बाटला कांड में पुलिस को क्लीन चिट
२२ जुलाई २००९दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कहा था कि वह इस मामले में दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करे. अदालत ने यह निर्देश एक ग़ैर सरकारी संगठन की तरफ़ से दायर याचिका पर दिया जिसमें मुठभेड़ के बारे में पुलिस के पक्ष पर सवाल उठाया गया था.
हाई कोर्ट में पेश तीस पन्नों की अपनी रिपोर्ट में मानवाधिकार आयोग ने कहा है, "हम साफ़ तौर पर यह मानते हैं कि हमारे सामने पेश सामग्री के मुताबिक़ यह नहीं कहा जा सकता है कि पुलिस की कार्रवाई में किसी तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ."
पिछले साल 19 सितंबर को दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े में हुई इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा की भी जान चली गई. इसके अलावा इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकवादी भी मारे गए, जिनकी पहचान आतिफ़ अमीन और मोहम्मद साजिद के रूप में हुई. इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्धों मोहम्मद सैफ़ और ज़ीशान को भी बाटला हाउस इलाक़े से गिरफ़्तार किया गया.
यह मुठभेड़ दिल्ली में सिलसिलेवार धमाकों के हफ़्ते भर बाद हुई. दिल्ली बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे और 13 घायल हुए थे.
हालांकि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद दिल्ली पुलिस पर कई तरह के सवाल उठाए गए थे. समाजवादी पार्टी और कुछ दूसरे राष्ट्रीय दलों ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ की और इसमें बेक़सूर लोगों को मार गिराया. पर दिल्ली पुलिस हमेशा से इसे तर्कसंगत और बड़ी साज़िश को टालने वाला एनकाउंटर बताती आई है. दिल्ली पुलिस का यह भी तर्क था कि अगर उसने फ़र्ज़ी मुठभेड़ की होती तो उसके क़ाबिल इंस्पेक्टर की मौत कैसे होती.
रिपोर्टः पीटीआई/ए कुमार
संपादनः ए जमाल