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हमारे शरीर में होते हैं कुछ किलो जीवाणु

Priya Esselborn१६ जून २०१२

इंसान का शरीर किसी अजूबे से कम नहीं. ये कैसे चलता है, कैसे काम करता है--विज्ञान के लिए खोज का विषय है. हमारे आपके लिए ये हैरान होने का विषय है कि एक इंसान के अंदर कम से कम 10 हजार प्रकार के जीवाणु विषाणु रहते हैं.

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अगर हमारे शरीर में पाए जाने वाले सभी जीवाणुओं कीटाणुओं को इकट्ठा कर दिया जाए तो उनका वजन कुछ किलोग्राम तक हो सकता है. अब वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है कि हमारे शरीर में कहां और कितनी मात्रा में जीवाणु विषाणु रहते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक एक स्वस्थ्य शरीर में इनकी तादात 10 हजार तक हो सकती है. इममें से तो कई ऐसे हैं जो इंसान को सेहतमंद बनाने में मददगार भी हैं.

इंसान के शरीर में जीवाणुओं विषाणुओं के असर के बारे में ये खोज एक नई बहस को जन्म दे सकता है. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की ओर से चलाई जाने वाली 17 करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर की परियोजना के प्रमुख डॉक्टर फिलिप टार हैं. वो कहते हैं, ''ये जीवाणु यहां से वहां चलते नहीं है. बल्कि ये खुद चयापचय की क्रिया करते हैं. एक समुदाय के रूप में हमें उनके तंत्र को समझना होगा. जैसे कि हम पर्यावरण के तंत्र को समझते हैं.''

दुनिया भर के 80 शोध संस्थानों के 200 वैज्ञानिकों ने पहली बार इकट्ठा होकर इस बारे में अध्ययन किया है. वैज्ञानिकों ने इन जीवाणुओं के डीएनए का अध्ययन करने के लिए उन्ही तरीकों का इस्तेमाल किया जैसा कि इंसान के डीएनए का अध्ययन करने में करते हैं. इस अध्ययन के निष्कर्षों को 'नेचर एंड द पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस' में प्रकाशित किया गया है.

Robert Koch-Institut Petrischale Labor Bakterien
विषाणु हमेशा खतरनाक नहीं होतेतस्वीर: picture-alliance

हालांकि खोज के लिहाज से ये कोई नहीं बात नहीं है. वैज्ञानिक पहले से भी जानते रहे हैं कि हमारे शरीर में कई करोड़ जीवाणु रहते हैं. ये खोज इस मायने में अलग है कि अब जीवाणुओं को इंसान के सहवीजी के रूप में अध्ययन किया जा रहा है. इससे पहले तक उन्हे बीमारी फैलाने वाले के तौर पर ही याद किया जाता था. शरीर में पाए जाने वाले जीवाणुओं की तादात हमेशा एक ही रहती है या ये एक ही तरह का काम करते हैं ऐसा नहीं है. वैज्ञानिकों का दावा है जीवाणुओं की संख्या खान पान, रहने की परिस्थितियों और एंटीबायोटिक दवाओं के हिसाब से बदलती रहती है. अगर आप एंटीबायोटिक लेते हैं तो कई बार बीमारी फैलाने वाले बैक्टेरिया के साथ साथ पाचन में सहायता करने वाले बैक्टेरिया भी मर जाते हैं.

वीडी/एएम ( एपी)

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