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साखारोव की पत्नी येलेना बॉनर का देहांत

२० जून २०११

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंद्रेई साखारोव की पत्नी व पूर्व सोवियत संघ में मानव अधिकार संघर्षकर्ता येलेना बॉनर का शनिवार को अमेरिका में देहांत हो गया. वे 88 वर्ष थी.

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तस्वीर: AP

यहूदी मूल की येलेना बॉनर का जन्म सोवियत तुर्कमेनिस्तान में हुआ था. स्तालिन के जमाने में उनके माता पिता को काफी सताया गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वह नर्स थी और उसके बाद उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई शुरू की थी, लेकिन स्तालिन जमाने में यहूदियों के खिलाफ अभियान के तहत उन्हें मेडिकल कॉलेज से निकाल दिया गया.

1960 के दशक से येलेना बॉनर सोवियत नागरिक अधिकार संघर्षकर्ताओं के बीच सक्रिय हो चुकी थी. वह 1970 के दशक में गठित मॉस्को हेलसिंकी ग्रुप के संस्थापकों में से थीं. मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात परमाणु वैज्ञानिक आंद्रेई साखारोव से हुई और 1972 में दोनों ने शादी की. साखारोव ने सोवियत आणविक बम के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी, लेकिन इस बीच वे शांति और मानव अधिकारों के सवाल पर सोवियत शासन की खुलकर आलोचना करने लगे थे.

1975 में जब साखारोव को नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण करने के लिए ओस्लो जाने की अनुमति नहीं दी गई, तो उनके प्रतिनिधि के रूप में येलेना बॉनर ने यह पुरस्कार ग्रहण किया था. साखारोव को जब गोर्की नगर में नजरबंद रखा गया था, तो बाहरी दुनिया के साथ उनका संपर्क अपनी पत्नी के जरिए ही बना रहा. बाद येलेना बॉनर को भी गोर्की में नजरबंद कर लिया गया.

साखारोव के अनशन के बाद येलेना बॉनर को 1985 में दिल के ऑपरेशन के लिए अमेरिका जाने की अनुमति दी गई. 1986 में साखारोव और बॉनर सोवियत नेता गोर्बाचोव के निमंत्रण पर निर्वासन से वापस लौटे.

बोरिस येल्त्सिन के दौर में येलेना बॉनर देश के मानव अधिकार आयोग की सदस्य थीं, लेकिन चेचन्या में रूसी सेना भेजे जाने के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. पिछले साल एक याचिका पर दस्तखत करते हुए उन्होंने ब्लादिमीर पुतिन के इस्तीफे की मांग की थी. उनकी साफ राय थी कि पुतिन के नेतृत्व में रूस में लोकतंत्र खत्म किया जा रहा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ओ सिंह

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