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पत्नी ने पढ़ना चाहा तो अंगुलियां काट दी

१७ दिसम्बर २०११

बांग्लादेश में एक व्यक्ति ने अपने 21 साल की पत्नी की चार अंगुलियां काट दी हैं क्योंकि उसकी पत्नी कॉलेज में पढ़ना चाहती थी. घरेलू हिंसा की इस बर्बर वारदात के खिलाफ पुलिस कार्रवाई होने जा रही है.

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तस्वीर: Fotolia/Phase4Photography

रफीकुल इस्लाम की पत्नी ने उसे बिना बताए कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई शुरू की. पुलिस प्रमुख मोहम्मद सलाउद्दीन के मुताबिक इससे झल्लाए इस्लाम ने अपनी पत्नी के मुंह को टेप से बंद किया और उसके दाएं हाथ से चार अंगुलियां काट दीं. सलाउद्दीन ने कहा, "वह नाराज था क्योंकि उसे अपनी पत्नी का कॉलेज में पढ़ना अच्छा नहीं लगा. उसने बस आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और उसकी पत्नी कॉलेज में पढ़ना चाहती थी."

बांग्लादेश में महिला अधिकारियों के लिए मुहिम चला रहीं सुल्ताना कमाल का कहना है कि बांग्लादेश में पहले भी ऐसे मामले हुए हैं जब पतियों ने अपनी पत्नियों के खिलाफ हिंसा का प्रयोग किया है, हालांकि इस तरह का बर्बर हादसा पहली बार देखने को मिल रहा है. कमाल कहती हैं कि ऐसे मामले बांग्लादेश में ही नहीं, बल्कि हर ऐसे देश में होती हैं जिनमें पुरुष प्रधान समाज है. पत्नियां ही नहीं, बल्कि कई परिवारों में माओं, बेटियों और बहनों को भी अपने परिवार के पुरुष सदस्यों के हिंसा का सामना करना पड़ता है.

लेकिन कमाल का कहना है कि यह मामला इसलिए चौंका देने वाला है क्योंकि आधुनिक समाज में कोई व्यक्ति अपनी पत्नी की अंगुलियां काट कर उसे सबक सिखाना चाहता है. 21वी शताब्दी में ज्यादातर लोग महिलाओं की पढ़ाई को एक जरूरत के तौर पर देखते हैं, रूढ़ीवादी समाजों में भी.

बांग्लादेश में मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ऐसे मामले देश में बढ़ रहे हैं. इस साल जून में एक बेरोजगार पति ने अपनी पत्नी की आंखें नोच लीं क्योंकि वह कॉलेज में प्रोफेसर थी और उसे कनाडा के विश्वविद्यालय में आगे पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई थी. 2010 में महिलाओं पर तेजाब फेंकने के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है.

पुलिस प्रमुख सलाउद्दीन के मुताबिक रफीकुल इस्लाम ने अपनी गलती मान ली है. पुलिस ने शुरुआती जांच कर ली है और इस्लाम पर अंगभंग करने का मुकदमा दर्ज किया है. इस आधार पर इस्लाम को आजीवन कारावास की सजा भी मिल सकती है.

बांग्लादेश की सरकार इस बीच महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिए कुछ कदम उठाए हैं. घरेलू हिंसा के खिलाफ एक कानून पारित किया गया है लेकिन महिला कार्यकर्ता कमाल कहती हैं कि इस तरह की हिंसा को केवल कानून से रोका नहीं जा सकता है. इस पर रोक लगाने के लिए जनता की मानसिकता को बदलना होगा और लोगों को समझना होगा कि महिलाओं को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना एक पुरुष को. इस सिलसिले में शिक्षा एक अहम भूमिका निभा सकती है.

वहीं रफीकुल इस्लाम की पत्नी का कहना है कि एक हाथ की अंगुलियां गईं तो क्या हुआ, दूसरे हाथ से तो काम हो ही सकता है. अस्पताल में इलाज कराने के बाद अब वह घर पर अपने माता पिता के साथ हैं.

रिपोर्टः एएफपी, मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः ओ सिंह

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