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म्यांमार की जुंटा भंग, राष्ट्रपति को मिले अधिकार

३० मार्च २०११

म्यांमार की जुंटा को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया है और थान श्वे जुंटा प्रमुख के पद पर नहीं रहेंगे. नवंबर 2010 में हुए चुनावों में जुंटा के अधिकारियों की जीत हुई. पश्चिम ने इस चुनाव को धांधली बताया.

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तस्वीर: AP

म्यांमार की सत्ता राष्ट्रपति थान साइन को सौंप दी गई है. दो दशकों से जारी सैन्य शासन तो म्यामार में दिखावटी तौर पर खत्म हो गया है लेकिन संसद में अब भी काफी सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी और सैनिक मौजूद है. तो ऐसी स्थिति में यह हस्तांतरण सिर्फ एक औपचारिक रस्म के तौर पर देखा जा रहा है.

सैन्य शासन के खात्मे विदेशी धन और निवेश को आकर्षित करने का एक तरीका माना जा रहा है. म्यांमार 50 साल पहले दक्षिण पूर्वी एशिया का सबसे अमीर, भारी निर्यात वाला देश होता था.

थान श्वे ने अपनी जगह जनरल मिन आंग हियांग को जुंटा प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया है. इसी के साथ श्वे के रिटायरमेंट से जुड़ी अटकलों को भी विराम लग गया है.

श्वे के पुराने सहयोगी सरकार और सेना में मुख्य पदों पर मौजूद हैं. उन्होंने इसी के साथ कोई भी बड़ा उलटफेर नहीं होने देने के लिए सारे उपाय कर रखे हैं. जानकार इस बात से सहमत हैं कि पद से हटने के बाद भी कमान उन्हीं के हाथ में रहेगी.

हालांकि कुछ जानकार राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की उम्मीद कर रहे हैं.

बुधवार को संसद में अपने भाषण में राष्ट्रपति थान साइन ने पश्चिमी देशों पर किसी तरह का आरोप नहीं लगाया. बल्कि उन्होंने सभी से नई सरकार को मान्यता देने और उसकी लोकतांत्रिक विश्वसनीयता को मानने का अनुरोध किया. "कुछ देश म्यांमार में सामाजिक आर्थिक विकास देखना चाहते हैं और लोकतंत्र की अपेक्षा करते हैं. मैं उन्हें आमंत्रित करता हूं कि वह हमारी नई सरकार का समर्थन करें और उसे सहयोग दें. यह समय है कि दबाव खत्म कर दिया जाए."

रिपोर्टः एजेंसियां आभा एम

संपादनः उ भ

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