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मंथन बनाता है हमें जागरूक

१४ जून २०१३

वेबसाइट पर दी गई जानकारियां व मंथन पर पाठकों से आयी प्रतिक्रियाएं आपसे साझा करते हैं. और हां, कल शनिवार को फिर से नई जानकारियों के साथ मंथन देखना नहीं भूलिएगा...

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Schnitzel mit Spargel - Avocado Salat © sommersprossen #41419795
तस्वीर: sommersprossen /Fotolia

मैं विज्ञान का एक छात्र हूं. मंथन मुझे बहुत अच्छा लगता है. हर शनिवार को मंथन में नई नई चीजे सीखने को मिलती हैं. इस प्रोग्राम में पर्यावरण पर जो जानकारी दी जाती है उससे मेरी पढाई में बहुत मदद होती है. जब से मैंने मंथन देखना शुरू किया एक भी एपिसोड मिस नहीं किया. मंथन की पूरी टीम व् दूरदर्शन को मेरा धन्यवाद.

संजय नस्कर, ईमेल से

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डीडब्ल्यू के 60 साल होने पर हार्दिक बधाई स्वीकार करे. मैंने स्वयं 1 दिसम्बर 2011 को 60 वर्ष पूरे किये हैं जिसमें 40 वर्ष मैंने डीडब्ल्यू हिंदी, उर्दू, इंग्लिश सेवा को सुनने में व्यतीत किया है. मुझे डीडब्ल्यू से जो ज्ञान प्राप्त हुआ वह मेरे लिए बैंक में रोजगार पाने में काम आया. आज सेवा निवृत होने के पश्चात् मैं डीडब्ल्यू की वेबसाइट को सबसे अधिक समय देता हूं क्योंकि यह अत्यंत रोचक, व्यापक, और अत्यधिक ज्ञानवर्धक है. डीडब्ल्यू ने आज सीआरई, रेडियो रूस, एनएचके, बीबीसी, वीओए को बहुत पीछे छोड़ दिया है.

हरीश चन्द्र शर्मा, जिला अमरोहा, उत्तर प्रदेश

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Encroaching forest in limestone basin, Phontiou tin mine, plain of mine tailings and pollution, Khammouan, Laos, Indochina, Southeast Asia, Asia Keine Weitergabe an Drittverwerter. Verwendung weltweit, Keine Weitergabe an Drittverwerter., usage worldwide, Please check additional restrictions!, No third party
तस्वीर: picture-alliance/Tony Waltham/Robert Harding/World Imagery

हमारे क्लब द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर एक आयोजन किया गया. इस अवसर पर आस पास के प्रबुद्ध ग्रामीण और स्कूल के बच्चों को आमंत्रित किया गया. प्रोग्राम के दौरान पर्यावरण,पेड़ पौधे आदि के बारे में श्रोताओं को जानकारी दी गई और बताया गया कि पर्यावरण किस तरह प्रदूषित हो रहा है,कौन इसका जिम्मेदार है और इसे कैसे हम सुरक्षित कर सकते है. इस अवसर पर बच्चों को पर्यावरण के बारे में पूर्ण रूप से बताया गया और पौधा रोपण अभियान चलाकर,पर्यावरण को स्वच्छ रखने की शपथ भी ली गयी.

डॉ. हेमंत कुमार, प्रियार्दार्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, भागलपुर, बिहार

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मैं डीडब्ल्यू का करीब 15 साल पुराना श्रोता हूं. समय समय पर आपको पत्र भी लिखे हैं. आपकी तरफ से भी पत्र, कैलेंडर इत्यादि प्यार स्वरुप मिलते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से मैं पत्र के जरिये आपसे संपर्क नहीं कर पाया. फेसबुक पर अब आपकी लगभग हर रिपोर्ट पढ़ता हूं. आपके द्वारा पूछे सवालों का जवाब भी दिया है लेकिन कभी पुरस्कार नहीं मिला. आपसे निवेदन है कि इस साल कोई कैलेंडर, डेरी या कोई अन्य वस्तु जरूर भेजे.

छोटू राम कजला, ग्राम फ़्रांसी, जिला हिसार, हरियाणा

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जिंदादिल भाषा के कवि नीरज - मुम्बई से विश्वरत्न श्रीवास्तव के इंटरव्यू के बहाने जिन्दादिल भाषा के कवि गोपाल दास सक्सेना ‘नीरज' के ‘काल का पहिया ऐसा घुमा की एक बारगी' उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की यादें तैर गईं. इटावा के पुरावली से लेकर कानपुर-दिल्ली-मेरठ तक एक संघर्षरत जीवन में नीरज जी ने सैकड़ों पापड़ बेले, एक टाइपिस्ट की नौकरी से लेकर आज उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष तक का उनका सफर (कैबिनेट मन्त्री का दर्जा) किसी दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. उनके रचे गीत लोगों की जुबान पर गाहे-बगाहे आ ही जाते हैं. शायद नीरज जी ऐसे पहले कवि रहे हैं जिन्हें भारत सरकार ने शिक्षा और साहित्य दोनों विधाओं के लिए पुरस्कृत किया. पहले पद्मश्री से, उसके बाद पद्मभूषण से. उनका लिखा एक शेर जो उन्हीं से अक्सर महफिलों में फरमाइश के साथ सुना जाता हैः

इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, लगेंगी आपको सदियां हमें भुलाने में.

न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में॥

सचमुच आपने इस कवि की चर्चा करके मन के तारों को छेड़ दिया. प्रसिद्ध लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर' ने इस जन कवि को यदि हिन्दी की ‘वीणा' कहा तो गलत नहीं कहा क्योंकि ये काव्य वीणा ही है जो लाखों दिलों की धड़कनें बनकर आज भी निरन्तर धड़क रही है.

श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद

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मंथन में जागरूक करने के लिए दिए गए सुझाव बहुत ही अच्छे लगते हैं. विज्ञान पर नई नई खोज और पर्यावरण से सम्बंधित अलग अलग तरह की जानकारियां मुझे काफी उत्साहित करती हैं. सच में यह प्रोग्राम मुझे बहुत ही अच्छा लगता है. धन्यवाद.

आशीष भरद्वाज, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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