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बर्लिन में कृषि मेला शुरू

२० जनवरी २०१२

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में शुक्रवार से कृषि मेला शुरू हुआ. 'ग्रुएने वोखे' यानि 'ग्रीन वीक' नाम के इस कृषि मेले में 1600 प्रदर्शक भाग ले रहे हैं. इस साल मेले में जानवरों की देखभाल और उपभोक्ताओं को बेहतर सूचना पर जोर है.

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कृषि मंत्री इल्जे आइग्नरतस्वीर: dapd

गुरूवार को मेले का उद्घाटन करते हुए कृषि मंत्री इल्जे आइग्नर ने इस बात पर जोर दिया कि देश में खाने की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है, खास तौर से मांस की. जर्मनी में पिछले कुछ समय से इस बात पर चर्चा चल रही है कि क्या खाने में इस्तेमाल होने वाले पशु-पक्षियों को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें एंटीबायोटिक दिए जाने चाहिए. पश्चिमी देशों में मांस का काफी सेवन होता है. ऐसे में पशु-पक्षियों को दवाएं देना इंसानों के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है. कृषि मंत्री ने इस अवसर पर कहा, "हम पशुधन की देखभाल पर अधिक ध्यान देंगे और इस बात का भी ख्याल रखेंगे कि उपभोक्ता खाने पीने का जो सामान खरीदें उन्हें उसके बारे में पूरी जानकारी मिले."

Grüne Woche Berlin 2012
तस्वीर: dapd

आइग्नर ने कहा कि इस मसले को ले कर यूरोप भर में एक जैसे नियमों की जरूरत है, केवल राष्ट्रीय स्तर पर मापदंड बनाना ही काफी नहीं है. नए नियमों के अनुसार उपभोक्ताओं के लिए पैकेट पर अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. आइग्नर ने कहा, "अधिक जानकारी का मतलब है कि चीजों के खरीदने और उनके उत्पादन और प्रोसेसिंग के तरीके में भी बदलाव आएगा."

जानकारों का मानना है कि जर्मनी अभी ठीक तरह से तय ही नहीं कर पा रहा है कि जानवरों की देखभाल की सही परिभाषा क्या हो. पिछले दिनों जर्मन प्रांत नॉर्थराइन वेस्टफेलिया में मुर्गियों के फार्मों में स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों का पालन न किए जाने की खबर थी. इन फार्मों में अनुमति से ज्यादा मुर्गियां रखी गई हैं और उनके चारे पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. कृषि मंत्रालय की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया, "पशुओं की देख भाल के लिए वैज्ञानिक सूचक मौजूद हैं, लेकिन उन्हें इतने बड़े पैमाने पर किस तरह से इस्तेमाल करना है, इस बारे में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है."

Grüne Woche Berlin 2012 Landwirtschaft Ernährung Sonnleitner
तस्वीर: dapd

वहीं किसानों की यूनियन डॉयचे बाउवर्न फरबांड (डीबीवी) का कहना है कि सरकार जो बदलाव लाना चाह रही है, उनके चलते खाने पीने के सामानों के दामों में बढ़ोतरी आएगी. डीबीवी के हाइनरिष ग्राफ फॉन बासेवित्स का कहना है, "उपभोक्ताओं को नए दामों के लिए तैयार रहना होगा. उसके बाद ही जानवरों की देखभाल में बदलाव लाए जा सकते हैं." बासेवित्स ने कहा कि उपभोक्ता जो दाम दे रहे हैं उन्हें उसी के अनुकूल सामान भी दिया जा रहा है, "जो उपभोक्ता पशुओं की देख भाल को लेकर अब शिकायत कर रहे हैं, उन्होंने ही सस्ते सामान की मांग बना कर इस सब को बढ़ावा दिया है"

शुक्रवार की सुबह से कृषि मेला आम जनता के लिए खुल गया है. 29 जनवरी तक चलने वाले विश्व के सबसे बड़े कृषि मेले में 59 देशों के 1600 प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं. मेले के आयोजक एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में करीब चार लाख लोगों के आने की उम्मीद कर रहे हैं. इस साल रोमानिया मेले का साझेदार देश है.

रिपोर्ट: डीपीए, रॉयटर्स/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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