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भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में शामिल

१७ नवम्बर २००९

भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की इस साल की भ्रष्टाचार सूची में भारत 84वें नंबर पर है जबकि जर्मनी 14वें स्थान पर है. ट्रांसपैरेंसी की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार न्यूज़ीलैंड सबसे कम भ्रष्ट देश है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

दुनिया भर में कौन सा देश सबसे भ्रष्ट है और कौन कम दाग़दार है. इस बारे में ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट आज बर्लिन में जारी की गई. रिपोर्ट के हिसाब से दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में न्यूज़ीलैंड के बाद दूसरे नंबर पर डेनमार्क और तीसरे नंबर पर सिंगापुर है.

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अफ़ग़ानिस्तान और सोमालिया सबसे भ्रष्ट देश हैं. जर्मनी जहां नंबर चौदह पर है वहीं भारत खड़ा है चौरासीवें पायदान पर. ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ईमानदारी के मामले में दुनिया के 180 देशों में भारत चौरासीवें स्थान पर है. यानी भारत लगातार एक भ्रष्ट देश बना हुआ है. ट्रांसपैरेंसी ने भ्रष्टाचार दृष्टिकोण सूचकांक सीपीआई 2009 जारी करते हुए कहा है कि शून्य यानि अधिक भ्रष्ट से 10 यानि न्यूनतम भ्रष्ट तक के पैमाने पर ईमानदारी के मामले में भारत ने 3.4 अंक हासिल किए हैं.

इस सूची में जर्मनी 14 वें स्थान पर है. जर्मनी की सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए काफ़ी काम किया है लेकिन फिर भी ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की प्रमुख सिल्विया शेंक का कहना है कि सरकार के पास भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कोई नीति नहीं है. आर्थिक पैकेजों के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है. ख़ासकर लाइसेंस देने वाले अधिकारियों के भ्रष्ट होने का ख़तरा होता है.

राजनीतिज्ञों की उद्योग से निकटता एक बड़ी समस्या है. ट्रांसपैरेंसी के क्रिश्टियान होमबोर्ग राजनीतिक भ्रष्टाचार पर एक कानून की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहते हैं, "सिर्फ़ इसका आभास होना ही लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए पारदर्शिता अत्यंत ज़रूरी है."

जर्मनी की पिछली दो सरकारों में नौ राज्यमंत्री ऐसे थे जो राजनीति से रिटायर होने के बाद सीधे उस कंपनी में काम करने लगे जिससे वह पहले ज़िम्मेदार हुआ करते थे.

राजनीतिक ज़िम्मेदारी वाले लोगों में भ्रष्टाचार पर अब तक कोई कानून नहीं बन सका है. प्रसिद्ध खोजी पत्रकार हंस लायेनडेकर नाराज़गी से कहते हैं, "यह बड़ा स्कैंडल है. कोई इस पर नाराज़ नहीं होता और इसकी कभी जांच भी नहीं हुई कि क्यों सांसद इस तरह के क़ानून से ख़ुद को अलग रखते हैं."

Prozessauftakt im Siemens Skandal, Verwaltungsgebäude in München
तस्वीर: DW

पूरे यूरोप में अगर देखा जाए तो जर्मनी में भ्रष्टाचार काफ़ी कम है. एक सौ अस्सी देशों की इस सूची में जर्मनी दो साल में सोलहवें से चौदहवें नंबर पर तो आ गया है लेकिन इससे ऊपर नहीं जा सका. जबकि जर्मन क़ानून के हिसाब से किसी भी तरह का सरकारी लाभ उठाना ग़लत है, उद्योग जगत काले धंधों या भ्रष्टाचार के लिए सबसे उम्दा जगह है. पैसे निगलने के सबसे बड़े उदाहरण पिछले दिनों यहीं देखने को मिले हैं.

कार निर्माता कंपनी फोल्क्सवागन में नए अनुबंधों पर सहमति बनाने के लिए कर्मचारी परिषद को छुट्टी मनाने के लिए टिकट दिए गए तो सीमेन्स कंपनी के कुछ अधिकारियों ने नए कांट्रैक्ट्स पाने के लिए पैसा गुपचुप दुनिया भर में बांटा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/तनुश्री सचदेव

संपादन: महेश झा