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भारत की मिर्च पर मंडरा रहा है खतरा

२३ दिसम्बर २०१०

भारत का तीखा सोना खतरे में हैं. और इसकी वजह है लगातार बदलता मौसम. इस मौसम ने मिर्च की खेती को मुश्किल में डाल दिया है. रही सही कसर गिरती कीमतों ने पूरी कर दी है.

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तस्वीर: AP

भारत में मिर्च के उत्पादन में पिछले कुछ सालों में भारी गिरावट आई है. आशंका जताई जा रही है कि अगले साल में यह गिरावट 20 फीसदी तक पहुंच जाएगी. जानकार मानते हैं कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहे हैं जिसका खेती पर काफी बुरा असर हो रहा है. पिछले कुछ सालों में मिर्च की कीमतें भी गिरी हैं. इस वजह से किसान मिर्च की खेती में घाटा उठा रहे हैं. खास तौर पर दक्षिण भारतीय राज्य केरल के किसानों की मिर्च की खेती में दिलचस्पी तेजी से घट रही है. यह नुकसानदायक है क्योंकि केरल मिर्च पैदा करने वाले दुनिया के प्रमुख इलाकों में गिना जाता है.

1990 के दशक में भारत में सालाना 60,000 टन काली मिर्च पैदा होती थी. 2000 के दशक तक आते आते यह घटकर 55,000 टन रह गई. और 2010 तक तो यह और ज्यादा घटकर 50,000 टन पर आ गया है.

कृषि उद्योग से जुड़े जानकार मानते हैं कि इस साल का उत्पादन 42,000 टन के आसपास ही रहेगा. हालांकि मसाला बोर्ड का अनुमान 48,000 टन का है.

वैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में नए खिलाड़ियों के आने से भी भारत को नुकसान हुआ है. खास तौर पर वियतनाम और इंडोनेशिया ने भारतीय मिर्च के बाजार में सेंध लगाई है. ये देश भारत के मुकाबले अपनी मिर्चें बहुत कम दाम पर बेचते हैं. कई बार तो इनकी कीमतें 30 फीसदी तक कम होती हैं. इस वजह से अमेरिका जैसे बड़े खरीददार उन देशों को तरजीह दे रहे हैं.

भारत में अब तक केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक ही मिर्च उत्पादन में अगुआ रहे हैं, लेकिन उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार अब पूर्वी राज्यों को बढा़वा दे रही है. ऐसी योजनाएं बनाई जा रही हैं जिनके जरिए असम, त्रिपुरा और मेघालय में किसानों को मिर्च उत्पादन के लिए उत्साहित किया जा सके.

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः ए जमाल

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