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बंगाल में भ्रष्टाचार रोकने की पहल

९ जून २०१२

भ्रष्ट देशों की सूची में भारत 95वें नम्बर पर है. लोग समझते हैं कि यहां पैसे दिए बिना कोई काम नहीं हो सकता. भारत के पूर्वी प्रांत पश्चिम बंगाल की पुलिस अब इस मान्यता को बदलना चाहती है.

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तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

पश्चिम बंगाल सरकार ने पुलिस विभाग में बढ़ते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक अनूठी पहल की है. विभाग ने अपने गजट में दो भ्रष्ट अफसरों के भ्रष्टाचार की पूरी रामकहानी छापते हुए उनके खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया है. इस गजट को तमाम पुलिस अफसरों और थानों को भेजा गया है. राज्य पुलिस के इतिहास में यह पहला मौका है जब पुलिस गजट में भ्रष्ट पुलिसवालों की कहानी छापी गई है.

भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी

दरअसल, सरकार पुलिस वालों में बढ़ते भ्रष्टाचार से बेहद परेशान है. वाममोर्चा सरकार के लंबे समय तक सत्ता में बने रहने की वजह से ज्यादातर पुलिसवालों का वामपंथी नेताओं से नजदीकी रिश्ता बन चुका था. उनको भरोसा था कि उनके आका हर मुसीबत से छुटकारा दिला सकते हैं. नतीजतन रिश्वत की परंपरा खूब फली-फूली. लेकिन पिछले साल चुनाव जीत कर सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलिस विभाग को दुरुस्त करने का फैसला किया. इसके तहत बरसों से एक ही जगह पर जमे अफसरों और कर्मचारियों का तबादला किया. गृह मंत्रालय के लिए खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं. वे समय-समय पर विभिन्न इलाकों का औचक दौरा करती रही हैं. एक साल के दौरान भ्रष्टाचार में कुछ कमी तो आई, लेकिन उस पर अंकुश लगाना संभव नहीं हो सका.

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ड्यूटी पर ट्रैफिक पुलिसकर्मीतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

भ्रष्टों को चेतावनी

अब इस पहल के जरिए सरकार ने तमाम भ्रष्ट अफसरों को चेतावनी दी है और उनसे ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होने को कहा है. तमाम अफसरों को भी अपने तहत काम करने वाले पुलिस वालों के कामकाज पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है. इन दोनों भ्रष्ट अफसरों के बारे में पुलिस गजट में छापने का निर्देश पुलिस महानिदेशक नपराजित मुखर्जी ने दिया था. मुखर्जी कहते हैं, "हम भ्रष्टाचार या ड्यूटी में कोताही बर्दाश्त नहीं करेंगे. ऐसे पुलिसवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्ट पुलिसवालों तक यह संदेश पहुंचाने के लिए ही हमने दो अफसरों की करतूतों का ब्योरा गजट में छापा है."

राज्य पुलिस के एनफोर्समेंट ब्रांच के इन दोनों अधिकारियों के नाम इंस्पेक्टर जुगल किशोर घोष और सहायक सब-इंस्पेक्टर प्रबीर बाल हैं. इन दोनों ने मुर्शिदाबाद के एक व्यापारी को धमका कर पैसे मांगे थे. इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है और विभिन्न धाराओं के तहत उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "भ्रष्टाचार बंगाल पुलिस की सबसे बड़ी कमजोरी के तौर पर उभरी है. इस समस्या से निपटने के लिए एक ठोस व असरदार रणनीति बनाई जा रही है."

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कोलकाता में पुलिस मुख्यालयतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

ताकि सबक सीखें भ्रष्ट पुलिस वाले

पुलिस महानिदेशक कहते हैं, "गजट में इन दोनों अधिकारियों की कहानी पढ़ने के बाद बाकी पुलिस वाले कोई भी गलत काम करने से पहले कम से कम दो बार सोचेंगे. सरकार भ्रष्टाचार के मामलों से कड़ाई से निपटेगी." गजट में हर थाने और पुलिस से जुड़े दूसरे विभागों के अधिकारियों को अपने मातहतों को इस कहानी को पढ़वाने का निर्देश दिया गया है. मुखर्जी कहते हैं कि ऐसे किसी भी पुलिस वाले के खिलाफ कड़ी अनुशासनिक और आपराधिक कार्रवाई की जाएगी, जिसकी किसी गलत गतिविधि की वजह से पूरे विभाग की साख पर बट्टा लगे. नीचे से लेकर ऊपर तक हर पुलिस वाले को कानून के मुताबिक अपनी ड्यूटी बजानी होगी.

आम लोग खुश

पुलिस की इस कार्रवाई से आम लोग बेहद खुश हैं. बैरकपुर के रहने वाले मनोज मंडल कहते हैं, "पहले तो रिश्वत दिए बिना कोई काम ही नहीं होता था. अब सरकार की इस पहल से शायद हालत में कुछ सुधार हो." वैसे इस पहल का कुछ असर तो नजर आने लगा है. दो महीने पहले पासपोर्ट के लिए आवेदन देने वाले रूपक दे की पुलिस जांच पूरी नहीं हो सकी थी. पुलिस वाला फोन पर उनसे नजराना मांग रहा था. लेकिन अब उसी पुलिस वाले ने बिना कुछ लिए ही उनका काम कर दिया. दे कहते हैं, "अब यहां बिन भय होई न प्रीति वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. पुलिस वाले अब रिश्वत मांगने से बचने लगे हैं." वह कहते हैं कि महज इससे भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना तो संभव नहीं है. लेकिन इस पहल का कुछ असर तो दिखने ही लगा है. लोग दूसरे सरकारी विभागों में भी ऐसी ही पहल की मांग करने लगे हैं. रिश्वत मांगने वालों का नाम जाहिर करने से शायद लोक-लाज के चलते लोग रिश्वत लेने-देने से बचने लगेंगे और इस बीमारी पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकेगा.

रिपोर्ट: प्रभाकर,कोलकाता

संपादन: महेश झा

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