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होस्नी मुबारक पर हत्या के मुकदमे

२५ मई २०११

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक और उनके बेटों पर हत्या के मुकदमे चलाने के आदेश दे दिए गए हैं. संभावना थी कि फौजी शासन उनके खिलाफ कार्रवाई से बचेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुबारक को मौत की सजा भी मिल सकती है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

राजधानी काहिरा के तहरीर चौक पर प्रदर्शनकारियों के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद 11 फरवरी 2011 को होस्नी मुबारक ने करीब 30 साल बाद मिस्र की सत्ता छोड़ दी. लेकिन देश में इस दौरान लगभग 800 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई और इसे दबाने में बल प्रयोग के आदेश की वजह से मुबारक के खिलाफ मुकदमे शुरू हो रहे हैं. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का भी मामला चलेगा.

सरकारी वकील ने बताया कि मुबारक के खिलाफ "पहले से तय की हुई" हत्याओं का मुकदमा चलेगा और अगर वे दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें मौत की भी सजा मिल सकती है. उन्हें शर्म अल शेख के एक अस्पताल में हिरासत में रखा गया है.

मुबारक के बेटों पर भी केस

अफ्रीका के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश मिस्र में होस्नी मुबारक के खिलाफ जिस तरह के प्रदर्शन हुए, उसके बाद कई दूसरे देशों में भी ऐसा ही हुआ. सरकारी वकील ने बताया कि मुबारक के दोनों बेटे अला और जमाल मुबारक पर भी ऐसे ही मामले चलेंगे. कई लोगों का मानना है कि मुबारक के बेटे मिस्र का अगला राष्ट्रपति बनना चाहते थे.

यह आदेश ऐसे वक्त में आया है, जब मिस्र की जनता ने एक बार फिर से तहरीर चौक पर प्रदर्शन करने की अपील की है. उनकी मांग है कि देश में तेजी से बदलाव होना चाहिए और मुबारक के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मुकदमा चलना चाहिए. शुक्रवार को चौक पर रैली होने वाली है.

मिस्र के राजनीतिक आलोचक और मुबारक के धुर विरोधी समझे जाने वाले हसन नफा ने कहा, "जब भी युवा लोग बड़ी संख्या में तहरीक चौक पर जाने की धमकी देते हैं, वे लोग कुछ कदम उठाते हैं."

इतनी देरी क्यों

बरसों तक विपक्ष में रही मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि ऐसा फैसला आएगा. पार्टी के अब्दुल मुनीम अब्दुल मकसूद का कहना है, "हम लोग सिर्फ इस बात पर हैरान हैं कि इस फैसले में इतनी देरी क्यों हुई."

फेसबुक पर महमूद दहाब ने लिखा, "मुबारक के खिलाफ मुकदमे का फैसला हुआ है क्योंकि जुमा आ रहा है. हम इस खेल को समझते हैं." मिस्र की क्रांति में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने बड़ी भूमिका निभाई.

मुबारक को किसी जेल में नहीं, बल्कि अस्पताल में रखा गया है. मिस्र के कई शहरियों का मानना है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मुबारक खुद भी एक फौजी शासक थे और राष्ट्रपति बनने से पहले वायुसेना में कार्यरत थे.

मौत की सजा

सेना ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है और कहा है कि मुबारक के खिलाफ मुकदमा न्याय पालिका का काम है. पूर्व राष्ट्रपति पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें जान बूझ कर हत्याएं, कुछ प्रदर्शनकारियों को जान से मारने की कोशिश, अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल और सार्वजनिक पैसों की बर्बादी जैसे आरोप शामिल हैं. इसके अलावा गैरकानूनी ढंग से पैसे कमाने के भी आरोप हैं.

मिस्र की अपील कोर्ट के उप प्रमुख जज अहमद मक्की ने कहा कि सरकारी पक्ष मौत की सजा की सिफारिश कर सकता है. उन्होंने कहा, "अगर पूर्व राष्ट्रपति पर ये आरोप साबित हो जाते हैं, तो इसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ सकती है. इसकी सजा मौत भी हो सकती है."

बीमार मुबारक

अप्रैल में जब पहली बार मुबारक से पूछताछ की गई, तो वह बीमार पड़ गए. इसके बाद से उन्हें शर्म अल शेख के अस्पताल में रखा गया है. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि अब उनकी स्थिति स्थिर है लेकिन उन्हें काहिरा की जेल के अस्पताल में नहीं ले जाया जा सकता है क्योंकि वहां इलाज की सुविधाओं की कमी है.

मिस्र से पहले ट्यूनीशिया में भी जनांदोलन हुआ और राष्ट्रपति को सत्ता छोड़नी पड़ी. लेकिन मुबारक की तरह वहां के राष्ट्रपति बेन अली देश में नहीं रुके और सऊदी अरब भाग गए. इसके बाद लीबिया, सीरिया और यमन जैसे देशों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं.

कार्रवाई पर नजर

जानकारों का मानना है कि मिस्र में जो कुछ हो रहा है, दूसरे देश के लोग उसे बारीकी से देख रहे हैं. अरब मामलों की एक्सपर्ट सारा हसन का कहना है, "कई देश देख रहे हैं कि मिस्र में क्या हो रहा है. वे लोग मुबारक जैसा हश्र होता नहीं देखना चाहेंगे. वह ज्यादा समय तक सत्ता पर चिपके रहना चाहेंगे."

मिस्र में इस साल के शुरू में 18 दिनों तक प्रदर्शन हुए. इस दौरान गोलियां, रबर बुलेट, पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया. इस दौरान करीब 800 लोगों की मौत हो गई. लेकिन जनता ने दम तभी लिया, जब 11 फरवरी को मुबारक ने सत्ता छोड़ दी.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह