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बेवकूफ बन रहे हैं स्मार्टफोन

१२ फ़रवरी २०११

स्मार्टफोन रखना आज के वक्त की जरूरत बन गया है पर क्या इंसान के ये नए साथी अंधाधुंध सफलता का ही शिकार नहीं हो रहे. नेटवर्क जाम और जिन खासियतों के लिए लोग उन्हें खरीदते हैं उनका न चलना आम बात होती जा रही है.

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तस्वीर: AP

तकनीक के जानकारों ने तो चेतावनी भी दे दी है कि मोबाइल उद्योग को जल्दी ही लोगों के इस बढ़ते दर्द का असहास होगा क्योंकि व्यस्त समय और जगहों में सेवाओं का ठप हो जाना, उन्हें इसकी फीस बढ़ाने पर विवश करेगी. इसके साथ ही डाटा इस्तेमाल पर पाबंदियां भी लगानी पड़ सकती हैं. अगले हफ्ते शुरू होने जा रही सालाना मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस के इसी मसले पर गर्माए रहने के आसार हैं.

दुनिया भर से आई 1,300 से ज्यादा कंपनियों से जुड़े 50,000 लोग बार्सिलोना में चार दिन चलने वाली इस कांग्रेस में हिस्सा लेंगे जो सोमवार से शुरू होने जा रही है. पिछले कुछ सालों में स्मार्टफोन की बिक्री काफी तेजी से बढ़ी है. मार्केट रिसर्च फर्न गार्टनर के मुताबिक केवल पिछले दो सालों में ही 47 करोड़ स्मार्टफोन बेचे गए हैं. स्मार्टफोन के लिए नई नई सेवाएं बनाने का काम भी अपने आप में अब एक बड़े उद्योग की शक्ल ले चुका है. समस्या ये है कि हर एक स्मार्टफोन सामान्य फोन की तुलना में 24 गुना ज्यादा डाटा प्रवाह इस्तेमाल करता है जिसके 2015 तक 26 गुना हो जाने की उम्मीद है. मोबाइल ऑपरेटर डाटा के इस प्रवाह को बनाए रखने के लिए काफी दबाव का सामना कर रहे हैं.

Neues Nokia N8 Smartphone
तस्वीर: picture alliance/dpa

नतीजा ये हो रहा है कि फोन इस्तेमाल करने वालों को अक्सर लोगों की भीड़ के बीच और व्यस्त समय में कॉल का अचानक कट जाना या फिर धीमी सेवा जैसी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इस असुविधा के कारण अक्सर लोगों को अपना फोन बोझ लगने लगता है. व्यस्त समय में वीडियो देख पाना तो एक बड़ी मुसीबत बन गया है. वीडियो कॉल्स में भी लोगों को काफी मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं. स्काइप और दूसरे वैकल्पिक फोन कॉल सेवाओं में बाधाएं भी इसी का नतीजा हैं. इसके अलावा ईमेल ओर इंटरनेट का इस्तेमाल भी लोगों के लिए परेशानीभरा साबित हो रहा है क्योंकि रफ्तार बेहद कम हो जाती है.

ऑपरेटरों ने इसके लिए डाटा इस्तेमाल पर पाबंदियां शुरु कर दी है. एक खास सीमा पार करने के बाद इंटरनेट सेवाएं या तो बंद हो जाती हैं या फिर बिल्कुल धीमी पड़ जाती हैं. अनलिमिटेड डाटा अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है क्योंकि मोबाइल ऑपरेटर ये जान गए हैं कि नेटवर्क में इतनी क्षमता है ही नहीं.

जल्दी ही डाटा इस्तेमाल के महंगे ऑफर भी बाजार में मौजूद होंगे. कंपनियां मान रही हैं कि ज्यादा डाटा इस्तेमाल करने वालों से उंची कीमत लेकर उन्हें ये सेवाएं मुहैया कराई जा सकती हैं हालांकि ये काम भी वही कंपनियां कर सकेंगी जो बाजार में ज्यादा समय से कारोबार कर रही हैं. कंसल्टिंग कंपनी एटी कियर्ने की ताजा रिसर्च के मुताबिक मोबाइल ऑपरेटरों को अगले चार साल में डाटा के प्रवाह में आई तेजी को संभालने के लिए जरूरी नेटवर्क विस्तार पर खर्च करने के लिए एक बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी. रिसर्च में ये भी कहा गया है कि मोबाइल कंपनियां अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल करने के बावजूद इस रकम का एक बड़ा हिस्सा जुटा पाने में सक्षम नहीं हो पाएंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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