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हिंदी सिनेमा का छिपा चेहरा

२६ अक्टूबर २०१२

रोशनी के तामझाम, रंगीन लिबास, मस्त संगीत और चटक ठुमके न्यूयॉर्क में दक्षिण एशियाई अंतरराष्ट्रीय फिल्मी मेले की शुरुआत हिंदी फिल्म से हुई तो लोगों को ऐसा ही कुछ देखने की उम्मीद थी लेकिन मिस लवली में ऐसा कुछ भी नहीं था.

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तस्वीर: DW

खूबसूरत लड़कियों के डांस वाला एक सिक्वेंस फिल्म में था तो जरूर लेकिन बहुत आखिर में. शुरूआत के 100 मिनट से ज्यादा तक तो मुंबईया फिल्म उद्योग का क्रूर अवैध चेहरा ही नजर आता रहा. मिस लवली भारत में कारोबारी तौर पर रिलीज नहीं हुई है. फिल्म के सहलेखक और निर्देशक असीम आहलूवालिया इसके जरिए असली बॉलीवुड दिखाने का दावा कर रहे हैं जो उनके मुताबिक अब तक विदेशी दर्शकों के सामने नहीं आ सका है. फिल्म में भले ही बॉलीवुड के लटके झटके नहीं हैं लेकिन कहानी बॉलीवुड की ही है.

मैनहैटन में फेस्टिवल के दर्शकों के सामने फिल्म पेश करते हुए असीम आहलूवालिया ने कहा,"ए ग्रेड के ब्लॉकबस्टर सिनेमा के बारे में कहा जाता है कि लोग यही देखते हैं लेकिन ज्यादातर लोग जो फिल्मों में देखते हैं वह यह है, डकैत, डर...घटिया द्वंद्व दिखाती फिल्में." आहलूवालिया की फिल्म डॉक्यूमेंट्री जैसी है जिसमें पर्दे के पीछे की चीजें दिखाने की कोशिश की गई है और इन पर 1980 के दशक की मुंबई की जिंदगी है. कहानी दो फिल्म निर्देशक भाइयों की कोशिशों और नाकामियों की दास्तान है.

फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी प्रमुख भूमिका में हैं और बाकी ज्यादातर कलाकारों में कोई मशहूर चेहरा नहीं है. नवाजुद्दीन गैंग्स ऑफ वासेपुर से पहले ही ख्याति पा चुके हैं और इस फिल्म ने उन्हें थोड़ा और साबित किया है. समारोह की कार्यक्रम निदेशक जेनी हे मिस लवली से समारोह शुरू करने के पीछे दलील देती हैं, "यह भारत का नया सिनेमा दिखाता है. यह इस बात का संकेत है कि दक्षिण एशियाई सिनेमा में जो हो रहा है उसे मुमकिन है कि जगह ही न मिले."

दक्षिण एशियाई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अकम और पुणे-52 नाम की दो और हिंदी फिल्में भी हैं. इनमें अकम तो एक जासूसी फिल्म है जिसमें रेमंड चांडलर का जिक्र है जबकि दूसरी फिल्म मिस लवली की तरह ही फिल्मी दुनिया के कुछ छोटे खिलाड़ियों के बारे में है. अकम की कहानी मलायत्तूर रामाकृष्णन के उपन्यास याक्शी पर आधारित है. यह एक आर्किटेक्ट की कहानी है जिसका कार एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी बीवी उसे छोड़ कर चली जाती है.

समारोह के डॉक्यूमेंट्री सेक्शन में ब्लड रिलेटिव भी है. जो थैलेसेमिया की पीड़ा दिखाती है. यह आनुवांशिक बीमारी भारत में खूब है और एक सामाजिक कार्यकर्ता दो बच्चों को इनसे बचाने के लिए क्या करता है यही डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है.

दक्षिण एशियाई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का यह नौंवा साल है. यूएस केबल और टीवी नेटवर्क एचबीओ इस समारोह के मुख्य हिस्सेदार हैं. समारोह में न सिर्फ एशिया से बल्कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप के प्रवासी समुदायों की बनाई फिल्में भी शामिल की जाती हैं.

एनआर/एएम (एएफपी)