह ही यहां रहने की अनुमति नहीं मिली है और जल्दी ही उन्हें यह देश छोड़ कर जाना होगा. कार्यक्रम में शामिल होने के पीछे ब्लेजिंग की अपनी दलील है, वह कहती हैं, "इस टीवी शो ने हमें यह मौका दिया है कि हम सामने आकर दुनिया को दिखाएं कि हम डच लोगों जैसे ही हैं, हम यहां रहते हैं, उनकी संस्कृति को जानते हैं, उनकी भाषा बोलते हैं, बस हम जीना चाहते हैं. मेरा मतलब है कि हम इतने साल से यहां रह रहे हैं और अचानक हमसे यह उम्मीद की जा रही है कि सब कुछ पीछे छोड़ कर हम वापस चले जाएं."

Weg van Nederland
तस्वीर: AP

शरणार्थियों की समस्या

टीवी का गेम शो कभी हंसाता है तो कभी व्यंग्य के तीखे बाण भी चलाता है और इसमें भाग लेने वाले इन सबसे हो कर गुजरते हैं. डच लोगों के बारे में हर तरह के सवालों का जवाब देते ये प्रतिभागी कई चुनौतियों का सामना भी करते हैं. मुकाबले में इनसे चीज के टुकड़े पर नीदरलैंड का नक्शा बनाने जैसा काम भी सौंपे जाते हैं. हर राउंड में जिसके सबसे कम अंक होते हैं वह मुकाबले से बाहर होता जाता है. स्टूडियो से बाहर उसे इस तरह से भेजा जाता है जैसे कि विमान में बिठाया जा रहा हो. बाहर जाने वालों में ब्लेजिंग सबसे पहली प्रतिभागी हैं.

शो बनाने वाले प्रोड्यूसर का कहना है कि वह नीदरलैंड में रह रहे ढाई लाख शरणार्थियों की समस्या की तरफ लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं. इनमें से कई लोगों को अपना देश छोड़े दशक भर से ज्यादा हो चुका है लेकिन नीदरलैंड में रहने की अनुमति के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.

इस टीवी गेमशो ने नीदरलैंड के लोगों को बांट दिया है. बहुत से लोग इसे बुरा बता रहे हैं पर एम्सटर्डम रिफ्यूजी सॉलि़डैरिटी कमेटी से जुड़ीं पेट्रा शुल्ट्ज की राय है कि गेमशो के सवालों ने डच संस्कृति के बारे में लोगों की समझ को दुनिया के सामने ला दिया है. शुल्ट्ज कहती हैं, "हर कोई समझता है कि पवनचक्की, ट्यूलिप और सिंटरक्लास वास्तव में डच हैं. लेकिन सच्चाई तो यह है कि सिंटरक्लास का संबंध तुर्की से है. इसी तरह बाकी चीजें भी दूसरे देशों की हैं. मुझे लगता है कि यह अच्छा हुआ है कि इससे पता चल गया है कि हम बहुसंस्कृतिवाद वाले देश हैं भले ही इसे पसंद करें या नहीं."

प्रवासन का विरोधाभास

शरण मांगने वालों को पढ़ाई और नौकरी के मामले में सहयोग और सुझाव देने वाली संस्था फाउंडेशन फॉर रिफ्यूजी स्टूडेंट के निदेशक कीस ब्लाइश्रॉट का कहना है कि इस गेमशो से पता चल जाता है कि नीदरलैंड अपनी शरणार्थी नीति की वजह से कितनी प्रतिभाओं को खो रहा है. ब्लाइश्रॉट के मुताबिक, "हम जान गए हैं कि भविष्य में जल्दी ही हमें युवा, खूब पढ़े लिखे लोगों की डच अर्थव्यवस्था के लिए जरूरत होगी. लेकिन दूसरी तरफ हम इन आदर्श प्रवासियों को इतने सालों के बाद अपने देश से बाहर निकाल रहे हैं."

इसके साथ ही ब्लाइश्रॉट ने कहा कि जल्दी ही वापस भेजे जाने वाले कुछ लोगों ने अच्छी तालीम हासिल की है और बहुतों ने अच्छी नौकरी भी. ब्लाइश्रॉट की संस्था ने सरकार पर दबाव बनाया है कि वह शरण देने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन साल की समयसीमा तय करे. अगर इसके भीतर फैसला न हो पाए तो इन लोगों को इसके बाद निश्चित रूप से अपने आप ही शरण दे दी जाए. ब्लाइश्रॉट ने उम्मीद जताई है कि इस शो को मिल रही मीडिया कवरेज ने इस मुद्दे पर बहस छेड़ी है और पांच लोगों को शरण देने के मामले पर फिर से विचार किया जा रहा है.

लोगों की समस्या सुलझाने की अपनी अलग तरह की कोशिशों के लिए नीदरलैंड दुनिया भर में विख्यात है. नया रियलिटी शो इसी तरह की पहल है. यूरोप के कई देश अपने यहां बहुसंस्कृतिवाद का झंडा बुलंद रखने के लिए शरणार्थियों का बाहें फैला कर स्वागत करने का दम भरते हैं. पर इससे कई समस्याएं भी हैं और इन समस्याओं का अहसास नीदरलैंड के इस नए टीवी गेम शो से हो जाता है.

रिपोर्टः सिंटिया टेलर/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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