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शेर जैसे बड़े शिकारियों का खात्मा खतरे की घंटी

१५ जुलाई २०११

शोधकर्ताओं का कहना है कि शार्क, शेर, भेड़ियों जैसे बड़े शिकारियों का खत्म होना धरती की पारिस्थितिकी को बिगाड़ रहा है. इन शिकारी जीवों की संख्या में लगातार कमी उनके लिए ही नहीं हमारे लिए भी अच्छी नहीं है.

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तस्वीर: AP

अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में वन विज्ञान के प्रोफेसर और साइंस जनरल में छपी रिपोर्ट के सह लेखक विलियम रिपल कहते हैं, "यह शिकारी और यह प्रक्रिया आखिरकार मनुष्य की रक्षा करती है. यह बात सिर्फ उनके बारे में नहीं है यह हमारे बारे भी है."

छह देशों की 22 संस्थाओं ने एक शोध किया किया जिसमें सामने आया कि धरती फिलहाल छठी बार ऐसे समय से गुजर रही है जब कई प्रजातियां विलुप्त होने लगती है. लेकिन यह पुराने समय से इसलिए अलग है क्योंकि ये प्रजातियां मनुष्य की गतिविधियों के कारण खत्म हो रही है. धरती पर फैलता इंसानी दायरा, पर्यावरण, प्रदूषण, शिकार, मछली मारने और अवैध शिकार के कारण प्रजातियां लुप्त हो रही हैं. इसका असर धरती और समंदर दोनों में देखा जा सकता है.

Flash-Galerie Haustiere Löwe in Tansania Afrika
किंग प्रिडेटर की कमी खतरे की घंटीतस्वीर: AP

बड़ा संकट

अमेरिकी राज्य ऊटा में तेंदुए जैसी बड़ी बिल्लियों की संख्या में कमी होने के कारण हिरणों की जनसंख्या एकदम बढ़ गई. हिरण ज्यादा घास खाते हैं. इससे स्थानीय नदियों की धारा बदल गई और बायोडाइवर्सिटी कम हो गई.

दूसरा उदाहरण अफ्रीका का है जहां शेर और तेंदुएं शिकारियों की भेंट चढ़ रहे हैं. इससे अफ्रीका में पाए जाने वाले ओलिव बैबून यानी लंगूरों की एक प्रजाति की संख्या बढ़ गई जो आंत में रहने वाले परजीवियों को पास रहने वाले मनुष्य के शरीर में संक्रमित कर देते हैं.

समंदर का हाल कुछ अलग नहीं है. 20वीं सदी में व्हेल के औद्योगिक शिकार के कारण किलर व्हेल की खाने की आदत बदल गई वह ज्यादा सी लायन, सील और ऊदबिलाव को खाने लगी जिससे उनकी संख्या कम हो गई.

कई बीमारियों का कारण

बड़े शिकारियों के खत्म हो जाने के कारण हाल की सदियों में कईं महामारियां फैली हो सकती है. साथ ही लुफ्त होने जीवों की संख्या में तेजी से कमी और धरती की पारिस्थितिकी में बदलाव का कारण भी यह है.

Flash-Galerie Orca Wal
शिकारियों के खत्म होने का पारिस्थितिकी पर गहरा असरतस्वीर: U.S. National Oceanic and Atmospheric Administration

सैंटा क्रूज में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पारिस्थितिकी और क्रमिक विकास के प्रोफेसर और शोध के मुख्य लेखक जेम्स एस्टेस कहते हैं, "पारिस्थितिक तंत्र को नीचे से ऊपर की ओर देखने पर समझ में आता है कि वैज्ञानिक और संसाधन प्रबंधक अब तक एक बहुत जटिल समीकरण के आधे ही हिस्से पर ध्यान लगाए हुए थे. ताजा जानकारी हमें बताती है कि खाद्य श्रृंखला में सबसे ऊपर के उपभोक्ता संरचना, प्रणाली, प्राकृतिक पारिस्थितिकी की जैव विविधता पर गहरा असर डालते हैं."

रिपोर्टः एएफपी/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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