1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मरती भाषा में जान फूंकते छात्र, बनाएंगे फिल्म

१८ अप्रैल २०११

क्या कोई फिल्म किसी मरती हुई भाषा को लुप्त होने से बचा सकती है. कम से कम केरल के कुछ छात्रों को तो यह विश्वास है. वे दम तोड़ती कोंकणी भाषा में फिल्म बना कर उसमें जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/10vDE
कोच्चि के छात्रों की पहलतस्वीर: picture-alliance/ ZB

कोच्चि में महाराजा कॉलेज के छात्र कोंकणी में अपनी लघु फिल्म बनाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं. भाषाविदों के मुताबिक दक्षिण भारत में बोली जाने वाली कोंकणी भाषा दम तोड़ रही है. इसे बोलने वालों की संख्या तेजी से घट रही है. साथ ही इस भाषा की अपनी कोई लिपि भी नहीं है. अब ये छात्र टिफिन बॉक्स नाम से फिल्म बना रहे हैं. कोंकणी भाषा की यह फिल्म मई के आखिर तक रिलीज कर दी जाएगी.

फिल्म का निर्देशन श्रीनिवासन कर रहे हैं जो महाराजा कॉलेज में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. वह कहते हैं कि यह युवाओं की तरफ से इस क्षेत्रीय भाषा को बचाने की एक ईमानदार कोशिश है. उनके मुताबिक, "हमने अपनी स्क्रिप्ट में कोंकणी की हर बारीकी को पेश करने की भरपूर कोशिश की है."

टिफिन बॉक्स युवा हरि की कहानी है जो शहर के एक प्राइवेट बैंक में काम करता है. इस फिल्म में हरि की भावनाओं, निजी और पेशेवर मुश्किलों को कोंकणी भाषा में पेश किया गया है. फिल्म की कहानी यू मधु ने लिखी है जो एक ग्रेजुएट छात्र हैं. पटकथा लिखने का काम खुद श्रीनिवासन ने संभाला है. इन छात्रों का कहना है, "हम उन लोगों से मदद की उम्मीद कर रहे हैं जो कोंकणी भाषा को लुप्त होने से बचाना चाहते हैं. फिल्म कोंकणी को लेकर लोगों में जागरुकता भी पैदा करेगी."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें