1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नैतिकता ने नाम पर अफगान औरतों को जेल

२९ मार्च २०१२

घर से भागने और अवैध रिश्ते रखने के आरोपों में सैकड़ों अफगान महिलाएं जेलों की दीवारों में कैद हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

https://p.dw.com/p/14TgI
तस्वीर: AP

'मुझे भागना पड़ा' नाम से छपी यह रिपोर्ट काबुल में जारी की गई और इन महिलाओं को आजाद करने की मांग की गई. इसके साथ ही कहा गया कि पश्चिमी देशों के समर्थन वाली राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के आधार पर इन महिलाओं को रिहा करने के कर्तव्य को पूरा करने में नाकाम रही.

ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनेथ रॉथ ने कहा, "यह हैरान करने वाली बात है कि तालिबान को सत्ता से हटाने के 10 साल बाद भी घरेलू हिंसा या जबर्दस्ती शादी की वजह से घर छोड़ कर भागने वाली महिलाएं और लड़कियां कैद में हैं."

सैकड़ों महिलाएं जेल में

एजेंसी का अनुमान है कि करीब 400 महिलाएं और लड़कियां घर से भागने के आरोप में जेलों या बाल सुधारगृह की चारदीवारी में बंद है. हैरानी की बात है कि अफगानिस्तान की दंड संहिता में घर से भागना अपराध नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है, "कुछ महिलाओं और लड़कियों को शादी से बाहर सेक्स का दोषी करार दिया गया है. इनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिनके साथ बलात्कार हुआ या फिर उनसे जबर्दस्ती जिस्मफरोशी कराई गई."

इस रिपोर्ट के मुताबिक, "जज ऐसे मामलों में ज्यादातर वकीलों की गैरमौजूदगी में दिए कबूलनामे के आधार पर फैसला सुना देते हैं. इन महिलाओं को बिना पढ़ाए या सुनाए ही इनके दस्तखत ले लिए जाते हैं. इनमें से ज्यादातर पढ़ लिख भी नहीं सकतीं. दोषी ठहराने के बाद इन्हें कैद की लंबी सजा मिलती है. कई मामलों में तो 10-10 साल की."

AP Iconic Images Afghanistan Frauen in Burkas
तस्वीर: AP

कैद में भी डर

यहां के रूढ़िवादी समाज की कैसी हालत है, यह इस बात से भी समझी जा सकती है कि ह्यूमन राइट्स वॉच ने जिन 58 कैदियों से इस रिपोर्ट के लिए बातचीत की उनमें ज्यादातर ने डर जताया कि रिहा होने के बाद उनके घरवाले 'सम्मान के लिए' उनकी हत्या कर देंगे. 17 साल की खालिदा एक लड़के के साथ भागने के आरोप में जेल में बंद है. उसके मां बाप ने उस लड़के के साथ खालिदा की शादी से इनकार कर दिया. वह बताती है, "मेरे मां बाप हर हफ्ते मुलाकात वाले दिन यहां आते हैं. हर बार वो कहते हैं कि जेल के अधिकारियों को पैसे देकर मुझे छुड़ाएंगे और फिर मार डालेंगे."

रिपोर्ट में एक और महिला का बयान है, जिसे तीन साल की सजा सुनाई गई. उसके ससुर ने उसके साथ बलात्कार किया. फिर वह भाग गई. उसके भाई की भी हत्या कर दी गई. वह बताती है, "मैं यहां खुश हूं. यहां मुझे डर नहीं लगता क्योंकि मैं जानती हूं कि यहां रात में कोई मुझे मारने नहीं आएगा."

कानून पर सवाल

राष्ट्रपति करजई लगातार नैतिक अपराधों में फंसी महिलाओं को माफी देते रहते हैं. हालांकि मानवाधिकार एजेंसी के लिए रिसर्च करने वाली हीथर बार कहती हैं, "यह अच्छा है कि वह ऐसा कर रहे हैं लेकिन सिर्फ इतने से यह अन्याय खत्म नहीं होगा. जो साल या महीने आपने जेल में बिता दिए वो वापस नहीं मिलते. इससे यह सच्चाई नहीं बदलती कि कई महिलाएं ऑनर किलिंग के जोखिम से सिर्फ इसलिए जूझ रही हैं क्योंकि उन्हें इन नैतिक अपराधों का दोषी ठहराया गया है."

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन खत्म होने के बाद महिलाओ की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. बड़ी संख्या में लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं. लेकिन अमेरिकी और अफगान सरकार के तालिबान के साथ शांति समझौते की कोशिशों ने उनके मन में यह डर शुरू कर दिया है कि जो आजादी उन्हें मिली है, वो छिन जाएगी.

औरतों का दर्जा कम

हाल ही में राष्ट्रपति हामिद करजई ने देश की सबसे ऊंची इस्लामिक संस्था उलेमा काउंसिल के उस फैसले की पुष्टि की है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम कीमती बताया गया. इसमें यह भी कहा गया है, "महिलाओं को पढ़ाई, बाजार, दफ्तर या दूसरी सामाजिक जगहों पर अनजान पुरुषों से मिलने जुलने से बचना चाहिए." जाहिर है कि उलेमा काउंसिल नहीं चाहती कि महिलाएं यूनिवर्सिटी में पढ़ें या दफ्तरों में काम करें. इसमें यह भी कहा गया है, "महिलाओं को छेड़ना, प्रताड़ित करना या पीटने की मनाही है लेकिन इसके लिए शरीया के अनुकूल कोई वजह नहीं है." ऐसा कह कर इस बात की छूट दे दी गई है कि कुछ परिस्थितियों में उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार बनाया जा सकता है.

बार का कहना है कि एक तरफ जहां पश्चिमी देश अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय फौज की वापसी की ओर बढ़ रहे हैं वहीं राष्ट्रपति करजई ज्यादा रुढ़िवादी दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं. राष्ट्रपति के प्रवक्ता आयमाल फैजी ने ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट को खारिज किया है. फैजी का कहना है, "पिछले एक दशक में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. अफगानिस्तान का संविधान और दूसरे कानून महिलाओं के अधिकार की रक्षा करते हैं." हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, "हम इस बात से इनकार नहीं करते कि जंग से जूझते अफानिस्तान में महिलाएं अब भी समस्याओं का सामना कर रही हैं."

रिपोर्टः एएफपी, एपी, डीपीए/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी