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हैकरों की धमकी, जारी रहेंगे साइबर हमले

२२ जुलाई २०११

इस सप्ताह हाई प्रोफाइल साइबर हमलों के आरोप में एफबीआई द्वारा 16 लोगों की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उनसे बहुत सी सूचनाएं मिल रही हैं जिससे और गिरफ्तारियां संभव हैं.

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तस्वीर: BilderBox

एनोनिमस ग्रुप के सदस्यों की गिरफ्तारी पिछले समय में हुए साइबर हमलों के बाद अमेरिकी अधिकारियों की सबसे सख्त प्रतिक्रिया थी. इन गिरफ्तारियों का लक्ष्य ऐसे लोगों को डराना है जो भविष्य में साइबर हमलों में शामिल होने की सोच रहे हों.

गिरफ्तारियां अमेरिकी के 9 प्रांतों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में हुईं. एफबीआई के एजेंटों ने 35 जगहों पर छापे मारे और तलाशियां लीं तथा कम्प्यूटरों और अन्य दस्तावेजों को जब्त कर लिया. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वे हैकिंग पर सूचना देकर हल्की सजा पाने का समझौता कर सकते हैं. कुछ गैर सरकारी साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस पर सवाल उठाया है कि इन गिरफ्तारियों का लंबा असर होगा.

एनोनिमस ग्रुप ने गिरफ्तारियों पर अपनी प्रतिक्रिया में नाटो के नेटवर्क में घुसने का दावा किया है और सरकार के खिलाफ संघर्ष करने की घोषणा की है. एनोनिमस ने एक ट्वीट में दावा किया है कि उसके पास नाटो का एक गीगाबाइट यानी डेटा है, लेकिन साथ ही कहा है कि अधिकांश दस्तावेजों को प्रकाशित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह गैर जिम्मेदाराना होगा.

Symbolbild Iran Cyberattacke Virus Wurm
तस्वीर: Fotolia/bofotolux

अमेरिका की संघीय पुलिस एफबीआई ने मंगलवार को एनोनिमस के 16 सदस्यों को गिरफ्तार करने की जानकारी दी थी. उनके अलावा पांच अन्य हैकरों को ब्रिटेन और नीदरलैंड्स में गिरफ्तार किया गया है. एनोनिमस खुफिया जानकारी देने वाले प्लैटफॉर्म विकीलीक्स के विरोधियों पर साइबर हमलों के बाद सुर्खियों में आया था. विकीलीक्स के साथ सहयोग समाप्त किए जाने के बाद वीजा और इंटरनेट भुगतान सेवा पेपैल पर साइबर हमले किए गए थे.

गुरुवार को एनोनिमस और हैकर ग्रुप लुत्ससेक ने कहा है कि अमेरिकी अधिकारियों की कार्रवाई के बावजूद सरकारी संस्थानों और उद्यमों की इंटरनेट साइटों पर उनका हमला जारी रहेगा. उन्होंने ट्वीट किया है, "उन सरकारों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा जो अपनी जनता को कंट्रोल करने और उनके नागरिक अधिकारों को सीमित करने के लिए उनसे झूठ बोलते हैं और उन्हें डराते धमकाते हैं."

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ओ सिंह