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विवादित पत्रकार सऊदी अरब के हवाले

१३ फ़रवरी २०१२

मानवाधिकार संगठनों की अपील को ठुकराते हुए मलेशिया ने विवादित ट्वीट करने वाले युवा पत्रकार को सऊदी अरब के हवाले किया. पत्रकार को सऊदी अरब में फांसी की सजा दी जा सकती है.

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हमजा काशगरी

जान बचाने के लिए मलेशिया पहुंचे सऊदी पत्रकार हमजा काशगरी को अधिकारियों ने सऊदी अरब भेज दिया है. काशगरी पर सऊदी अरब में पैंगबर मोहम्मद का अपमान करने का आरोप है. आरोपों के मुताबिक काशगरी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर पैंगम्बर मोहम्मद का अपमान किया. पैंगम्बर मोहम्मद का अपमान सऊदी अरब के ईशनिंदा कानून के दायरे में आता है. इसके दोषी को मौत की सजा का सामना करना पड़ता है.

युवा पत्रकार काशगरी ने ट्विटर पर लिखा, "कई मायनों में मैं आपसे प्यार करता हूं, कई मायनों में आपसे नफरत करता हूं. और आपसे जुड़ी कई ऐसी चीजें है जो मैं समझ नहीं पाता हूं. मैं आपकी प्रार्थना नहीं करूंगा."

हालांकि इस ट्वीट के लिए बाद में उन्होंने माफी भी मांगी. लेकिन सऊदी अरब के शीर्ष उलेमाओं ने इसे ईशनिंदा माना और उनके खिलाफ इस्लामी अदालत में मुकदमा चलाने की मांग की. सऊदी अरब में एक फेसबुक पेज पर उन्हें फांसी देने की मांग भी शुरू हो चुकी है और हजारों लोग इसका समर्थन कर रहे हैं.

मानवाधिकारों का उल्लंघन

विवादित ट्वीट के बाद हमजा भाग कर मलेशिया पहुंचे. गुरुवार को मलेशिया में उन्हें हिरासत में ले लिया गया. रविवार को मलेशिया पुलिस के प्रवक्ता रामली यूसुफ ने कहा, "उन्हें सऊदी अरब भेज दिया गया है. एयरपोर्ट पर ही उन्हें सऊदी अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया." काशगरी को हिरासत में लेने के लिए सऊदी अधिकारी मलेशिया पहुंचे थे.

मलेशिया के कदम से मानवाधिकार संगठनों में भारी नाराजगी है. ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मलेशिया से अपील की थी कि काशगरी को सऊदी अरब के हवाले न किया जाए. सामाजिक कार्यकर्ता फदिहा नदवा फिक्री के मुताबिक काशगरी के मामले में अदालत को रविवार को सुनवाई करनी थी. लेकिन अदालत की कार्रवाई से पहले ही उन्हें सऊदी अरब के हवाले कर दिया गया. फिक्री ने कहा, "यह कानून और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है."

काशगरी को छुड़वाने के लिए उनकी मां और भाई मलेशिया आए हुए थे. फिक्री के मुताबिक, "वह बेहद तनाव में थे. वे रोने लगे. उन्हें उनकी सुरक्षा की फिक्र है."

काशगरी न्यूजीलैंड जाना चाहते थे. वह जॉर्डन के रास्ते मलेशिया पहुंचे थे. मलेशिया में कुछ देर ठहरने के बाद उन्हें न्यूजीलैंड जाना था, लेकिन ट्रांजिट के दौरान ही उन्हें मलेशियाई अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया.

मलेशिया और सऊदी अरब के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. लेकिन दोनों मुस्लिम देशों के गहरे रिश्ते हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच के मध्यपूर्व मामलों के शोधकर्ता क्रिस्टोफ विल्के ने मलेशिया सरकार की आलोचना की है. उनके मुताबिक सऊदी अरब में काशगरी के साथ निष्पक्ष ढंग से कार्रवाई नहीं होगी. यह जानते हुए भी उन्हें सऊदी अरब के हवाले कर दिया गया.

रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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