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फ्रैंकफर्ट मेले में ईबुक की धूम

१० अक्टूबर २०१२

फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में इस बार ईबुक यानी इलेक्ट्रॉनिक किताबों की धूम है. प्रकाशकों की कोशिश है कि ग्राहकों में इनका चलन और बढ़ा सकें. उम्मीद है कि लोग इंटरनेट से वैसे ही किताबें डाउनलोड करेंगे जैसे अभी गाने करते हैं.

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तस्वीर: tverkhovinets - Fotolia.com

2011 में संगीत की दुनिया में कुल मुनाफे का 17 फीसदी हिस्सा इंटरनेट डाउनलोड से हुआ. अगर किताबों की इस से तुलना की जाए तो वह ना के बराबर केवल एक प्रतिशत पर ही है. लेकिन 2010 के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि बेची गयी ईबुक्स की संख्या दोगुनी हो गयी है. यह प्रकाशकों के लिए एक अच्छा संकेत है. इसी के चलते वे उम्मीद कर रहे हैं कि 2015 तक वे संगीत जगत के बराबर आ खेड़े होंगे.

फायदा या नुकसान

ईबुक रीडर का हल्का होना, एक ही रीडर में कई सौ किताबों का समा जाना और इंटरनेट के जरिए किसी भी समय किताब खरीदने और पढ़ने का मौका मिलना, यह सब ईबुक को काफी आकर्षक बनाता है. पर साथ ही इसका ये नुकसान भी हैं कि जब किताब पुरानी हो जाए तो आप उसे बेच नहीं सकते; ना ही आप अपनी पढ़ी हुई किताब दोस्तों को पढ़ने के लिए दे सकते हैं. एक बार आपने किताब खरीद ली तो वह हमेशा के लिए आपके रीडर में या फिर इंटरनेट पर आपके लिए बनाई गयी जगह पर रहेगी. फिर जगह बनाने के लिए या तो आप उसे डिलीट कर दें या और जगह खरीद लें, लेकिन एक बार किताब पर जो पैसा खर्च हुआ, उसकी वसूली का कोई और तरीका नहीं.

बाजार में आने वाली अधिकतर नई किताबें इलेक्ट्रॉनिक संस्करण के साथ आने लगी हैं. 2011 के आंकडें बताते हैं कि 42 प्रतिशत किताबें ईबुक के साथ ही रिलीज की गयी. फ्रैंकफर्ट बुक फेयर की काथरिन ग्रून बताती हैं, "हार्ड कवर के साथ साथ अब ज्यादा से ज्यादा ईबुक संस्करण भी आने लगे हैं. यहां हमने खास जगह रखी है और छह हॉट स्पॉट भी हैं जहां प्रकाशक और खास तौर से नई कंपनियां लोगों को अपनी ईबुक के बारे में बता सकती हैं." ग्रून बताती हैं कि अधिकतर प्रकाशकों ने ईबुक्स के लिए अलग डिपार्टमेंट भी बनाए हैं.

Buchmesse Frankfurt - Eröffnungsfeier
पुस्तक मेले का उद्घाटनतस्वीर: picture-alliance/dpa

सुनो कहानी

ईबुक रीडर के लिए नए तरह के एप्लीकेशन या एप भी यहां देखे जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर बेल्जियम की कंपनी असापेला ग्रुप मेले में टेक्स्ट-टू-स्पीच का प्रचार करने आई है. इस तरह की तकनीक से ईबुक ऑडियो बुक में तब्दील हो जाएगी, यानी आपको कुछ पढ़ने की जरूरत नहीं होगी; आप बस किताब खोलेंगे और रीडर आपको कहानी पढ़ कर सुना देगा. इस तरह की मल्टीमीडिया वाली तकनीक बच्चों में काफी लोकप्रिय होती है. इसलिए प्रकाशक माता पिता को लुभाने में लगे हैं. स्कूली किताबों के भी ऐसे संस्करण आ रहे हैं जिनमें ऑडियो और वीडियो की सुविधा है. कई देशों में किताब और उसका इलेक्ट्रॉनिक संस्करण दोनों एक ही दाम पर मिल जाते हैं. मल्टीमीडिया वाले फीचर होने के बाद भी दाम ना बढ़ाना भी ग्राहकों को लुभाने का एक तरीका है.

बेच सकेंगे किताबें

यूरोप में इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान को अन्य सामान की तरह ही समझा जाना चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि यदि आप इंटरनेट पर कुछ खरीदते हैं तो इंटरनेट पर ही आप उसे बेच भी सकें. फिलहाल ईबुक्स में इलेक्ट्रॉनिक वॉटरमार्क होता है, जिसके कारण इन्हें बेचा नहीं जा सकता. यहां तक कि इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि आप ज्यादा उपकरणों पर अपनी किताब ना खोल सकें. इसी साल जनवरी में यूरोप की अदालत 'यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस' ने कहा कि डाउनलोड किए हुए सॉफ्टवेयर की खरीद और बेच पर रोक नहीं होनी चाहिए. इस फैसले ने कंपनियों को दुविधा में डाल दिया है. हालांकि ईबुक्स को ले कर साफ  तौर पर अब तक कुछ भी कहा नहीं गया है और प्रकाशक भी इसके इंतजार में हैं. यदि नया फैसला ग्राहकों के हक में आता है तो उन्हें ई-बुक खरीदने की एक और वजह मिल जाएगी.

फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेला दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है जो पांच दिन के लिए लोगों के लिए खुलता है. इस साल लोग 10 से 14 अक्टूबर तक यहां आ कर किताबों की दुनिया में नए फैशन के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.

रिपोर्ट: डीपीए/ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे