1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हृतिक रोशन अग्निपथ में डरावने नहीं हो सकतेः करण

२९ जनवरी २०१२

विजय दीनानाथ चौहान ने दो दशक तक अमिताभ की अदाकारी से बॉलीवुड के दीवानों को अभिभूत किया 22 साल बाद इसने चेहरा बदल लिया है. नया विजय कितना असली है और कितना कारगर ये तो दर्शक बताएंगे लेकिन निर्देशक ने क्या चाहा था.

https://p.dw.com/p/13sg5
तस्वीर: Eros International

अग्निपथ के रीमेक में हृतिक रोशन की अदाकारी की तुलना पुरानी फिल्म के विजय दीनानाथ चौहान बने अमिताभ बच्चन से हो रही है लेकिन नई फिल्म के निर्देशक का कहना है कि पुरानी छवि असल में डरावनी नहीं भी हो सकती थी.

अग्निपथ के निर्देशक करण मल्होत्रा मानते हैं कि हृतिक रोशन ने इस चरित्र को अलग तरीके से छुआ है और उनके मुताबिक अमिताभ बच्चन ने जिस रूप में इस किरदार को अमर किया उसकी नकल करने का कोई इरादा था ही नहीं. करण कहते हैं, "हमारा विचार विजय को भयभीत करने वाला बनाने का नहीं था. मेरे पास ऐसा कोई तरीका नहीं कि मैं हृतिक को बच्चन साहब के जैसा करने को कहता. जो उन्होंने असली अग्निपथ में कर दिखाया है वो भारत का कोई और अभिनेता नहीं कर सकता."

Filmszenen aus dem Film Agneepath
अग्निपथ में संजय दत्ततस्वीर: Eros International

करण मल्होत्रा के मन में विजय की अलग तस्वीर थी. उन्होंने कहा, "मैं इस बात के लिए निश्चिंत था कि विजय को असली और अलग से पहचाने जाने लायक बनना है. हृतिक ने जो किया वो मेरी तस्वीर के हिसाब से है. मैं नहीं चाहता था कि लोग उनकी तरफ बदला लेने की निगाह से देखें. मैं तो यही चाहता था कि अगर दर्शकों को भी इतना समय और आजादी मिलती तो वो भी यही करते." अग्निपथ को दोबारा बनाने में विजय दीनानाथ नाम की शख्सियत को पूरी तरह से बदल कर नए रूप में गढ़ा गया है. करण कहते हैं, "यह सोचना बेवकूफी है कि मैं फिर से इस उसी फिल्म को बनाता, ये तो आत्महत्या जैसी बात होती." निर्देशक की यह कोशिश ऐसी लगती है कि रंग लाई है, गुरुवार को रिलीज हुई फिल्म ने पहले दिन 22 करोड़ की कमाई कर बॉक्स ऑफिस पर नया रिकॉर्ड कायम किया है.

यहां तक कि काचा चीना बने संजय दत्त की भी जम कर तारीफ हो रही है करण मानते हैं कि खलनायक की जैसी तस्वीर उनके दिमाग में उभरी थी संजय ने उसे साकार कर दिया. करण ने कहा, "मुझसे ज्यादा तो संजय दत्त ने अपने काम से उस चरित्र को पर्दे पर जिंदा किया जिसे मैंने लिखा. उन्होंने अपनी अदाकारी से कांचा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है."

दो प्रमुख पुरुष चरित्रों ने फिल्म के ज्यादातर हिस्से पर तो कब्जा किया है और इसमें हिरोइन बनी प्रियंका चोपड़ा मेहमान कलाकार से बस थोड़ी सी ही ज्यादा नजर आई हैं. हालांकि करण उनकी अहमियत को जरा सा भी कम नहीं मानते. कहते हैं, "अग्निपथ पुरुष प्रधान फिल्म होने के बावजूद प्रियंका ने जो भूमिका निभाई है वो बेहद अहम है. वो कोई मामूली या सामान्य प्रेमिका नहीं हैं. विजय के लिए उनका प्यार पूरी तरह बिना किसी शर्त और बिना किसी उम्मीद के है. इतने सारे खतरनाक लोगों के बीच वो किसी फूल की तरह है जो हमेशा मुस्कुराती रहती है."

करण मल्होत्रा की कोशिशों को लोगों ने भरपूर प्यार के साथ स्वीकार किया है और उन्हें भी यह संतोष है कि उनके मेहनत की कद्र हुई है.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें