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मदर के संत बनने का इंतजार

५ सितम्बर २०१२

दीन-दुखियों और उपेक्षितों की सेवा में अपना जीवन खपा देने वाली नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा के निधन को बुधवार को पंद्रह साल पूरे हो गए.

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तस्वीर: Reuters

मदर टेरेसा की कर्मभूमि रहे मिशनरीज आफ चैरिटी के कोलकाता स्थित मुख्यालय मदर हाउस को अब भी उनके दूसरे चमत्कार का इंतजार है ताकि मदर को संत का दर्जा मिल सके. मदर के एक चमत्कार के सामने आने के बाद निधन के छह साल बाद वर्ष 2003 में 20 अक्तूबर को वैटिकन ने उनको धन्य घोषित किया था. रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक मदर को संत के दर्जे के लिए उनको धन्य घोषित करने की तारीख के बाद ऐसा ही एक और चमत्कार सामने आना जरूरी है.

विशेष प्रार्थना सभाएं

पांच सितंबर को मदर की 15वीं पुण्यतिथि के मौके पर सुबह पांच बजे से ही विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं. अभी 26 अगस्त को ही मदर का जन्मदिन मनाया गया था और उसी समय से विशेष प्रार्थनाओं का सिलसिला चल रहा है. मुख्य समारोह का आयोजन मदर हाउस में किया गया. इसमें मिशनरीज आफ चैरिटी की प्रमुख सिस्टर प्रेमा और तमाम ननों के अलावा देश-विदेश से पहुंचे मदर के अनुयायी भी शामिल थे. सिस्टर प्रेमा ने कहा, "हम इस दिन को खुशी और उत्सव दिवस के तौर पर मना रहे हैं. इस मौके पर गरीबों के लिए सामूहिक भोज का आयोजन भी किया जा रहा है." इसके अलावा महानगर के विभिन्न चर्चों में भी सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं. इस मौके पर महानगर के विभिन्न हिस्सों में जुलूस निकाले गए और गरीबों को भोजन कराया गया.

Mutter Teresa 15. Todestad
तस्वीर: Reuters

चमत्कार का इंतजार

वर्ष 2003 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की एक आदिवासी युवती मोनिका बेसरा और उसके चिकित्सक के दावों के बाद तत्कालीन वैटिकन प्रमुख पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर को धन्य घोषित किया था. मोनिका का दावा था कि मदर के आशीर्वाद से उसे कैंसर की बीमारी से निजात मिल गई है. मदर को संत का दर्जा देने की प्रक्रिया में वैटिकन ने अपने कई नियमों में ढील दी थी. लेकिन दूसरे चमत्कार वाले प्रावधान से छूट नहीं दी जा सकती.

मदर को संत का दर्जा आखिर कब तक मिलेगा, इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. इस दर्जे के लिए मदर के एक और चमत्कार की तलाश है. वर्ष 1997 में उनके निधन के बाद से ही इसकी तलाश शुरू की गई थी. एक चमत्कार तो सामने आ गया. लेकिन कई देशों से मिले दावों के बावजूद दूसरे चमत्कार का कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका है. ऐसे में संत का दर्जा हासिल करने के लिए उनके प्रशंसकों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. मिशनरीज आफ चैरिटी की प्रमुख सिस्टर प्रेमा और देश-विदेश से आईं तमाम ननों को मदर के दूसरे चमत्कार के जल्दी ही सामने आने की उम्मीद है ताकि उनको संत का दर्जा मिल सके.

AP Iconic Images Mutter Theresa 1978
तस्वीर: AP

जटिल प्रक्रिया

कोलकाता के पूर्व आर्चबिशप हेनरी डिसूजा बताते हैं, "यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है. किसी को संत का दर्जा देने से पहले चर्च को इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए कि वह व्यक्ति सचमुच एक संत था. कई बार तो यह प्रक्रिया पूरी होने में दशकों लग जाते हैं." कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर स्थित कैथेड्रल के बिशप सल्वाडोर लोबो कहते हैं कि यह इंतजार लंबा हो सकता है. वह कहते हैं, "दुनिया के कई देशों से मदर के चमत्कार की खबरें मिलती रहती हैं. लेकिन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक कुछ मानदंडों पर खरा उतरने के बाद ही उनको चमत्कार माना जा सकता है." लोबो कहते हैं कि चमत्कार उसे ही माना जाता है जिसकी कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं हो सके.

सिस्टर प्रेमा कहती हैं कि "मदर शारीरिक रूप से भले हमारे बीच नहीं हों, वह हमेशा हमारे साथ हैं." वह कहती हैं, "मदर को आधिकारिक तौर पर संत का दर्जा चाहे जब भी मिले, लोगों के दिलों में तो मदर हमेशा एक संत रही हैं."

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा

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