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लीबिया में मिली सामूहिक कब्र

२६ सितम्बर २०११

लीबिया की राजधानी त्रिपोली में 1700 लोगों की सामूहिक कब्र का पता चला है तो अंतरिम सरकार पूर्व शासक मुअम्मर गद्दाफी के गृहनगर सिर्ते पर हमले की तैयारी कर रही है. राष्ट्रीय ट्रांजीशनल परिषद के अनुसार हमला सोमवार को होगा.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

लीबिया की नई सरकार कई सप्ताह से गद्दाफी के अंतिम गढ़ पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन गद्दाफी के समर्थक भारी प्रतिरोध कर रहे हैं. रविवार को नाटो के लड़ाकू विमानों ने सिर्ते के कई ठिकानों पर बमबारी की. गद्दाफी के गृहनगर पर कब्जे से अंतरिम सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और गद्दाफी के लिए यह एक और चोट होगी.

यह पता नहीं है कि गद्दाफी इस समय कहां हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि वे लीबिया में ही कहीं हैं. अंतरिम सरकार के लड़ाकों ने गद्दाफी के समर्थकों पर सिर्ते के निवासियों को बाहर निकलने से रोकने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि लोगों का मानवीय सुरक्षा कवच के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

त्रिपोली में सामूहिक कब्र

उधर त्रिपोली में एक सामूहिक कब्र मिली है जहां 1996 में बदनाम अबू सलीम जेल में हुए कत्लेआम में मारे गए 1700 लोगों के शव दबे होने की आशंका है. नई सरकार की सैन्य परिषद के प्रवक्ता खालिद शरीफ ने कहा है, "हमें वह जगह मिली है जहां इन शहीदों को दफन किया गया." उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि वे अपराध का शिकार हुए हैं.

मानवाधिकार संगठन अबु सलीम जेल में हुए कत्लेआम की आलोचना करते रहे हैं. उस जेल में मुख्य रूप से मुअम्मर गद्दाफी के विरोधी कैद थे. 1996 में जेल में हुए एक विद्रोह को दबा दिया गया था और सैकड़ों लोग मारे गए थे.

शिनाख्त के लिए समिति का गठन

सैनिक प्रवक्ता खालिद शरीफ ने कहा है कि सामूहिक कब्र में दबी लाशों की शिनाख्त के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि "कत्लेआम के सबूतों को मिटाने के लिए" लाशों पर एसिड डाल दिया गया. समिति के एक सदस्य सलीम अल फरजानी ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से शिकारों की शिनाख्त में मदद देने की अपील की है.

अबु सलीम के कत्लेआम का गद्दाफी के खिलाफ फरवरी में शुरू हुए विद्रोह का भी लेना देना है. उस समय बेनगाजी में शिकारों के परिजनों ने अपने एक वकील की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया था. यह प्रदर्शन बाद में चलकर गद्दाफी के खिलाफ विद्रोह में बदल गया.

रिपोर्ट: एजेंसिया/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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