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शरमीन की उम्मीदों भरी कहानी, सेव द फेस

२७ फ़रवरी २०१२

पाकिस्तान की फिल्म निर्माता शरमीन उबैद शिनॉय की डॉक्यूमेंटरी सेव द फेस ऑस्कर पाने वाली पहली पाकिस्तानी फिल्म बन गई है. चेहरे पर तेजाब फेंकने की घटना पर बनी है फिल्म.

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डैनियल जुंग (बाएं) शरमीन ओबैद शिनॉयतस्वीर: Reuters

उनकी फिल्म से पाकिस्तान में तेजाब हमलों से पीड़ित महिलाओं की मुश्किलों और उनके जीवन पर रोशनी पड़ी है. पाकिस्तान में हजारों महिलाएं एसिड हमले के कारण अपना चेहरा खो देती हैं.

अवॉर्ड लेते हुए शिनॉय ने पुरस्कार महिलाओं को समर्पित किया. उन्होंने कहा कि इतनी चुनौतियों में "महिलाओं की बहादुरी और जीवटता से मुझे हर दिन प्रेरणा मिलती है. वे पाकिस्तान की असली हीरो हैं."

सेविंग फेस में पाकिस्तानी मूल के डॉक्टर मोहम्मद जव्वाद के काम पर रोशनी डाली गई है जो तेजाब के हमलों से पीड़ित महिलाओं की प्लास्टिक सर्जरी करते हैं. फिल्म के सह निर्देशक डैनियल जुंग ने कहा कि जव्वाद के काम के बारे में सुन कर उन्हें फिल्म का आइडिया आया और उन्होंने शिनॉय से पूछा कि क्या वह उनके साथ काम करेंगी. जुंग को ऑस्कर और एमी दोनों पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था. पुरस्कार लेते हुए उन्होंने कहा, "इस तरह के विषय के साथ जीत पाना, यह एक बड़ा सम्मान है."

हर साल पाकिस्तान में 100 से भी ज्यादा लोग खास कर महिलाएं और लड़कियां तेजाब के हमलों की शिकार होती हैं. हालांकि सहायता संगठनों का कहना है कि इस तरह के अधिकतर मामले दर्ज ही नहीं होते.

पाकिस्तान महिलाओं के रहने के लिए दुनिया का अफगानिस्तान और कांगो के बाद तीसरा सबसे खतरनाक देश बताया जाता है. एसिड हमले की शिकार अकसर हमेशा के लिए आंखें खो देती हैं और कई बार उनके घाव में सेप्टिसेमिया या गैंगरीन का संक्रमण हो जाता है. शिनॉय का कहना है, "इन महिलाओं ने डॉक्यूमेंट्री में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि वह अपनी आवाज लोगों तक पहुंचाना चाहती थीं और लोगों को इन हमलों के बारे में बताना चाहती थीं. सेविंग फेस में शामिल होने का उनका मुख्य उद्देश्य है कि उनकी कहानी सुनी जाए और कुछ असर करे."

उम्मीद की कहानी

कई महिलाओं पर उनके अपने पति तेजाब से हमला करा देते हैं और दूसरी महिलाओं पर इसलिए कि वे शादी के किसी प्रस्ताव से इनकार कर देती हैं. एक स्कूली लड़की बताती है कि कैसे उसे जलाया गया क्योंकि उसने अपने टीचर के प्रस्ताव को नहीं माना. उस समय वह 13 साल की थी.

एक और महिला, 25 साल की रुखसाना के पति ने उस पर एसिड फेंक दिया फिर उसकी ननद ने उस पर पेट्रोल फेंका और सास ने जलती हुई माचिस की तीली उस पर फेंकी. उनकी कहानी फिल्म में अधूरी है. "आने से पहले मैंने रुखसाना से बात की. वह अपने बच्चों के साथ अलग घर बनाने के लिए पैसा जमा कर रही हैं. उनकी अभी एक और सर्जरी होनी है."

Sharmeen Obaid Chinoy Filmemacherin Pakistan
उम्मीद की कहानीतस्वीर: sharmeenobaidfilms.com

मेहनती शिनॉय

सेविंग फेस आठ मार्च को अमेरिकी टीवी चैनल एचबीओ पर दिखाई जाएगी. जबकि जुंग और शिनॉय पाकिस्तान में भी शो करना चाहते हैं. "हम फिल्म दिखाने की हर अच्छी संभावना तलाश रहे हैं और यह तय करेंगे कि फिल्म में शामिल महिलाएं सुरक्षित रहें. पाकिस्तानी दर्शकों के लिए यह फिल्म उम्मीद की कहानी है. मुझे महसूस हुआ कि यह बताना चाहिए कैसे पाकिस्तानी साथी पाकिस्तानियों की मदद कर सकते हैं."

स्माइल अगेन फाउंडेशन की मुसर्रत मिस्बाह कहती हैं, "यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है. अब सरकार और समाज पर दबाव बनेगा कि वह इस अपराध को खत्म करे." वहीं कराची के पत्रकार मोहसिन सईद कहते हैं, "वह बहुत मेहनती हैं. उन्होंने ऐसे मुद्दे उठाए हैं जिन्हें पाकिस्तान में किसी ने नहीं उठाया."

शिनॉय की फिल्में पहले भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पा चुकी हैं. 2010 में उनकी डॉक्यूमेंट्री पाकिस्तान्स तालिबान जनरेशन ने एमी अवॉर्ड जीता था. पुरस्कार जीतने के बाद उन्होंने कहा, "यह जीत दिखाती है कि पाकिस्तान के लोग कुछ भी कर सकते हैं. हमारे दर्शक पूरी दुनिया में हैं और हमारी आवाज सुनी गई है. हमारी मुश्किलों के बावजूद लोग बदलाव चाहते हैं."

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः ए जमाल

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