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फुटपाथ पर खुली लाइब्रेरी

१५ मार्च २०१२

छात्रों की आवाजाही से भरपूर बॉन की एक गली, पॉपल्सडॉर्फर अली. और इस व्यस्त गली के एक फुटपाथ रखी है किताबों की एक अलमारी. न कोई ताला न अलार्म. लोग अलमारी खोलते हैं, किताबें ले जाते हैं और फिर रख जाते हैं.

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पॉपेल्सडॉर्फर अली में किताबों की खुली अलमारीतस्वीर: DW

जर्मनी के शहर बॉन में पुस्तक प्रेमियों की यह एक अजीबोगरीब लाइब्रेरी है. इसे नाम दिया गया है ऑफनेर ब्यूशरश्रांक, यानी किताबों की खुली अलमारी. नौ साल पहले यूनिवर्सिटी के छात्र ने यह आयडिया दिया जो अब किताब प्रेमियों के लिए वरदान बन गया है.

कोहरे में दुबकी एक सुबह जब मैं खुली किताबों वाले प्रोजेक्ट से जुड़े आंद्रे श्लाग से मिलने गया तब इस अलमारी के पास कई लोग जमा थे और अपनी पसंद की किताबें ढूंढ रहे थे. इनमें से कुछ के पास अपनी किताबें थीं, जो उन्होंने वहां रख दी.

इस तरह हुई शुरूआत...

इस प्रोजेक्ट से जुड़े आंद्रे श्लाग बताते हैं कि यहां का सिटिजन फाउंडेशन ब्युर्गर श्टिफ्टुंग हर साल एक प्रतियोगिता करवाता है. इसमें बॉन शहर की बेहतरी के लिए नए नए आयडिया देने होते हैं. 2002 में बॉन यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने इस तरह की लाइब्रेयरी बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था. ब्युर्गर श्टिफ्टुंग के सदस्यों को ये काफी पसंद आया. 2003 में इसने आकार लिया और बॉन में पहला ओपन बुक कबर्ड शुरू कर दिया गया. अब इनकी संख्या 6 हो चुकी है. 2 कबर्ड अस्पताल और अन्य जगहों पर भी रखे गए हैं. हर साल एक नई अलमारी कहीं न कहीं लगाई जाती है.

Offener Bücherschrank in Bonn
ओपन बुक कबर्डतस्वीर: DW

हर उम्र के लोग उठाते हैं लाभ...

श्लाग के अनुसार "2013 में ओपन बुक कबर्ड को 10 साल हो जाएंगे. हर दिन बच्चे, बूढे, महिलाएं और छात्र सभी इसका लाभ उठाते हैं. कबर्ड के आसपास हमेशा भीड़ जमा नजर आती है." यह उन लोगों के लिए भी बेहद उपयोगी है जो महंगी किताबें नहीं खरीद सकते लेकिन पढ़ना चाहते हैं. उन्हें बस इस कबर्ड तक आना भर होता है.

2 हजार किताबों की अदला-बदली

एक कबर्ड में 300 से अधिक किताबें रखी होती हैं. शहर में लगाए गए सारी अलमारियों में लगभग 2000 किताबें होती है. ये किताबें हर 2-3 दिन में बदल भी जाती है. इसका फायदा यह होता है कि हर बार पढ़ने वालों को नई-नई किताबें मिलती है वह भी बगैर रूपए खर्च किए. हालांकि अधिकांश किताबें यहां जर्मन भाषा में ही होती है लेकिन कभी कभार लोग कुछ किताबें अंग्रेजी और तुर्की भाषा की भी रख कर जाते हैं.

50 शहरों में अपनाया मॉडल

बॉन से शुरू हुई इस अनोखी लाइब्रेरी का मॉडल थोड़े ही समय में काफी प्रसिद्ध हो गया. फिलहाल जर्मनी के 50 से अधिक शहरों में ओपन बुक कबर्ड या इसी तरह के मॉडल को देखकर लाइब्रेयरी संचालित की जा रही है .श्लाग बताते हैं कि हर वीकेंड पर किसी न किसी शहर से किताबों की खुली अलमारी के बारे में जानकारी लेने के लिए फोन आते हैं. हम चाहते हैं दुनिया भर में इस तरह की व्यवस्था हो ताकि लोग खूब किताबें पढ़ सकें.

किताबों का सम्मान

किताबें गुम होने या नहीं लौटाने के सवाल पर श्लाग ने बताया कि यहां लोग किताबों का काफी सम्मान करते हैं. वे किताबों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते. किताबें ले जाने वाले लोग कबर्ड में किताबें रखते भी है. श्लाग के अनुसार वे रोजाना सुबह पॉपेल्सडॉर्फर एली में रखी कबर्ड के पास से गुजरते हैं. यहां हर दिन नई किताबें नजर आती है.

सिटिजन फाउंडेशन ब्युर्गर श्टिफ्टुंग की शुरूआत 170 सदस्यों ने मिलकर की थी. हर एक ने 500 यूरो या उससे अधिक राशि एकत्रित की थी. इस राशि के ब्याज से मिलने वाली रकम से संस्था अलग-अलग तरह की योजनाएं संचालित करती है. साल में 4 बार 6 से 10 साल के बच्चों के लिए अखबार भी निकाला जाता है. हर साल होने वाले आईडिया प्रतियोगिता के लिए भी 30 हजार यूरो खर्च किए जाते हैं.

रिपोर्ट:जितेन्द्र व्यास

संपादन:

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