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शरण मांगने ऑस्ट्रेलिया जा रहे 200 लोग डूबे

१८ दिसम्बर २०११

इंडोनेशिया में एक बोट के डूबने से कम से कम 200 लोगों की मौत हो गई है. छोटी सी बोट में क्षमता से ज्यादा लोग सवार थे. मृतकों में ज्यादातर अफगान और ईरान के शरणार्थी हैं जो नई जिंदगी की तलाश में ऑस्ट्रेलिया पहुंचना चाहते थे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने नाव के डूबने को दुखद बताया है. इस बोट में बस 100 लोगों के सवार होने की क्षमता थी लेकिन उसमें करीब 250 लोग सवार हो गए. नाव पूर्वी जावा से करीब 40 नॉटिकल मील की दूरी पर डूब गई. इस दौरान भारी बारिश हो रही थी और लहरें उफान पर थीं. शार्कों की रिहायश वाले इस खतरनाक इलाके में बचाव का काम तेजी से शुरू कर दिया गया और 32 लोगों को बचाने में कामयाबी भी मिली लेकिन बाकी लोग इतने खुशकिस्मत नहीं थे.

नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी के प्रवक्ता गागा प्राकोसो ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमने चार बोट और दो हैलीकॉप्टर बचाव के लिए भेजे हैं लेकिन अब तक किसी को बहते हुए नहीं देखा गया है. आशंका इसी बात की है कि बाकी लोग डूब गए हैं. अच्छे तैराक के लिए भी लाइफ जैकेट के सहारे इस विषम परिस्थिति में किनारे तक तैर पाना मुमकिन नहीं है. इस तरह से जब बोट डूबते हैं तो तीसरे दिन शव पानी पर ऊपर आते हैं."

Schiffsunglück Wolga Russland 10.07.2011
तस्वीर: dapd

खराब मौसम और पांच मीटर से ऊंची लहरों ने बचाव के काम में भारी मुश्किल पैदा की है. नौसेना और पुलिस समेत 300 बचावकर्मी पूरे इलाके में शवों की तलाश कर रहे हैं. हादसे के बाद बच पाने में कामयाब रहे 17 साल के एक अफगान छात्र अरमाघान हैदर ने बताया कि वह उस वक्त सो रहा था जब आंधी आई और बोट को नुकसान पहुंचाने लगी. हैदर ने बताया, "मुझे मेरे पैरों पर पानी महसूस हुआ और मैं उठ गया, बोट जब नीचे जाने लगा तो लोग बदहावसी में चिल्लाने लगे और वहां से भागने की कोशिश करने लगे. मैं किसी तरह तैर कर बोट के दूसरी तरफ पहुंचा जां 100 दूसरे लोग भी थे. वहां 20-30 लोग लाइफ जैकेट में थे लेकिन बाकी के 100 से ज्यादा लोग बोट में ही फंसे रह गए." जान बचाने के लिए लोग करीब छह घंटे तक किसी तरह तैरते रहे और तब बचावकर्मियों का दल उन तक पहुंचा.

इन लोगों को प्रिगी बीच पर सामुदायिक भवन में रखा गया है. यह जगह इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से करीब 640 किलोमीटर दूर है. इन लोगों का कहना है कि इनके शरणार्थी होने की पुष्टि करने के इनके पास संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक दस्तावेज मौजूद हैं. समाचार एजेंसी एएफपी ने इन लोगों से बात की और स्थानीय अधिकारियों ने भी बताया कि ज्यादातर लोग अफगानिस्तान और ईरान के हैं. इन लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में शरण पाने के लिए एजेंटो को सवा लाख से ढाई लाख तक रुपये दिए थे. इनमें से कुछ लोग खुद को इराकी, पाकिस्तानी, तुर्क और सऊदी नागरिक भी बता रहे हैं और उनका कहना है कि उनके दस्तावेज इस हादसे के दौरान समंदर में खो गए. हैदर ने बताया कि वह दुबई से इंडोनेशिया आया और पूर्वी जावा में बोट पर सवार हुआ. हैदर ने कहा, "हम लोग ऑस्ट्रेलिया जा कर एक अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं. अफगानिस्तान में कुछ भी नहीं है. आतंकवाद बहुत है. हम पढ़ नहीं सकते, कॉलेज नहीं जा सकते, नौकरी नहीं हासिल कर सकते, हमारा वहां कोई भविष्य नहीं."

ऑस्ट्रेलिया में पनाह लेने के लिए हजारों शरणार्थी दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से हर साल समंदर के रास्ते जाते हैं और इनमें से बहुत से लोग मानव तस्करों के साथ इसके लिए करार करते हैं.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह