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"मिसराता में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल"

१६ अप्रैल २०११

लीबिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले शहर मिसराता पर नियंत्रण के लिए लड़ाई जारी है. वहीं एक मानवाधिकार संगठन ने आरोप लगाया है कि गद्दाफी की सेना मिसराता में आम लोगों पर क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रही है.

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तस्वीर: dapd

पश्चिमी शहर मिसराता में भारी गोलीबारी और बमबारी की आवाजें सुनी जा सकती हैं. पास ही लीबियाई शासक मुअम्मर गद्दाफी के गृहनगर सिर्ते के पास हवाई हमलों की भी खबरें हैं. इस बीच मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने आरोप लगाया है कि मिसराता में गद्दाफी की सेना क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रही है. विद्रोहियों ने भी इसी तरह के दावे किए हैं.

सरकार का इनकार

क्लस्टर बमों के इस्तेमाल की खबर पहली बार अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी. एचआरडब्ल्यू के सैन्य विभाग के निदेशक स्टीव गूज ने कहा, "यह बहुत ही खतरनाक बात है कि लीबियाई सेना इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर रही है और वह भी रिहायशी इलाकों में. इससे आम लोगों की जान को बहुत खतरा है, हमलों के दौरान भी और उनके बाद भी." तोप या रॉकेटों से दागे जाने वाले क्लस्टर बम असल में बमों का एक गुच्छा होता है जो बड़े इलाके में तबाही फैलाते हैं. कई बार ये बम तुरंत नहीं फटते हैं और संघर्ष के वर्षों बाद उनमें विस्फोट होता है. क्लस्टर बमों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध है.

Libyen Rebellen Feuer
दोनों पक्षों के बीच तीखी लड़ाईतस्वीर: picture alliance/dpa

वहीं लीबिया सरकार के प्रवक्ता ने क्लस्टर बमों के इस्तेमाल से इनकार किया है. सरकारी प्रवक्ता मूसा इब्राहिम ने कहा, "बिल्कुल नहीं. हम ऐसा नहीं कर सकते. नैतिक और कानूनी रूप से हम ऐसा नहीं कर सकते. हम कभी ऐसा नहीं करते. हम उनसे कहते हैं कि इसे साबित करके दिखाएं."

विद्रोहियों के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिसराता पर गुरुवार को गद्दाफी की सेना ने भारी हमला किया जिसके तहत ग्राड मिसाइलें दागी गईं जिनमें कम से कम 13 लोग मारे गए और 50 घायल हो गए. शुक्रवार को विद्रोहियों ने बताया कि गद्दाफी की सेना मुख्य सड़क त्रिपोली स्ट्रीट से दो किलोमीटर दूर से गोलाबारी और मोर्टार दाग रही है. एक विद्रोही ने कहा, "हम चाहते हैं कि नाटो त्रिपोली स्ट्रीट पर हमला करे. वहां आम लोग नहीं हैं."

हदें लांघती कार्रवाई

इस बीच लीबिया की सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि गद्दाफी के गृहनगर सिर्ते को नाटो के लड़ाकू विमानों ने शुक्रवार को निशाना बनाया. जाना की खबर के मुताबिक त्रिपोली के दक्षिण में अल अजीजिया पर भी हमले किए गए हैं. ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने साफ किया है कि लीबिया के भविष्य में गद्दाफी के लिए कोई जगह नहीं है और जब तक वह सत्ता नहीं छोड़ देते, सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी. लेकिन रूस ने आरोप लगाया है कि नाटो लीबिया में संयुक्त राष्ट्र के जनादेश से बाहर जा रहा है. फ्रांसीसी रक्षा मंत्री गैरार्ड लौंगुए ने भी साफ किया है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1973 से आगे जाने की सोच रहे हैं. इसी प्रस्ताव के तहत लीबिया में आम लोगों की रक्षा के लिए कार्रवाई की इजाजत दी गई.

गुरुवार को ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स ने लीबिया में बल प्रयोग से बचने को कहा. रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का कहना है कि जिस तरह का अभियान नाटो और कुछ अरब देशों के लड़ाकू विमान लीबिया में चला रहे हैं, उसकी अनुमति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में नहीं हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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